कहते हैं कि प्यार के आगे किसी का ज़ोर नहीं चलता और प्यार से दुनिया जीती जा सकती है। जहां भी ये कहा जाता है कि दुनिया का सबसे खूबसूरत इमोशन प्यार ही होता है। वैसे ऐसा नहीं है कि प्यार का रास्ता आसान होता है क्योंकि हीर-रांझे से लेकर रोमियो-जूलियट तक किसी का प्यार पूरा नहीं हो पाया है, लेकिन कई ऐसे भी हैं जो हर मुश्किल से आगे निकलकर प्यार की खातिर पूरी दुनिया से लड़ जाते हैं और फतेह हासिल करते हैं। ऐसा ही एक जोड़ा है नसीरुद्दीन शाह और रत्ना पाठक शाह का।
हाल ही में नरीरुद्दीन शाह ने अपने और अपनी पत्नी के रिश्ते को लेकर एक बहुत ही खूबसूरत बात कही है। दरअसल, कारवां-ए-मोहब्बत नाम के एक सीरियल में नसीरुद्दीन शाह ने लव जिहाद के टॉपिक पर अपना पक्ष रखा और अपने इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि जब उनकी मां ने उनसे पूछा था कि क्या वो अपनी पत्नी का धर्म बदलवाना चाहते हैं तो उन्होंने क्या कहा था।
जब मां ने पूछा क्या अपनी पत्नी का धर्म बदलाओगे?
नसीर जी ने अपने इंटरव्यू में शादी और धर्म परिवर्तन को लेकर खुलकर बात की और अपनी मां के साथ बातचीत का एक किस्सा सुनाया-
नसीरुद्दीन शाह की मां ने रत्ना से शादी से पहले उनसे सवाल किया था, 'तुम्हारी पत्नी हिंदू है, क्या तुम उसका ईमान बदलवाओगे?' नसीर जी ने आगे अपनी बात कहते हुए कहा, 'मैंने सीधे मना कर दिया। मैंने कहा कि किसी का धर्म कैसे बदला जा सकता है। वो हिंदू हैं और हिंदू ही रहेंगी। इसपर मेरी मां जो पढ़ी-लिखी नहीं थी, 5 बार की नमाज़ी थी और एक कट्टर परिवार से थी, उन्होंने भी कहा कि हां बिलकुल सही, भला किसी का धर्म कैसे बदल सकते हैं। जो बचपन से सीखा-पढ़ा है उसे कैसे बदला जा सकता है।'
नसीर जी की मानें तो इस समय जो भी चीज़ें अलगाव पैदा करने की कोशिश कर रही हैं वो बहुत ही खराब हैं और इससे सिर्फ नुकसान ही होना है।
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पहली शादी और अलगाव के बाद रत्ना से मिले थे नसीर-
नसीरुद्दीन शाह और रत्ना पाठक शाह दो ऐसे लोग हैं जिन्होंने एक दूसरे को समझा और कई दशकों से एक दूसरे का साथ निभाया। दोनों 1975 में मिले थे और पिछले 45 सालों से एक साथ ही हैं।
जहां तक बात नसीरुद्दीन की पहली शादी की है तो वो सिर्फ 19 साल के थे जब उन्हें एक पाकिस्तानी मेडिकल स्टूडेंट पुरवीन से प्यार हो गया था जो अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पढ़ने आई थीं। इस जोड़े ने 1 नवंबर 1969 को शादी कर ली थी और महज 10 महीने बाद उनकी पहली बेटी हीबा पैदा हुई थीं। पर आपसी अलगाव ने इस जोड़े को हीबा के जन्म के कुछ समय बाद ही अलग कर दिया।
नसीरुद्दीन की जिंदगी में 1975 में रत्ना पाठक शाह आईं। उस दौर में नसीरुद्दीन शाह FTII ग्रैजुएट थे और रत्ना कॉलेज स्टूडेंट। उस समय दोनों सत्यदेव दुबे के नाटक 'संभोग से सन्यास तक' में साथ काम कर रहे थे। दोनों ने इसके बाद कई महीनों तक एक साथ कई नाटक किए और एक दूसरे के करीब आते चले गए। नसीरुद्दीन और रत्ना ने उस समय लिव इन का फैसला लिया जब ये सब कुछ बहुत ही नया माना जाता था। उनकी उम्र में फांसला था, उनके धर्म अलग थे, लेकिन उनके दिल एक थे और दोनों 1982 तक लिव-इन रिलेशनशिप में रहे।
भले ही रत्ना और नसीर उस समय तक जाने माने नाम बन चुके थे, लेकिन दोनों ने एक साधारण शादी के बारे में सोचा। रत्ना की मां दीना पाठक के घर में दोनों की रजिस्टर्ड मैरिज हुई। 1 अप्रैल 1982 को ये जोड़ा एक साथ शादी के बंधन में बंध गया।
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परिवार के तीनों बच्चे नसीर और रत्ना के लिए एक समान-
जब पुरवीन की मौत हो गई तो हीबा नसीर और रत्ना के साथ आकर रहने लगी, लेकिन इस बात ने कभी रिश्तों में खटास नहीं पैदा की। इस जोड़े के दो बेटे हैं विवान और इमाद शाह और दोनों ही अपनी-अपनी तरह से आगे बढ़ रहे हैं और फिल्मों में भी दिखने लगे हैं। हीबा शाह मीडिया से इतनी घुली-मिली नहीं हैं, लेकिन कई फैमिली आउटिंग्स में साथ नजर आती हैं।
नसीर और रत्ना खुद को आखिरी पीढ़ी के लिबरल्स मानते हैं क्योंकि उन्हें समाज के दायरे और अंधविश्वासों पर यकीन नहीं। वो एक खुशहाल जिंदगी जीते हैं जहां हर धर्म को आज़ादी है और हर किसी के दिल में प्यार है।
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