कभी-कभी, इंश्योरेंस क्लेम एक्सेप्ट होने के बाद भी, आपको इलाज के दौरान अपनी जेब से भुगतान करना पड़ सकता है। हालांकि, चिंता न करें, क्योंकि कंपनी आमतौर पर बाद में भुगतान को निपटाती है और आपके द्वारा जमा किए गए पैसे को वापस कर देती है। इसलिए, हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदते समय और क्लेम करते समय कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखने से आप सुनिश्चित कर सकते हैं कि आपको इलाज के दौरान जेब से भुगतान न करना पड़े और क्लेम प्रोसेस आसानी से हो। लेकिन क्या होगा अगर आप इलाज के दौरान होने वाले खर्चों को पहले से ही टाल सके? यहां 5 स्मार्ट टिप्स दिए गए हैं जो आपको अपनी जेब से भुगतान करने से बचने और अपने हेल्थ इंश्योरेंस का अधिकतम लाभ उठाने में मदद कर सकते हैं।
कई स्वास्थ्य बीमा योजनाएं कैशलेस उपचार सुविधा प्रदान करती हैं। इसका मतलब है कि आप अस्पताल में सीधे भुगतान करने के बजाय, बीमा कंपनी सीधे अस्पताल को भुगतान करेगी। यह आपके लिए इलाज के दौरान नकदी की चिंता को कम करता है। इसलिए, नेटवर्क अस्पताल की जांच कर लेनी चाहिए। पॉलिसी खरीदते समय, उन अस्पतालों की सूची देखें, जो इंश्योरेंस कंपनी के नेटवर्क में आते हैं। इन अस्पतालों में कैशलेस सुविधा उपलब्ध होती है, जिससे आपको इलाज के दौरान सीधे भुगतान नहीं करना पड़ता। इसके साथ ही कैशलेस कार्ड भी ले लें। अस्पताल में भर्ती होते समय अपने हेल्थ इंश्योरेंस कैशलेस कार्ड को साथ रखें और उसे संबंधित अस्पताल के बीमा डेस्क पर प्रस्तुत करें।
अगर आप कैशलेस सुविधा का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं, तो इलाज शुरू करने से पहले हमेशा अपनी बीमा कंपनी से प्री-ऑथराइजेशन प्राप्त करें। इसमें आपको अपनी बीमा योजना के तहत कवर किए जाने वाले खर्चों की स्पष्ट जानकारी प्राप्त होगी और आपको अपनी जेब से अत्यधिक भुगतान करने से बचाएगा। इसके साथ ही कुछ उपचारों के लिए प्री अप्रूवल की जरूरत होती है। अपने डॉक्टर से इलाज के प्रस्तावित प्लान के बारे में जानकारी दें और इंश्योरेंस कंपनी से एडवांस क्लीयरेंस प्राप्त करें।
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बीमा क्लेम जमा करते समय, सुनिश्चित करें कि आप सभी जरूरी दस्तावेज जमा करते हैं, जैसे कि डॉक्टर के पर्चे, बिल, जांच रिपोर्ट, और डिस्चार्ज डिस्क्रिप्शन। अधूरे या गलत दस्तावेज आपके दावे में देरी या अस्वीकृति का कारण बन सकते हैं। रीइंबर्समेंट प्रोसेस जानें, अगर आपको जेब से भुगतान करना पड़ा है, तो क्लेम फॉर्म और सभी जरूरी दस्तावेज इंश्योरेंस कंपनी को ऑनलाइन या डाक के माध्यम से सबमिट करें। रीइंबर्समेंट क्लेम सबमिट करने की समय सीमा का ध्यान रखें। आमतौर पर, इसे इलाज के बाद 30 से 60 दिनों के भीतर सबमिट करना होता है। अस्पताल में भर्ती होते समय सभी जरूरी दस्तावेज, जैसे- आधार कार्ड, पैन कार्ड, इंश्योरेंस पॉलिसी दस्तावेज, मेडिकल रिपोर्ट्स आदि अपने साथ रखें।
अधिकांश बीमा योजनाओं में दावा जमा करने की समय सीमा होती है। समय सीमा समाप्त होने से पहले अपना दावा जमा करना सुनिश्चित करें, अन्यथा आपको दावे से वंचित किया जा सकता है। इसके साथ ही क्लेम की पूरी प्रक्रिया को अच्छे से समझें। अस्पताल में भर्ती होते ही, इंश्योरेंस कंपनी को सूचित करें। यह सूचना आप टोल-फ्री नंबर पर कॉल करके, ईमेल के माध्यम से, या इंश्योरेंस ऐप पर दे सकते हैं। अस्पताल में भर्ती होने के समय क्लेम फॉर्म भरें और जरूरी दस्तावेज अटैच करें। अपनी पॉलिसी दस्तावेजों को ध्यान से पढ़ें और समझें कि किन बीमारियों और इलाजों को कवर किया गया है। इससे आपको पता चलेगा कि इलाज के दौरान कौन-कौन से खर्चे इंश्योरेंस कवर करेगा।
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अगर आपके दावे में कोई प्रश्न या चिंता है, तो अपनी बीमा कंपनी से संपर्क करने में संकोच न करें। वे आपको प्रक्रिया को समझने और आपको सहायता प्रदान करने में मदद कर सकते हैं। पॉलिसी में सह-वित्त (Co-payment) का प्रावधान हो सकता है, जिसका अर्थ है कि आपको कुल बिल का कुछ प्रतिशत खुद से भुगतान करना पड़ सकता है। इस प्रावधान को समझकर ही पॉलिसी खरीदें। अस्पताल के बीमा डेस्क पर सभी दस्तावेज प्रस्तुत करें और सुनिश्चित करें कि आपके क्लेम की प्रक्रिया सही ढंग से शुरू हो जाए। अस्पताल में इलाज के दौरान और बाद में, अपने क्लेम की स्थिति की निगरानी करें। किसी भी अड़चन की स्थिति में तुरंत इंश्योरेंस कंपनी से संपर्क करें। अपनी पॉलिसी को एक्टिव रखने के लिए समय पर प्रीमियम का भुगतान करें। इससे किसी भी क्लेम के दौरान आपको कोई समस्या नहीं होगी।
किसी तरह की परेशानी होने पर भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) में शिकायत दर्ज करें। शिकायत ईमेल के माध्यम से [email protected] पर भेजी जा सकती है। टोल फ्री नंबर 155255 या 1800 4254 732 पर कॉल किया जा सकता है।
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