हम सभी लोग नियमित रूप से पूजा पाठ करते हैं और ऐसा माना जाता है कि पूजा पाठ से सुख समृद्धि मिलती है। यही नहीं पूजा से मानसिक शक्ति बढ़ती है जिससे हम आने वाले समय में और वर्तमान में चल रही कई समस्याओं का समाधान निकालने में सक्षम होते हैं। इससे हमारी जिंदगी आगे बढ़ती है और हमें ख़ुशी महसूस होती है। इसलिए मुख्य रूप से प्रत्येक व्यक्ति पूजा पाठ में मन जरूर लगाता है। जब बात आती है पूजा में इस्तेमाल होने वाली धातुओं की तो पूजा पाठ में कुछ विशेष धातुओं के बर्तनों का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है।
वहीं पूजा की मूर्तियां भी कुछ विशिष्ट धातुओं की ही बनी होती हैं। दरअसल ऐसा माना जाता है कि ये सभी धातुएं हमारी सकारात्मक ऊर्जा को अब्सॉर्ब करती हैं। इसके अलावा कुछ ऐसी धातुएं भी हैं जिनसे कुछ नकारात्मक ऊर्जा निकलती है इसलिए पूजा में भूलकर भी इनका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। आइए नारद संचार के ज्योतिष अनिल जैन जी से जानें कि पूजा में आपको किन धातुओं का इस्तेमाल करना चाहिए और किनके इस्तेमाल से बचें।
पूजा में सोने और पीतल का इस्तेमाल शुभ है
पूजा पाठ के लिए और मूर्तियों के लिए सोना, चांदी, पीतल और तांबे की मूर्तियां और पात्र सबसे ज्यादा शुभ माने जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि ये सभी धातुएं सकारात्मक ऊर्जा को अवशोषित करती हैं। ये सभी धातुएं अत्यंत शुभ मानी जाती हैं। सोना और पीतल को गुरु ग्रह की धातु (कुंडली में बृहस्पति को मजबूत बनाने के टिप्स) माना जाता है। गुरु हमें ईश्वरीय शक्ति प्रदान करता हैं और सुख समृद्धि का कारक होता है। इससे जुड़ी किसी भी धातु का इस्तेमाल करने से ईश्वर का हाथ हमेशा हमारे सिर पर बना रहता है। इसलिए पूजा पाठ में सोने और पीतल की धातु का इस्तेमाल सर्वोच्च माना जाता है।
पूजा में चांदी के बर्तनों का करें इस्तेमाल
जब बात पूजा पाठ में चांदी के बर्तनों की आती है तो इसे भी अत्यंत शुभ माना जाता है क्योंकि चांदी को चन्द्रमा का कारक माना गया है और यह हमारे मन का कारक है। चन्द्रमा को सुख समृद्धि का कारक भी माना जाता है, ज्योतिष के अनुसार यह अत्यंत उपयोगी ग्रह है। जो लोग मानसिक रूप से शक्तिशाली होते हैं वही सफलता प्राप्त करते हैं और यह चंद्रमा के शक्तिशाली होने से जुड़ा हुआ है। यदि आप चन्द्रमा को अपने जीवन में शक्तशाली बनाना चाहते हैं तो आपके लिए जरूरी है कि आप पूजा पाठ में चांदी के बर्तनों का इस्तेमाल करें और चांदी की मूर्तियों की पूजा करें।
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पूजा में तांबे का इस्तेमाल भी शुभ है
तांबा धातु को सूर्य का कारक माना जाता है। सूर्य को आत्मा का कारक माना जाता है और यह आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है। यदि पूजा पाठ में इस धातु का इस्तेमाल किया जाता है तो आध्यात्मिक बल बढ़ जाता है। तांबे के बर्तनों का इस्तेमाल करने से मन में सूर्य मजबूत होता है और पूजा का संपूर्ण फल भी मिलता है।
पूजा में इन धातुओं का न करें इस्तेमाल
पूजा में मुख्य रूप से स्टेनलेस स्टील, एल्युमिनियम, लोहा इन सभी धातुओं के इस्तेमाल से बचना चाहिए। दरअसल एल्युमिनियम को रगड़ने से एक काला पदार्थ निकलता है और स्टेनलेस स्टील एक प्राकृतिक धातु नहीं है और ज्योतिष के अनुसार पूजा पाठ में सिर्फ प्राकृतिक धातुओं का इस्तेमाल करने की ही सलाह दी जाती है। जब बात लोहे की आती है तो ऐसा माना जाता है कि जब लोहा पानी और हवा के संपर्क में आता है तब इसमें जंग लगने लगता है जो कि पूजा के लिए उपयुक्त नहीं है। ज्योतिष शास्त्र इन सभी धातुओं के इस्तेमाल से बचने की सलाह देता है और इसलिए ही इन धातुओं की मूर्तियों की पूजा भी वर्जित मानी जाती है।
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पूजा पाठ में हमेशा प्राकृतिक धातुओं का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है और जो कृत्रिम रूप से बनने वाली धातुएं हैं उन्हें पूजा में शामिल न करना ही अच्छा माना जाता है। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
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