महर्षि वेदव्यास ने महाभारत लिखने के लिए श्री गणेश को ही क्यों चुना था?

महर्षि वेदव्यास जी ने महाभारत बोली थी और इसे लिखने का कार्य भगवान शिव एवं माता पार्वती के पुत्र श्री गणेश ने किया था, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर महर्षि वेदव्यास जी ने महाभारत लिखने के लिए गणेश जी को ही क्यों चुना।  
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हिन्दू धर्म के महाकाव्य महाग्रंथ महाभारत की संरचना महर्षि वेदव्यास जी ने की थी। महर्षि वेदव्यास जी ने महाभारत बोली थी और इसे लिखने का कार्य भगवान शिव एवं माता पार्वती के पुत्र श्री गणेश ने किया था, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर महर्षि वेदव्यास जी ने महाभारत लिखने के लिए गणेश जी को ही क्यों चुना। आइये जानते हैं इस बारे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से।

गणेश जी ने ही क्यों लिखी थी महाभारत?

धर्म-ग्रंथों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि महर्षि वेदव्यास जी के बोलने की गति बहुत तीव्र थी और वह महाभारत ग्रन्थ को शीघ्रता से पूर्ण करना चाहते थे, लेकिन उहें कोई ऐसा लेखक नहीं मिल रहा था जो उनके बोलने की गति के साथ लिख सके।

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इसके अलावा, एक और समस्या थी जो महर्षि वेदव्यास जी को परेशान कर रही थी और वो यह कि उनके द्वारा बोले जाने वाले संस्कृत के शब्द बहुत कठिन और क्लिष्ट थे। ऐसे में बिना रुके उन्हें समझकर तुरंत लिखना हर किसी के लिए संभव नहीं था।

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इन्हीं दो समस्याओं को लेकर महर्षि वेदव्यास जी ब्रह्म देव के पास पहुंचे और उनसे इस समस्या का हल मांगा। ब्रह्म देव ने महर्षि वेदव्यास जी को सुझाव में गणेश जी का नाम बताया जिसके बाद महर्षि वेदव्यास जी गणेश जी को लेने कैलाश पहुंचे।

ved vyas ne ganesh ji ko hi mahabharat likhne ke liye kyu chuna

महर्षि वेदव्यास जी ने गणेश जी से भेंट की और महाभारत का लेखन कार्य करने की प्रार्थना करते हुए यह शर्त रखी कि वहबिना रुके लिखते जाएंगे। यह सुन गणेश जी ने भी महर्षि वेदव्यास जी से हर एक वाक्य एवं हर एक शब्द को समझाने के लिए कहा।

इसके बाद जहां एक ओर महर्षि वेदव्यास जी ने गणेश जी की शर्त मानी तो वहीं, गणेश जी ने महर्षि वेदव्यास जी की शर्त मान ली और इसके बाद महाभारत ग्रन्थ का लेखन आरंभ हुआ एवं महर्षि वेदव्यास जी की इच्छा अनुसार समाप्त भी हो पाया था।

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ऐसा माना जाता है कि महर्षि वेदव्यास जी के द्वारा बोले गए संस्कृत शब्दों को जितना सरलता से गणेश जी समझ सकते थे उतनी सरलता से किसी भी अन्य के लिए समझना संभव नहीं था क्योंकि गणेश जी बुद्धि, चतुराई और ज्ञान के देवता माने जाते हैं।

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image credit: herzindagi

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