शिव के कई भक्तों के बारे में आपने जरूर सुना होगा। कभी लोग रावण को उनका सबसे बड़ा भक्त बताते हैं, तो कभी नंदी को उनके परम भक्तों की श्रेणी में गिना जाता है। ऐसे न जाने कितने भक्त हैं जो शिव की महिमा का बखान करते हुए नहीं थकते थे और उनकी भक्ति पर्रे ब्रह्माण्ड में प्रचलित थी।
लोग आज भी इस प्रश्न का जवाब ढूढ़ते हैं कि आखिर महादेव के परम भक्तों में से कौन सबसे ज्यादा प्रसिद्द है। महादेव के भक्तों की श्रेणी में रावण, नंदी या भगवान विष्णु का नाम सबसे प्रमुख आता है। आइए जानें शिव के परम भक्त से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में।
यदि हम पुराणों की बात करें तो भगवान शिव के परम भक्तों में से रावण को सबसे बड़े भक्त का दर्जा दिया गया है। ऐसा भी माना जाता है कि भगवान शिव ने स्वयं ही रावण को अपने सबसे बड़े भक्तों में से एक बताया है।
महादेव क्रोध करने के लिए जाने जाते हैं तो शीघ्र प्रसन्न होने वाले भी हैं। भक्त भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए पवित्र जल और बेल पत्र से उनका अभिषेक करते हैं। रावण को शिव का परम भक्त इसलिए ही बताया जाता है क्योंकि उन्होंने शिव को पाने के लिए ऐसी तपस्या की थी जो कभी किसी ने नहीं की।
रावण को व्यापक रूप से एक दुष्ट चरित्र के रूप में चित्रित किया जाता है, हालांकि उसके पास कई गुण भी हैं जो उसे एक विद्वान बनाते हैं। रावण को शिव का सबसे सम्मानित भक्त माना जाता है और आज भी और आज भी कुछ मंदिरों में रावण के चित्र शिव से जुड़े हुए देखे जाते हैं।
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रावण ने शिव भक्ति में शिव तांडव स्रोतका निर्माण किया था और यह स्रोत आज भी शिव की भक्ति में सबसे प्रमुख स्रोतों और श्लोकों में से एक माना जाता है। इस स्त्रोत को शिव के भक्त बड़ी ही श्रद्धा से वाचन करते हैं।
शिवजी से जुड़ी एक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के समय हलाहल विष निकला था। संपूर्ण संसार की रक्षा के लिए शिवजी ने स्वयं इसे पी लिया था। लेकिन विषपान करते समय कुछ बूंदे धरती पर गिर गई थीं, जिसे नंदी ने चाट लिया।
नंदी का ये प्रेम और समर्पण देख भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्होंने नंदी को अपने सबसे बड़े भक्त की उपाधि दी। इस तरह नंदी भगवान शिव की सवारी के साथ ही उनके सबसे बड़े भक्त भी कहलाने लगे। नंदी को भगवान भोलेनाथ का भक्त होने के साथ उनका वाहन बनने का भी सौभाग्य प्राप्त था। किसी भी शिव मंदिर में मंदिर के बाहर नंदी जी की मूर्ति होती है और ऐसी मान्यता है कि वो भक्तों का सन्देश भगवान शिव तक पहुंचाते हैं।
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भगवान शिव के परम भक्तों में से विष्णु जी भी एक हैं। दरअसल विष्णु और शिव को पुराणों के अनुसार एक दूसरे का भक्त बताया जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु जितने शिव जी के भक्त थे उतने ही बड़े भक्त भगवान शिव भी विष्णु के थे।
दोनों हमेशा एक दूसरे की भक्ति में लीन रहते थे और एक दूसरे की पूजा करते थे। भगवान शिव को महादेव भी कहा जाता है और ऐसी मान्यता है कि वो अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं और विष्णु जी भी भक्तों की मनोकामनाओं को पूरा करते हैं।
भगवान शिव के न जाने कितने भक्तों में से सबसे प्रमुख रावण को ही माना जाता है और उनकी भक्ति को लोग आज भी याद करते हैं।
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