छठ पूजा को पर्व नहीं बल्कि महापर्व में के रूप में जाना जाता है। उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में इस महापर्व को बहुत ही उत्साह से मनाया जाता है। छठ के इस त्योहार को प्राकृतिक तरीके और पूर्ण शुद्धता से मनाया जाता है। छठ का त्योहार एक मात्र ऐसा पर्व है जिसमें व्रती 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखती हैं। इस पर्व को लेकर यह भी मान्यता है कि इसे पूर्ण सुद्धता और सच्चे मन से करने पर व्रत रखने वाले की सभी मनोकामना पूरी होती है। इस पर्व के बारे में तो सभी जानते हैं, लेकिन बहुत से लोगों के मन में यह सवाल रहता है कि इस पर्व में किन देवी-देवताओं की पूजा होती है और छठी मैया कौन है? आज के इस लेख में हम आपको इस पूजा में पूजे जाने वाले सभी देवी देवताओं और छठी मैया के बारे में बताएंगे।
छठ के इस महापर्व में छठी मैया और भगवान सूर्य देव की पूजा आराधना होती है। पैराणिक कथा के अनुसार छठी मैया को ब्रम्हदेव की मानस पुत्री और भगवान सूर्य की बहन बताया गया है। छठी मैया को संतान प्राप्ति की देवी कहा जाता है और सूर्य देव को शरीर के मालिक या देवता कहा गया है। पुराणों में यह मान्यता है कि जब ब्रम्हा देव सृष्टि की रचना कर रहे थे तब उन्होंने अपने आप को दो भाग में बांट दिया था। एक भाग को पुरुष और दूसरे भाग को प्रकृति के रूप में। जिसके बाद प्रकृति ने भी अपने आप को 6 भाग में बांट दिया था, जिसमें से एक मातृ देवी हैं बता दें कि छठी मैया मातृ देवी की छठवी अंस है इस लिए इन्हें छठी मैया या प्राकृति की देवी के रूप में जाना जाता है।
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पुराणों में यह मान्यता है कि छठी मैया के पति का नाम कार्तिकेय है। यह तो सभी जानते हैं कि स्वामी कार्तिकेय भगवान शिवऔर माता पार्वती के पहले पुत्र एवं गणेश और अशोक सुंदरी के बड़े भाई हैं। श्रीमद भागवत महापुराण के अनुसार संसार या प्रकृति के छठवे अंस से प्रकट हुई छठी मैया सभी में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध और लोकप्रिय है।
भगवान सुर्य एवं छठी मैया से अपने पुत्र एवं परिवार की रक्षा और लंबी आयु के लिए 36 घंटे के इस महापर्व पर व्रत रखा जाता है। हिंदू धर्म के सभी पर्व और व्रत में छठी मैया की उपासना को सबसे कठीन और फलदायी माना गया है। मान्यता है, कि जो कोई भी इस महापर्व को पूरी आस्था, श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाता है और 36 घंटे का व्रत रखता है उसके संतान की लंबी आयु और परिवार की रक्षा स्वयं छठी मैया और भगवान सूर्य करते हैं।
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