मेगास्टार अमिताभ बच्चन को सदी का महानायक कहा जाता है। उनके चर्चे हर जगह होते हैं और एक उम्र के बाद उनकी एक्टिंग में जो परिपक्वता आई है वो तारीफ के काबिल है। अगर बात बच्चन परिवार की करें तो उसका राजनीति से हमेशा से ही बहुत गहरा नाता रहा है। हरिवंश राय बच्चन और तेजी बच्चन इंदिरा गांधी के बहुत खास हुआ करते थे। इतने खास कि सोनिया गांधी को शादी से पहले तेजी बच्चन के घर ही रखा गया था। अमिताभ बच्चन, जया बच्चन एक समय पर अमर सिंह के बहुत करीब थे और अब जया बच्चन सांसद भी हैं।
पर क्या आप जानते हैं कि अमिताभ बच्चन ने भी एक समय पर चुनाव लड़ा था और रिकॉर्ड वोटों से जीत हासिल की थी? आपको शायद ये जानकर यकीन न हो, लेकिन अमिताभ बच्चन ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा को हराया था। उस समय बहुगुणा को हराना लगभग नामुमकिन माना जाता था, लेकिन हमारे एंग्री यंग मैन ने उस दौर में ये किया था। इसके बाद जो हुआ वो तारीफ के काबिल है क्योंकि अमिताभ बच्चन के कहने पर रातों रात राष्ट्रपति भवन का एक नियम भी बदल दिया गया था।
क्या है बिग-बी के चुनाव लड़ने का पूरा किस्सा?
हमारे बिग-बी यानि अमिताभ बच्चन ने अपने दोस्त राजीव गांधी के कहने पर 1984 में इलाहाबाद (अब प्रयागराज) से चुनाव लड़ने के लिए हां कर दी थी। ये वो दौर है जब बिग-बी की लोकप्रियता अपने चरम पर थी और अमिताभ जी को चुनाव में कोई खास दिलचस्पी नहीं थी। राजीव गांधी और बिग-बी के रिश्ते इतने नजदीकी थे कि दोनों एक दूसरे की बात कभी नहीं टालते थे। यहां तक कि रशीद किदवई ने अपनी किताब 'Neta–Abhineta: Bollywood Star Power in Indian Politics' में साफ लिखा है कि अमिताभ और राजीव गांधी की नजदीकियां इतनी थीं कि कई बार सरकार के कुछ अहम फैसले भी अमिताभ बच्चन से मशवरे के बाद लिए जाते थे।
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अमिताभ बच्चन ने 8वें लोकसभा चुनाव में एच.एन.बहुगुणा जैसे कद्दावर नेता के खिलाफ मोर्चा संभाला। इलाहाबाद में उस वक्त अमिताभ बच्चन की एक रैली के लिए हज़ारों लोग खड़े हो गए। बिग-बी की जीत भी उस चुनाव में बहुत ऐतिहासिक थी। 68.2% वोटों के साथ अमिताभ बच्चन ने बहुगुणा को हराया था, उन दोनों के बीच वोटों का अंतर लगभग पौने दो लाख का था।
आखिर क्यों बदला गया राष्ट्रपति भवन का नियम?
चुनाव जीतने के बाद बिग-बी संसद के सदस्य बनाए गए थे। उन्हें अन्य सांसदों के साथ राष्ट्रपति भवन में डिनर पर बुलाया गया था। बिग-बी इस दौरान बहुत ही सौम्यता से सबसे व्यवहार कर रहे थे और यकीनन उनके अंदर राजनीतिक गलियारों में घूमने की काबिलियत भी थी। जब सभी लोग डिनर के लिए बैठे तो उनकी नजर थाली पर पड़ी। उस दौरान राष्ट्रपति भवन की थालियों में अशोक स्तंभ का चिन्ह बना हुआ होता था। राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ को थाली पर बना देख बिग-बी को काफी असहज महसूस हुआ और उन्हें ये राष्ट्रीय चिन्ह का अपमान लगा।
राष्ट्रीय चिन्ह आखिर ऐसे कैसे किसी की थाली का हिस्सा हो सकता है इसपर बिग-बी ने अपने विचार वहां बैठे सभी लोगों के सामने व्यक्त किए। राजनेताओं के बीच अमिताभ बच्चन का ऐसा कहना बहुत ही प्रभावशाली सिद्ध हुआ और वहां बैठे अधिकतर लोगों ने इसे सही ठहराया।
इस घटना के कुछ ही दिनों बाद एक नया कानून पारित हुआ जहां राष्ट्रपति भवन की सभी थालियों से राष्ट्रीय प्रतीक हटाने का फैसला लिया गया। राष्ट्रपति भवन की थालियों से जुड़ा ये नियम अमिताभ बच्चन के कहने पर ही बदला गया। वैसे तो बिग-बी अच्छे नेता साबित होते, लेकिन कुछ ही समय बाद उन्होंने अपना राजनीतिक करियर छोड़ दिया।
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आखिर क्यों नहीं चला अमिताभ बच्चन का पॉलिटिकल करियर?
बिग-बी ने सिर्फ 3 साल के अंदर ही अपने सांसद पद से इस्तीफा दे दिया था और वो वापस कभी पलट कर राजनीति में नहीं आए। बिग-बी ने राजनीति को छोड़ते समय ये भी कहा था कि ये एक कीचड़ है। ऐसा इसलिए हुआ था क्योंकि राजीव गांधी के दौर में हुए बोफोर्स स्कैम का पर्दाफाश करते हुए एक न्यूजपेपर ने बिग-बी और उनके भाई पर भी इस स्कैम में शामिल होने का आरोप लगाया था।
ये बात अमिताभ बच्चन को कतई पसंद नहीं आई थी और उन्होंने इसके लिए कानूनी दरवाज़ा खटखटाया था। बिग-बी को कोर्ट ने निर्दोष करार दिया था और उनके लिए स्वीडिश पुलिस चीफ स्टेन लिंडस्टॉर्म ने गवाही भी दी थी। बाइज्जत बरी होने के बाद बिग-बी ने दोबारा कभी राजनीति की तरफ नहीं देखा।
हां, आर्थिक तंगी के दौर में बिग-बी के दोस्त अमर सिंह ने उन्हें काफी सपोर्ट किया था जो समाजवादी पार्टी से थे। अमर सिंह और बच्चन परिवार की दोस्ती को बहुत ही अच्छा माना जाता था। यही कारण है कि हमेशा से कांग्रेसी होने के बाद भी बच्चन परिवार ने समाजवादी पार्टी का साथ दिया और अब जया बच्चन भी समाजवादी पार्टी से ही सांसद हैं।
अब तो आप समझ ही गए होंगे कि बच्चन परिवार और पॉलिटिक्स का कितना गहरा नाता है। बॉलीवुड की ऐसी ही चटपटी खबरें लेकर हम आते रहेंगे आपके पास। तब तक के लिए जुड़े रहें अपनी पसंदीदा वेबसाइट हरजिंदगी से।
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