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आपको भी लगता है स्क्रीन की लत ने बच्‍चों को बना दिया है बदतमीज? पेरेंट्स जरूर करें ये 5 काम

आजकल के बच्चे इतने जिद्दी और बदतमीज हो गए हैं कि वे एक सेकंड भी बिना स्क्रीन देखे नहीं रह सकते हैं। कुछ माता-पिता की यह भी शिकायत है कि स्क्रीन टाइम के कारण उनके बच्चे बदतमीज होते जा रहे हैं। आइए इनके कारणों और निवारण के बारे में आज हम आपको बताते हैं।
Editorial
Updated:- 2024-10-09, 19:44 IST

स्क्रीन टाइम यानी स्मार्टफोन को देखने में बीतने वाला वक्त न केवल बच्चों के लिए शारीरिक समस्याएं पैदा करता है, बल्कि उनके व्यवहार पर भी दुष्प्रभाव डाल रहा है। कुछ माता-पिता की यह भी शिकायत है कि स्क्रीन टाइम के कारण उनके बच्चे बदतमीज होते जा रहे हैं। इसके कारणों को समझना और बचाव के तरीकों को लेकर समय रहते कदम उठाना बहुत जरूरी है। तो चलिए आर्टेमिस हॉस्‍पि‍टल्‍स के मानसिक स्वास्थ्य और व्यवहार विज्ञान के प्रमुख मनोचिकित्सक डॉ. राहुल चंडोक से इस बारे में जानते हैं।

स्क्रीन की लत से बच्चे के व्यवहार पर पड़ता है ऐसा असर

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  • बहुत ज्यादा समय स्मार्टफोन पर बिताने से बच्चे सेंसरी ओवरलोड का शिकार हो जाते हैं। इससे उन्हें किसी बात पर फोकस करने में मुश्किल होने लगती है और मानसिक ऊर्जा में कमी का अनुभव होता है। इससे उनमें गुस्सा बढ़ता है।
  • स्मार्टफोन पर ज्यादा समय बिताने वाले बच्चों और उनके माता-पिता के बीच संवाद कम होता है। घर में लोगों के साथ कम समय बिताने के कारण बच्चे सामाजिक एवं व्यावहारिक रूप से कटा-कटा अनुभव करते हैं, जिससे उनमें गुस्सा और चिड़चिड़ापन बढ़ता है।
  • आजकल वीडियो गेम से लेकर कार्टून सीरियल्स और फिल्मों तक हर जगह हिंसा का बोलबाला है। लगातार इन्हें देखने वाले बच्चों के मन में हिंसा के प्रति आकर्षण पैदा होने लगता है। यही आकर्षण उन्हें शारीरिक एवं शाब्दिक हिंसा के लिए प्रेरित करता है और बच्चे बदतमीज हो जाते हैं।
  • छोटे बच्चे वर्चुअल दुनिया और रियलिटी में बहुत ज्यादा फर्क करना नहीं जानते हैं। इसी कारण से स्मार्टफोन पर देखी गई बातें उनके व्यवहार पर असर डालती हैं।

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पेरेंट्स सतर्कता से उठाएं कदम

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  • अगर आपके बच्चे के व्यवहार में भी इस तरह के बदलाव आ रहे हैं, तो सतर्क हो जाएं। इससे पहले कि बच्चे के व्यवहार पर स्थायी प्रभाव पड़ने लगे, उसके स्क्रीन टाइम को कम करने की दिशा में प्रयास करें। इसके लिए आपको कुछ नियम तय करने पड़ सकते हैं।
  • बच्चे कब, कितनी देर और क्या देखेंगे, इसे लेकर स्पष्ट रहना जरूरी है। इस संबंध में आपको शुरुआत से ही सख्ती रखनी चाहिए।
  • बच्चे देखकर ही सीखते हैं। इसलिए स्वयं भी स्क्रीन टाइम कम रखें, जिससे बच्चा आपको देखकर प्रेरित हो और स्मार्टफोन पर कम समय बिताए। 

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  • व्यवहार पर नजर रखना भी जरूरी है। बच्चे के व्यवहार में अचानक से होने वाले किसी भी बदलाव के प्रति सतर्क रहें और उसके कारण को दूर करने का प्रयास करें।
  • बच्चे को किताबें पढ़ने के लिए और बाहर खेलने के लिए प्रोत्साहित करें। साथ ही उसे कुछ क्रिएटिव करने के लिए भी प्रेरित करें।
  • घर में एक टेक-फ्री जोन बनाएं। वहां बच्चे के खेलने और मनोरंजन के लिए किसी तरह का इलेक्ट्रॉनिक गैजेट न रहे। बच्चे के साथ वहां कुछ समय बिताएं।

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