महामारी के बाद, मेडिकल इंश्योरेंस लेने वालों की संख्या बढ़ी है। हम यह सोचकर मेडिकल इश्योरेंस लेते हैं कि हमारे भारी-भरकम मेडिकल बिलों के पेमेंट से लेकर हॉस्पिटल में भर्ती रहने तक के खर्चों का पेमेंट इश्योरेंस कंपनियों द्वारा किया जाएगा। वैसे तो आपने बहुत सोच-समझकर ही मेडिकल इश्योरेंस में इन्वेस्ट किया होगा। लेकिन, कई बार जब आपके सामने मेडिकल इमरजेंसी आती है और आपकी मेडिक्लेम पॉलिसी रिजेक्ट हो जाती है, तो आपको अपनी जेब से सारा खर्च करना पड़ता है।
इसलिए, आज हम इस आर्टिकल में आपको हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्ट होने के कारण बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में आपको पता होना जरूरी है।
यदि ट्रीटमेंट किसी ब्लैक लिस्टेड हॉस्पिटल में कराया गया हो
अगर आपको किसी ऐसे हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है, जो इंश्योरेंस कंपनी की लिस्ट में ब्लैक लिस्टेड है, तो आपकी कैशलेस क्लेम रिक्वेस्ट को बीमा कंपनी द्वारा रिजेक्ट कर दिया जाता है।
दिए गए डॉक्यूमेंट्स गलत या अधूरे होने पर
कैशलेस क्लेम सेटलमेंट के मामले में, हॉस्पिटल को आपके कैशलेस इलाज के लिए आपकी इश्योरेंस कंपनी को एक प्री-ऑथराइजेशन रिक्वेस्ट भेजना जरूरी है। Pre-Authorization Form के साथ, अस्पताल को मरीज के मेडिकल डॉक्यूमेंट्स को भेजना भी आवश्यक होता है, जिसमें मेडिकल रिपोर्ट, टेस्ट रिपोर्ट आदि शामिल होती हैं। यदि TPA को भेजे गए डॉक्यूमेंट्स गलत होते हैं या कोई डॉक्यूमेंट गायब होता है, तो आपक मेडिक्लेम रिजेक्ट कर दिया जाता है।
यदि आपकी बीमारी आपकी मेडिकल पॉलिसी के अंतर्गत कवर नहीं होती है
आपको बता दें कि आपकी हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी केवल उन बीमारियों या मेडिकल ट्रीटमेंट्स का पेमेंट कर सकती है, जो आपकी मेडिक्लेम पॉलिसी के अंतर्गत कवर की जाती हैं। अगर आप किसी ऐसी बीमारी का इलाज करवा रहे हैं, जो आपके पॉलिसी में कवर नहीं होती है, तो आपके मेडिकल क्लेम रिक्वेस्ट को रिजेक्ट कर दिया जाता है।
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अगर आपकी पॉलिसी वेटिंग पीरियड में है
कुछ हेल्थ इंश्योरेंस प्लान्स 2 या 3 साल के वेटिंग पीरियड के बाद, पहले से मौजूद बीमारियों को कवर करते हैं। अगर आप किसी पहले से मौजूद बीमारी के इलाज के लिए हॉस्पिटल में भर्ती हैं, तो आपकी बीमा कंपनी कैशलेस क्लेम रिक्वेस्ट को रिजेक्ट कर देती है।
प्री-ऑथराइजेशन में देरी
जब आप मेडिकल इमरजेंसी में हॉस्पिटल में भर्ती होते हैं, तो आपके हॉस्पिटल को एक निर्धारित समय के अंदर आपकी इंश्योरेंस कंपनी को प्री-ऑथराइजेशन फॉर्म भेजना होता है। अगर हॉस्पिटल ऐसा नहीं करता है, तो बीमा कंपनी को आपके कैशलेस क्लेम रिक्वेस्ट को रिजेक्ट करने का अधिकार है।
यदि आपने मेडिकल हिस्ट्री का खुलासा नहीं किया है
हेल्थ इश्योरेंस के लिए आवेदन करते समय, अपनी मेडिकल हिस्ट्री के बारे में सटीक और पूरी जानकारी देना जरूरी होता है। अगर आप किसी भी पिछली बीमारी या पिछले ट्रीटमेंट का खुलासा नहीं करते हैं, तो बीमा कंपनी आपके मेडिकल क्लेम के अनुरोध को रिजेक्ट कर सकती है।
बीमा राशि खत्म होने पर
अगर आपने एक साल में अपनी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी की बीमा राशि के बराबर पहले से ही क्लेम किया हुआ है, तो आपको उस साल के दौरान दूसरी बार मेडिक्लेम करने का अधिकार नहीं है। इसके अलावा, अगर आप पहली बार भी मेडिकल क्लेम कर रहे हैं, लेकिन क्लेम की राशि सम एश्योर्ड से ज्यादा है तो, बीमा कंपनी आपके कैशलेस मेडिकल क्लेम रिक्वेस्ट को रिजेक्ट कर सकती है।
हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी की समय सीमा समाप्त होने पर
अगर आपकी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खत्म हो गई है या आपने प्रीमियम का भुगतान नहीं किया है, तो बीमा कंपनी आपके मेडिकल क्लेम रिक्वेस्ट को रिजेक्ट कर सकती है।
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मेडिकल इश्यू जस्टिफाई नहीं
मेडिकल इंश्योरेंस कंपनियां कैशलेस क्लेम को तब भी रिजेक्ट कर सकती हैं, जब उन्हें लगता है कि मेडिकल कंडीशन या ट्रीटमेंट उचित नहीं है। ऐसा तब होता है, जब इलाज या हॉस्पिटल में भर्ती होना स्टैंडर्ड मेडिकल प्रैक्टिस के अनुरूप न हो या बीमा कंपनियों द्वारा अनावश्यक मानी जाए।
हॉस्पिटल में भर्ती होने का कारण अलग
अगर आपके अस्पताल में भर्ती होने का कारण, आपके द्वारा बताए गए कारण से अलग निकलता है, तो आपके कैशलेस मेडिक्लेम को रिजेक्ट किया जा सकता है।
उदाहरण के तौर पर, अगर आपने बताया कि आपको गिरने की वजह से चोट लगी है, लेकिन बाद में पता चलता है कि आपको चोट घुड़सवारी या किसी रिस्की एक्टिविटी में शामिल होने की वजह से लगी थी, तो बीमा कंपनी कवरेज देने से इनकार कर सकती है।
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Image Credit - Freepik
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