herzindagi
who was lord ram grandson

Mahabharat Katha: कौन था श्री राम का पोता जिसने पांडवों को महाभारत युद्ध में था ललकारा

महाभारत से जुड़े ऐसे कई किस्से हैं जो न सिर्फ रहस्य से भरे हुए हैं बल्कि हैरान कर देने वाले भी हैं। इन्हीं में से एक किस्सा है श्री राम के पोते का महाभारत युद्ध में पांडवों को ललकारने का। आइये जानते हैं इसके बारे में। 
Editorial
Updated:- 2023-04-06, 18:55 IST

Mahabharat Mein Shri Ram Ka Pota: महाभारत युद्ध ब्रह्मांड का सबसे भीषण युद्ध माना जाता है। महाभारत ग्रंथ के अनुसार, इस युद्ध में हर एक दिन लाखों की तादात में योद्धाओं की मृत्यु होती थी। यह युद्ध इतना भयंकर था कि आज भी कुरुक्षेत्र की वह भूमि लाल बनी हुई है। ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स का कहना है कि इस भूमि का लाल रंग उन अनगिनत योद्धाओं के लहु का प्रतीक है जो उस युद्ध में मारे गए थे।

महाभारत से जुड़े ऐसे कई रहस्य हैं जो आज भी एक पहेली रूपी अंधेरी गुफा में कैद हैं। उन्हीं में से एक है वो रहस्य जो महाभारत में श्री राम के पोते के होने को बयां करता है। माना जाता है कि श्री राम के पोते ने महाभारत युद्ध में हिस्सा लिया था। हालांकि इस युद्ध में उन्होंने पांडवों के बजाय कौरवों का साथ दिया था। कहा ये भी जाता है कि श्री कृष्ण की प्रेरणा से ही पांडवों द्वारा उन्हीं के पुर्व अवतार यानी श्री राम के पोते का वध हुआ था।

who was lord rama grandson

  • पांडवों को उम्मीद थी कि धर्म के मार्ग पर होने के कारण सभी राज्य उनके पक्ष में खड़े होंगे लेकिन अधिकतर राज्य कौरवों के पक्ष में जा खड़े हुए और कौरवों की सेना की संख्या अधिक होती चली गई।

इसे जरूर पढ़ें: Mahabharat Katha: 18 दिन तक ही क्यों चला था महाभारत का युद्ध?

  • हैरान की बात यह थी कि जब श्री राम की नगरी अयोध्या का समर्थन भी कौरवों को मिला और पांडवों के हाथ कुछ नहीं आया। जिस समय यह युद्ध हुआ उस समय श्री राम के पोते अयोध्या नरेश थे।
  • श्री राम के पोते ब्रिहद्बल अत्यंत शक्तिशाली थे। बृहद्बल श्री राम के ज्येष्ठ पुत्र कुश की 32वीं पीढ़ी में जन्मे थे। महाभारत युद्ध के समय बृहद्बल ही रघुकुल वंश के प्रतीक थे। बृहद्बल ने हर प्रकार की युद्ध विद्या में माहिर थे।
  • बृहद्बल महाभारत युद्ध के सर्वश्रेष्ठ और सर्वशक्तिशाली योद्धाओं में से एक थे। महाभारत युद्ध में उन्होंने कौरवों का साथ और पांडवों को युद्ध की चुनौती दी थी। बृहद्बल अकेले ही पांडवों को परास्त करने का साहस रखते थे।
  • बृहद्बल न सिर्फ शक्तिशाली सूर्यवंशी थे बल्कि वह धर्म परायण की मूरत भी थे। उन्होंने अपने जीवन में अपने वंशजों रघु, भागीरथ, हरिश्चंद्र और विष्णु अवतार श्री राम की भांति ही कई धार्मिक कार्य किये थे।
  • महाभारत ग्रंथ के अनुसार, बृहद्बल के महाभारत युद्ध में कौरवों का साथ देने के पीछे का कारण पांडवों द्वारा हुआ एक अपराध था। असल में जब पांडव युद्ध से पहले इन्द्रप्रस्थ के स्वामी बने तब उन्होंने राजसूयी यज्ञ का संकल्प लिया था।

इसे जरूर पढ़ें:Karna Love Story: क्या द्रौपदी थीं कर्ण का पहला प्यार, जानें किससे हुआ था अंगराज का विवाह

  • यज्ञ के पश्चात युधिष्ठिर ने अपने भाइयों को विश्व के सभी राज्यों पर अपना आधिपत्य करने का आदेश देते हुए युद्ध के लिए भेजा। भीम, नकुल, सहदेव और अर्जुन (अपने ही बेटे के हाथों क्यों मारे गए अर्जुन) भाई की आज्ञाको पूरा करने अलग-अलग राज्यों में पहुंचे।

lord rama grandson

  • इन्हीं में से एक राज्य था अयोध्या जहां भीम ने बृहद्बल को हराकर अयोध्या को अपने आधीन कर लिया था। इसी के बाद से बृहद्बल ने पांडवों को सबक सिखाने के लिए महाभारत युद्ध में कौरवों का साथ दिया।
  • हालांकि श्री कृष्ण के आदेश पर बृहद्बल ने अपनी पूर्ण शक्ति का युद्ध में प्रयोग नहीं किया था और इसी के कारण महाभारत युद्ध के तेरवें दिन ब्रिहद्बल अर्जुन पुत्र अभिमन्यु के हाथों वीरगति को प्राप्त हुए थे।

तो ये था श्री राम का पोता जिसने महाभारत युद्ध में पांडवों को ललकारा था। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

Image Credit: social media

यह विडियो भी देखें

Herzindagi video

Disclaimer

हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, [email protected] पर हमसे संपर्क करें।