Lok Sabha Elections 2024: कौन होते हैं एंग्लो इंडियन? संसद से लेकर विधानसभा तक रिजर्व होती थीं सीटें

भारत के संविधान में एंग्लो-इंडियन समुदाय को विशेष दर्जा दिया गया है। देश में लोकसभा के लिए कुल 552 सीटें हैं, जिसमें 530 राज्यों से 20 से ज्यादा केंद्र शासित प्रदेश और 2 एंग्लो इंडियन्स हो सकती हैं।

 

anglo indians whose seats were reserved in parliament

एंग्लो-इंडियन एक ऐसा समुदाय है, जो भारतीय उपमहाद्वीप में रहता है और जिनके पूर्वज भारतीय और ब्रिटिश या यूरोपीय थे। 17वीं शताब्दी में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के आगमन के साथ, ब्रिटिश अधिकारियों और सैनिकों ने स्थानीय महिलाओं से विवाह करना शुरू कर दिया, जिसके बाद यह मिक्सचर समुदाय विकसित हुआ। संसद से लेकर विधानसभा तक क्यों सीट रिजर्व होती थीं। आइए जानते हैं, असल में इनको भारत के संविधान का अनुच्छेद 366 (2) के तहत अधिकार मिलता है।

Who were the Anglo Indian members of the Constituent Assembly

संस्कृति और पहचान

एंग्लो-इंडियन संस्कृति भारतीय और यूरोपीय संस्कृतियों का एक अनूठा मिश्रण है। वे अक्सर अंग्रेजी भाषा बोलते हैं और कई ईसाई धर्म का पालन करते हैं। लेकिन, वे भारतीय संस्कृति के कई पहलुओं को भी बनाए रखते हैं, जैसे कि त्योहार मनाना, पारंपरिक भोजन खाना और हिंदी जैसी स्थानीय भाषाओं का इस्तेमाल करना। यह शब्द खास तौर पर से उन ब्रिटिश वंशजों के लिए इस्तेमाल किया जाता था, जो भारत में काम कर रहे थे और भारतीय मूल के थे।

राजनीतिक प्रतिनिधित्व

एंग्लो-इंडियन समुदाय को उनकी अल्पसंख्यक स्थिति के कारण, भारत के संविधान में विशेष दर्जा दिया गया है। देश में लोकसभा के लिए कुल 552 सीटें हैं, जिसमें 530 राज्यों से 20 से ज्यादा केंद्र शासित प्रदेश और 2 एंग्लो इंडियन्स हो सकती हैं।

लोकसभा में सीट

2020 तक, एंग्लो-इंडियन्स के लिए लोकसभा में दो नामित सीटें आरक्षित थीं। 100 वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 2020 के पारित होने के बाद, इन आरक्षित सीटों को समाप्त कर दिया गया, क्योंकि यह माना गया कि समुदाय ने पर्याप्त सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक प्रगति हासिल कर ली है।

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विधानसभा में सीट

कुछ राज्यों में, जैसे कि पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश, विधानसभाओं में एंग्लो-इंडियन्स के लिए आरक्षित सीटें हैं। ये सीटें समुदाय को विधायिका में प्रतिनिधित्व प्रदान करती हैं और उनकी आवाज सुनिश्चित करती हैं।anglo indian

आज की स्थिति

हालांकि एंग्लो-इंडियन समुदाय भारत में एक छोटा सा समुदाय है, लेकिन उनकी समृद्ध विरासत और संस्कृति देश की सामाजिक ताने-बाने में अहम योगदान देती है।

संसद और विधानसभा में आरक्षित सीटें

भारतीय संविधान ने एंग्लो-इंडियन समुदाय के प्रतिनिधित्व के लिए विशेष प्रावधान किए थे। संविधान के अनुच्छेद 331 के तहत, राष्ट्रपति को लोकसभा में दो एंग्लो-इंडियन सदस्यों को नामांकित करने का अधिकार था। इसी तरह, अनुच्छेद 333 के तहत, राज्यपाल को राज्य विधानसभाओं में एक सदस्य नामांकित करने का अधिकार था।

हाल की स्थिति

हालांकि, 104 वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2019 के बाद, एंग्लो-इंडियन समुदाय के लिए आरक्षित सीटें समाप्त कर दी गईं। यह संशोधन 2020 में प्रभावी हुआ, जिससे लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में एंग्लो-इंडियन समुदाय के लिए नामांकन का प्रावधान समाप्त हो गया।

भारत में एंग्लो-इंडियन परिवारों का रेलवे से गहरा ऐतिहासिक संबंध रहा है। 19वीं और 20वीं शताब्दी के दौरान, कई एंग्लो-इंडियन लोग रेलवे में कई पदों पर कार्यरत थे, जैसे कि इंजीनियर, स्टेशन मास्टर और सिग्नलमैन। इन परिवारों के लोग आज भी खुद को 'रेलवे चिल्ड्रन' कहते हैं।

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Who known as Anglo Indians

एंग्लो-इंडियन समुदाय और 'द ऑल इंडिया एंग्लो-इंडियन एसोसिएशन'

एंग्लो-इंडियन समुदाय ने 1876 में 'द ऑल इंडिया एंग्लो-इंडियन एसोसिएशन' की स्थापना की। इस संगठन का उद्देश्य एंग्लो-इंडियन समुदाय के सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक अधिकारों की रक्षा करना था। यह संगठन आज भी सक्रिय है और समुदाय के मुद्दों को संबोधित करता है।

फ्रैंक एंथोनी: एक प्रमुख एंग्लो-इंडियन नेता

फ्रैंक एंथोनी का जन्म 25 सितंबर 1908 को जबलपुर, मध्य प्रदेश में हुआ था। वह एक प्रमुख एंग्लो-इंडियन नेता और वकील थे। उनकी अहम भूमिका भारतीय संविधान सभा में थी, जहां उन्होंने एंग्लो-इंडियन समुदाय के अधिकारों की वकालत की।

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Image Credit- freepik

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