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श्री कृष्ण की 16 हजार 108 रानियां किसका अवतार थीं?

श्री कृष्ण की 16 हजार 108 रानियों का जन्म कैसे हुआ था। आज हम आपको बताएंगे कि श्री कृष्ण की आखिर 16 हजार 108 रानियां कैसे बनीं और किसका अवतार थीं ये रानियां।  
Editorial
Updated:- 2025-01-30, 16:30 IST

श्री कृष्ण की 16 हजार 108 रानियां थीं, ये बात तो हम सभी जानते हैं लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि उनकी रानियों की उत्पत्ति कैसे हुई थी। श्री कृष्ण की 16 हजार 108 रानियों का विषय हमेशा से ही न सिर्फ चर्चित बल्कि विवादित रहा है क्योंकि जो लोग कृष्ण लीलाओं को समझने में असमर्थ हैं वो अक्सर कुछ न कुछ गलत इस बारे में बोलते ही हैं और श्री कृष्ण पर उंगलियां उठाते हैं। मगर आज हम आपको बताएंगे कि श्री कृष्ण की आखिर 16 हजार 108 रानियां कैसे बनीं और किसका अवतार थीं ये रानियां। चलिए जानते हैं इस बारे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से।

श्री कृष्ण की 16 हजार 108 रानियों और पत्नियों में क्या अंतर है?

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सबसे पहले तो इस बात को समझिये कि पत्नी होने का अर्थ है अर्धांगिनी जिसके साथ विवाह की रस्में निभाई गई हों और पूर्ण रूप से ब्रह्म विवाह करके गृहस्थ जीवन का आरंभ किया हो एवं परिवार में वृद्धि के लिए पति-पत्नी के बीच मिलन के रूप में संबंध स्थापित हुआ हो।

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न तो श्री कृष्ण ने माता रुकमनी को छोड़कर किसी भी अन्य रानी के साथ किसी भी रूप में विवाह किया था और न ही पारिवारिक एवं गृहस्थ संबंध स्थापित किये थे। श्री कृष्ण ने सिर्फ और सिर्फ लोक लाज से बचाने के लिए उन कन्याओं को अपनी रानियों के रूप में स्वीकार किया था।

पौराणिक कथा में यह भी वर्णित है कि जब उन सभी रानियों के मन में मातृत्व की भावना ने जन्म लिया तब श्री कृष्ण ने उन्हें संतान प्राप्ति का वरदान दिया था। उस वरदान से सभी रानियों को संतान हुई थीं। अब बताते हैं कि कौन थीं श्री कृष्ण की रानियां, किसका अवतार थीं।

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श्री कृष्ण की 16 हजार 108 रानियां किसका अवतार थीं?

भागवत पुराण के अनुसार, श्री कृष्ण की 16 हजार 108 रानियां वो ऋषि थे जिन्होंने कई हजार वर्षों तक तपस्या कर भगवान विष्णु से यह वरदान प्राप्त किया था कि उन्हें स्त्री रूप में द्वापर युग में श्री कृष्ण से प्रेम प्राप्त हो, श्री कृष्ण उनके स्वामी के रूप में उन्हें अपने निवास पर स्थान दें।

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उन्हीं ऋषियों को दिए वरदान को पूरा करने के लिए श्री कृष्ण ने उन ऋषियों को स्त्री रूप में अपनी रानियों के तौर पर स्वीकार किया था। जिस समय द्वापर युग का अंत होने वाला था और श्री कृष्ण की मृत्यु के बाद उनकी रानियां वन में तपस्या करने गई थीं तब वह अपने असली ऋषि रूप में आ गयी थीं।

श्रीमद्भागवत के अलावा, देवी भागवत में तो इस बात को लेकर यह उल्लेख भी मिलता है कि श्री कृष्ण की रानी के रूप में जो ऋषि थे उनका जन्म भगवान शिव से ही हुआ था। उन सभी ऋषियों की उत्पत्ति भगवान शिव से ही हुई थी और इसी के आधार पर कृष्ण की रानियां शिवांश थीं।

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