किसी भी मंदिर या पूजा के स्थान पर आप सभी ने घंटी रखी हुई जरूर देखी होगी। दरअसल ज्योतिष में ऐसी मान्यता है कि इस घंटी के बिना पूजा अधूरी होती है। आरती या आरती के बाद लोग घंटी बजाते हैं और अपनी मनोकामनाएं भगवान् तक पहुंचाते हैं।
यह घंटी सभी नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करके वातावरण को पवित्र बनाती है और सकारात्मक प्रभाव डालती है। हम सभी पूजा के समय घंटी बजाते हैं और आरती में भी इसका इस्तेमाल करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि पूजा की घंटी में किस देवता का चित्र अंकित होता है और इसका क्या महत्व है। आइए ज्योतिषाचार्य डॉ आरती दहिया जी सेजानें पूजा की घंटी से जुड़ी कुछ ख़ास बातों के बारे में।
पूजा घंटी में क्यों अंकित होते हैं गरुड़ भगवान
दरअसल पूजा की घंटी में गरुड़ भगवान की छवि अंकित होती है और उनकी पूजा से विशेष फल मिलता है। गरुड़ घंटी छोटे आकार की होती है जिसे आप एक हाथ से बजा सकते हैं। ऐसा माना जाता है की इस गरुड़ घंटी का पूजा में इस्तेमाल करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। जिस घर में गरुड़ घंटी का इस्तेमाल होता है वहां सदैव सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
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गरुड़ भगवान कौन हैं विष्णु जी का वाहन
गरुड़ भगवान हैं। गरुड़ भगवान हिन्दू धर्म केमहत्वपूर्ण पक्षी (किन पक्षियों को पानी पिलाने से मिलता है पुण्य)और भगवान के रूप में पूजे जाते हैं। पूजा की घंटी में इनका चित्र अंकित करने के पीछे के कारणों के बारे में यह माना जाता है कि भगवान विष्णु के वाहन के रूप में भक्तों का संदेश भगवान तक पहुंचाया जाता है। इसलिए गरुड़ घंटी बजाने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है और प्रार्थना भक्तों से सीधे भगवान तक पहुंच जाती है।
मंदिर में गरूड़ घंटी के बजाने फायदे
ऐसा माना जाता है कि यदि आप घर के आस-पास के किसी मंदिर में घंटी का इस्तेमाल करती हैं तो जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। इसकी ध्वनि घर के आसपास के वातावरण को शुद्ध करती है।
घंटी बजाने से वातावरण में फैलने से जीवाणु और सूक्ष्म जीवों को नष्ट किया जा सकता है। यदि आप घर के मंदिर में सुबह शाम घंटी बजाती हैं तो आपको सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
पूजा के लिए कौन सी घंटी सबसे ज्यादा शुभ है
पूजा के स्थान पर गरुड़ घंटी को सबसे ज्यादा शुभ माना जाता है और यदि धातुओं की बात करें तो घंटी हमेशा पीतल की बनी होनी चाहिए। ज्योतिष के अनुसार पीतल सबसे पवित्र धातु मानी जाती है और पूजा की घंटी से लेकर पूजा के बर्तनों तक पीतल का इस्तेमाल शुभ माना जाता है। कुछ लोग पूजा में स्टील की घंटी का इस्तेमाल भी करते हैं जो शुभ नहीं माना जाता है।
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घंटियों के होते हैं कितने प्रकार
घंटी मुख्य रूप से 4 प्रकार की होती हैं जिसमें सबसे पहली गरुड़ घंटी है, दूसरी द्वार घंटी होती है जो आमतौर पर मंदिर में होती है, तीसरी घंटी हाथ घंटी को माना जाता है और चौथी घंटी वो होती है जो मंदिर के मुख्य द्वार पर लगी होती है।
पूजा के समय गरुड़ घंटी का विशेष महत्व है और इसके इस्तेमाल से आपके घर में खुशहाली बनी रहती है। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
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