लोक आस्था के प्रतीक छठ महापर्व की शुरुआत 17 नवंबर से शुरू होकर 20 नवंबर को भोर अर्घ्य के साथ संपन्न हो गई है। छठ के पहले दिन को नहाय खाय होता है, जिसमें लोग कद्दू भात खाते हैं। दूसरे दिन खरना पूजा, जिसमें गुड़ की खीर और रोटी की पूजा होती है, फिर तीसरे दिन संध्या अर्घ्य और चौथे दिन भोर अर्घ्य के साथ पूजा संपन्न होती है। इस छठ महापर्व को सभी व्रतों में सबसे कठीन माना गया है। इस पर्व को लेकर मान्यता है कि जो भी छठ के व्रत को पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ रखेगा उसकी सभी मनोकामना भगवान सूर्य और छठी मैया पूरा करती हैं। छठ पूजा में भगवान सूर्य के सभी रूपों की पूजा की जाती है। छठ के इस पूजा में बांस से बने सूप और डागर का विशेष महत्व है। बांस के सूप और डागर में छठी मइया और सूर्य देव को समर्पित करने वाली पूजन सामग्री रखी जाती है। बहुत से श्रद्धालुओं और व्रत रखने वाली माताओं एवं बहनों को यह नहीं पता होता है, कि पूजा में इस्तेमाल किए हुए डागर और सूप का पूजन के बाद क्या करना चाहिए? तो चलिए जानते हैं, इसके बारे में...
छठ पूजा के लिए बांस के सूप और डागर का उपयोग क्यों जरूरी है?
आस्था के प्रतीक छठ महापर्व में सालों से बांस के बने सूप और डागर का ही इस्तेमाल होता है। इसे लेकर मान्यता है कि बिना बांस के सूप और डागर के पूजा और व्रत निष्फल हो जाता है। बता दें कि बांस को शुद्धता और सुख समृद्धि का प्रतीक माना गया है। इसे लेकर लोगों में यह मानना है कि धरती में बांस का पेड़ सभी पेड़ से पहले और तेजी से बढ़ता है, उसी प्रकार संतान की प्रगती हो इसलिए बांस से बने सूप और डागर का उपयोग छठ पूजा में किया जाता है। यह तो आप सभी जानते हैं कि छठ का यह पावन पर्व संतान और परिवार की खुशहाली और प्रगती के लिए किया जाता है।
पूजा के बाद सूप और डागर का क्या करें?
छठ पूजा के दौरान पूजन सामग्री रखने और सूर्य देव को सामग्री अर्पित करने के लिए सूप और डागर का उपयोगकिया जाता है। पूजा के बाद बहुत से लोगों को इस सूप और डागर का क्या करना है यह नहीं पता होता है। बता दें कि इस डागर और सूप को किसी को नहीं देना चाहिए साथ ही, न ही इसे कहीं भी फेंकना या रखना चाहिए, इससे देव नाराज हो सकते हैं। छठ पूजा के समाप्ति के बाद इसे अपने घर के काम काज के लिए उपयोग किया जाना चाहिए, ऐसा करने से भगवान की कृपा बनी रहती है। बांस के सूप और डागर का उपयोग यदि आप अपने घर के काम के लिए नहीं कर रहे हैं, तो आप इसे दान के भाव से किसी जरूरतमंद व्यक्ति को दें और उससे अपने परिवार की खुशहाली की कामना करें। छठ पूजा के सूप और डागर को कहीं भी फेंकने की गलती बिल्कुल न करें नहीं तो सूर्य देव और छठी मैया नाराज हो सकती हैं।
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Image Credit: Herzindagi
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