भारत कई कई सड़कों पर रोशनी कम पाई जाती है और मौसम भी विजिबिलिटी को प्रभावित करता है, जिससे एक्सीडेंट्स का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में रोडसाइड लगे हुए रिफ्लेक्टर सड़क पर सुरक्षा बढ़ाने में मदद करते हैं। वे ड्राइवरों को रास्ता दिखाते हैं, लेन में सही से चलने और खतरों को रोकने में मदद करते हैं। यही कारण है कि सड़क सुरक्षा के लिए रिफ्लेक्टर्स बहुत जरूरी होते हैं। आइए जानते हैं रिफ्लेक्टर्स काम कैसे करते हैं और रात के समय जलने के लिए उन्हें बिजली कहां से मिलती है?
रिफ्लेक्टर दिखने में छोटे लेकिन जरूरी रोड सेफ्टी डिवाइस हैं, जिन्हें कम रोशनी की सिचुएशन में विजिबिलिटी को बढ़ाने के लिए डिजायन किया गया है।रिफ्लेक्टर वाहन की हेडलाइन से आने वाली रोशनी को वापस लौटाते हैं, जिससे ड्राइवर रात में या खराब मौसम में सड़क की सीमाएं, लेन और रुकावटें आसानी से देख पाते हैं।
रोडसाइड लगे हुए रिफ्लेक्टर्स एक खास टेक्नीक से काम करते हैं, जिसे रेट्रोरिफ्लेक्शन कहते हैं। इसमें वाहन की हेडलाइट से आने वाली रोशनी उसी दिशा में वापस लौट जाती है, जिससे सड़क की सीमाएं, लेन और रुकावटें साफ दिखाई देती हैं।
एक्टिव रिफ्लेक्टर- ये रिफ्लेक्टर आमतौर पर हाईवे पर लगाए जाते हैं। इनके अंदर एक सोलर पैनल और बैटरी लगी होती है। दिन के समय सूरज की रोशनी जब सोलर पैनल पर पड़ती है, तो बिजली बनती है और बैटरी चार्ज हो जाती है। वहीं, शाम को इन बैटरी रिफ्लेक्टर्स में लगे सर्किट में बिजली भेजी जाती है और इनमें लगी LED ब्लिंक होने लगती है।
पैसिव रिफ्लेक्टर- इस तरह के रिफ्लेक्टर में जब गाड़ी की तेज रोशनी पड़ती है, तो ये चमकने लगते हैं।
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ये सड़कों पर सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाने वाले रिफ्लेक्टर हैं। ये मजबूत और सड़क की सतह में लगाए जाते हैं, जो ड्राइवरों को रात में और कम रोशनी में सड़क का रास्ता दिखाने में मदद करते हैं। कैट्स आई रिफ्लेक्टर में एक पारदर्शी गुंबद के अंदर रिफ्लेक्टिव मटेरियल होता है, जो वाहनों की हेडलाइट से टकराने वाली रोशनी को उसी दिशा में वापस भेज देता है।
कैट्स आइ रिफ्लेक्टर को एक खास ढांचे में रखा जाता है, जिसकी वजह से ये बारिश, धूप और भारी वाहनों का बोझ उठा लेते हैं। इनके रंगों की खासियत होती है। पीला का मतलब है लेन बदलने का संकेत, सफेद का मतलब है सड़क की सीमाओं को दिखाना और लाल का मतलब खतरे वाले एरिया की पहचान करना।
इस तरह के रिफ्लेक्टर, सड़क की सतह से थोड़े ऊपर उठे हुए लगे होते हैं। ये रात में, कोहरे या बारिश के दौरान सड़क की सीमाएं और लेन मार्किंग दिखाने में मदद करते हैं। रेज़्ड पेवमेंट मार्कर्स (RPMs) रिफ्लेक्टर में एक तरह का रेट्रोरिफ्लेक्टिव मटेरियल लगा होता है, जो गाड़ी की हेडलाइट से टकराने वाली रोशनी को उसी दिशा में वापस भेज देता है। इससे ड्राइवर को आगे की सड़क, मोड़ और लेन देखने में आसानी हो जाती है। ये रिफ्लेक्टर्स कई रंगों के होते हैं जैसे- सफेद, पीला, लाल और नीला।
आमतौर पर RPMs का इस्तेमाल हाईवे, ब्रिज, मोड़, टोल प्लाजा और गहरे धुंध वाले एरिया और लेन डिवाइडर में किया जाता है।
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यह एक रिफ्लेक्टिव मटेरियल से बना टेप होता है, जो अंधेरे या कम रोशनी में चमकता रहता है। यह हेडलाइट से टकराने वाली रोशनी को वापस भेजकर विजिबिलिटी को बढ़ाने में मदद करता है। रिफ्लेक्टिव टेप में छोटे-छोटे प्रिज्म होते हैं, जो रोशनी को उसके सोर्स की तरफ लौटा देते हैं। इन टेप को डिवाइडर, बैरियर, मोड़, पुल और साइन बोर्ड आदि पर लगाया जाता है। इसके अलावा, इन टेप का उपयोग रात में काम करने वाले एरिया को सुरक्षित करने के लिए किया जाता है।
भारत की कई सड़कों पर पर्याप्त स्ट्रीट लाइट नहीं है, वहां पर रोडसाइड रिफ्लेक्टर सुरक्षा बनाए रखने में मदद करते हैं। रिफ्लेक्टर हाईवे में लगे हुए आपको जरूर दिखाई देते हैं, क्योंकि वहां पर सड़कों के किनारे रोशनी नहीं होती है। रिफ्लेक्टर खतरनाक मोड़ और जटिल चौराहे वाले क्षेत्रों में दुर्घटनाओं को कम करने में अहम भूमिका निभाते हैं।
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