महाभारत का युद्ध क्यों हुआ? पांडव और कौरवों के बीच राज-पाठ की लड़ाई आखिर कैसे चौसर के खेल तक पहुंची? चौसर के खेल में युधिष्ठिर ने द्रौपदी को क्यों दांव पर लगा दिया? ऐसे कई सवाल हैं, जिनकी आज भी चर्चा की जाती है। लेकिन, जब-जब महाभारत का जिक्र होता है, तब-तब साथ ही उस चौसर के खेल के बारे में भी बात होती है जिसमें धर्मराज युधिष्ठिर ने अपनी पत्नी द्रौपदी को दांव पर लगा दिया था। महाभारत के युद्ध के पीछे की सबसे बड़ी वजहों में से एक चौसर के खेल में द्रौपदी को दांव पर लगाना और हारना था। कई लोग तो ऐसा भी मानते हैं कई लोगों का ऐसा मानना है कि धर्म के राजा यानी धर्मराज युधिष्ठिर का पांचाली को दांव पर लगाना गलत था।
धार्मिक मान्यताओं और महाभारत के अनुसार, चौसर के खेल में जब युधिष्ठिर अपना सब हार बैठे थे, तब उन्होंने एक शर्त पर द्रौपदी को दांव पर लगाया था। लेकिन, वह शर्त क्या थी और क्यों किसी शर्त के लिए धर्मराज युधिष्ठिर ने पांचाली को दांव पर लगा दिया था इस बारे में हमें ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने बताया है। आइए, यहां विस्तार से इस बारे में जानते हैं।
चौसर के खेल में सब हार बैठे थे धर्मराज युधिष्ठिर
महाभारत के अनुसार, दुर्योधन ने अपने मामा शकुनि के साथ मिलकर पांडवों को नीचा दिखाने और हराने के लिए योजना बनाई थी। इसी योजना में उन्होंने पांडवों को चौसर खेलने का निमंत्रण दिया। पांडवों को लगा कि दुर्योधन उनकी तरफ प्यार और समझौते का हाथ बढ़ा रहा है और वह जाल में फंस गए। पांडव इस बात से वाकिफ नहीं थे कि शकुनि को चौसर खेलने में महारत हासिल थी, वह जैसे चाहता था वैसे चाल पलट देता था और अपनी इच्छा के अनुसार अंक लेकर आता था।
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शकुनि और दुर्योधन की चाल में धर्मराज युधिष्ठिर फंस जाते हैं और चौसर के खेल में अपना राजपाट हार जाते हैं। इतना ही नहीं, वह खुद के साथ-साथ चारों भाईयों को भी हार जाते हैं और कौरवों का दास बनने के लिए तैयार हो जाते हैं।
युधिष्ठिर ने द्रौपदी को दांव पर क्यों लगाया था?
युधिष्ठिर जब चौसर में सब कुछ हार गए और आगे का खेल खेलने के लिए उनके पास कुछ नहीं बचा, तब शकुनि ने एक शर्त रखी। इस शर्त के बदले शकुनि और दुर्योधन, द्रौपदी को नीचा दिखाना और बेइज्जत करना चाहते थे। यह शर्त थी कि अगर धर्मराज युधिष्ठिर अपनी पत्नी पांचाली यानी द्रौपदी को दांव पर लगाते हैं, तो वह राज-पाठ और भाईयों को वापस कर देंगे।
युधिष्ठिर ने खेल में तब द्रौपदी को दांव पर लगा दिया, लेकिन उनकी हार हो गई। महाभारत ग्रंथ के अनुसार, दुर्योधन और शकुनि को इससे बड़ा मौका नहीं मिल सकता था, तब उन्होंने द्रौपदी को बेइज्जत करने के लिए सभा में बुलाया। द्रौपदी को जब पता लगा कि उनके पति ने चौसर के खेल में उन्हें दांव पर लगा दिया और हार गए, तो उन्होंने सवाल उठाया कि वह जब सब कुछ पहले ही हार बैठे थे तो उन्हें किसी दूसरे को दांव पर लगाने का अधिकार किसने दिया।
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श्रीकृष्ण ने की थी द्रौपदी की मदद
चौसर के खेल के बाद जब दुर्योधन ने द्रौपदी को बेइज्जत करने के लिए चीरहरण किया। तब भगवान श्रीकृष्ण ने आकर द्रौपदी की मदद की थी और उन्हें बेइज्जत होने से बचाया था। मान्यताओं के आधार पर कहा जाता है कि महाभारत के युद्ध के पीछे चौसर का खेल और द्रौपदी का चीरहरण सबसे बड़ी वजहों में से एक था।
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Image Credit: hotstar and herzindagi
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