हिंदुओं में एक ही गोत्र में शादी करने की क्यों होती है मनाही, जानें कारण

आखिर क्यों हिन्दू धर्म में एक ही गोत्र में शादी न करने की सलाह दी जाती है? आइए जानें इसके कारणों के बारे में। 

why same surname cannot marry

हिंदू धर्म में शादियों के लिए कई प्रथाएं प्रचलित हैं। शादी की कई रस्मों से लेकर रीति रिवाजों तक न जाने कितनी बातें हैं जो इन शादियों को ख़ास बनाती हैं। यूं कहा जाए कि अपनी प्रथाओं की वजह से ही हिंदू शादियों का महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है और इन रिवाजों का पालन करने से रिश्ता मजबूत बना रहता है।

ऐसे ही शादियों से पहले की भी कुछ प्रथाएं हैं जैसे शादी से पहले कुंडली का मिलान करना, कुंडली में सभी तरह की बातों को ध्यान में रखकर शादी को आगे बढ़ाना और इन्हीं रिवाजों में से एक है कुंडली के साथ गोत्र का मिलान करना।

जिस तरह कुंडली मिलान को एक सफल शादी की बुनियाद माना जाता है उसी तरह यह भी मान्यता है कि एक ही गोत्र में शादी नहीं करनी चाहिए। आपमें से कई लोगों ने बड़ों से ये बात कहते हुए कई बार सुनी होगी और शायद इसका कारण ठीक से पता न चल पाया हो। इस बात का पता लगाने के लिए हमने नारद संचार के ज्योतिष अनिल जैन जी से बात की। आइए जानें इसके कारणों के बारे में।

गोत्र क्या होता है?

ज्योतिष में ऐसा माना जाता है कि गोत्र सप्तऋषि (कौन हैं सप्तऋषि) के वंशज का रूप हैं, जिसका अर्थ है 7 ऋषि। सात ऋषि अंगिरस, अत्रि, गौतम, कश्यप, भृगु, वशिष्ठ और भारद्वाज हैं। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार वैदिक काल से ही गोत्रों का वर्गीकरण अस्तित्व में आया था।

वास्तव में सैम गोत्री विवाह और गोत्र का चलन रक्त संबंधियों के बीच विवाह से बचने के लिए स्थापित किया गया था और इस प्रकार यह निर्धारित करने के लिए बाद में सख्त नियम बनाए गए कि कौन किस वंश से विवाह कर सकता है। उसी के साथ इस बात की मनाही भी हुई कि किसी एक ही गोत्र के लड़के को उसी गोत्र की लड़की से शादी नहीं करनी चाहिए।

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एक ही गोत्र में विवाह वर्जित क्यों हैं?

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ज्योतिष की मानें तो एक ही गोत्र में विवाह इसलिए वर्जित होता है क्योंकि मान्यता है कि एक गोत्र का मतलब है कि हमारे पूर्वज भी एक ही थे। इस लिहाज से ये बात सामने आती है कि एक ही गोत्र के लड़के और लड़की आपस में भाई- बहन का रिश्ता रखते हैं।

यदि ज्योतिष की न भी मानें तो ये वैज्ञानिक कारणों से भी वर्जित होता है। दरअसल लड़के और लड़की के बीच डीएनए के घनिष्ठ संबंध उनके वैवाहिक जीवन से लेकर संतान प्राप्ति तक में बाधा उत्पन्न कर सकते हैं।

समान गोत्र वाले लोगों को सगे रिश्तों की तरह माना जाता है और समान-गोत्र-शादियों से बचने के लिए दिया गया तर्क यह है कि जीन की निकटता के कारण आनुवंशिक विकृति उत्पन्न हो सकती है।

किन गोत्रों में नहीं की जाती शादी

हिंदू रिवाजों की मानें तो विवाह (जल्दी शादी के उपाय) तीन गोत्र छोड़कर ही करना चाहिए। इसमें अपना गोत्र, माता का गोत्र और पिता की माता यानी कि दादी के गोत्र को छोड़कर किसी भी गोत्र में शादी करने की सलाह दी जाती है। ज्योतिष में इन गोत्रों में शादी करने से आगे के जीवन में कई समस्याएं हो सकती हैं।

क्या एक गोत्र में विवाह किया जा सकता है?

why we should not marry in same gotra

कुछ ज्योतिषियों का मानना है कि सात पीढ़ी के बाद गोत्र बदल जाते हैं अर्थात सात पीढ़ी से यदि एक ही गोत्र चला आ रहा है तो आठवीं पीढ़ी से गोत्र में परिवर्तन होने की वजह से इस तरह का विवाह किया जा सकता है।

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क्या हैं वैज्ञानिक कारण

अगर वैज्ञानिक शोधों की मानें तो आनुवंशिक बेमेल और संकर डीएनए संयोजनों के कारण रक्त संबंधियों के बीच विवाह करने से संतान पैदा करने में समस्याएं हो सकती हैं। ऐसा माना जाता है कि इस तरह की संतान को कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

हालांकि आजकल विज्ञान ने इतनी उन्नति कर ली है कि लोग ऐसी शादियां करते हैं और उनकी संतान भी स्वस्थ पैदा होती है। लेकिन ज्योतिष और विज्ञान दोनों के अनुसार ऐसा विवाह न करने की सलाह ही दी जाती है।

यहां बताए कारणों की वजह से ही एक गोत्र में शादी करने की मनाही होती है। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से। अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।

images: unsplash.com

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