(story of stairs in jagannath temple) जगन्नाथ पुरी जिसे धरती का बैकुंठ कहा जाता है। इससे जुड़ी कई ऐसी मान्यताएं हैं। जो अपने आप में ही रहस्यमयी है। इस मंदिर में कई ऐसे चमत्कार होते हैं, जिनका विज्ञानब भी आज तक पता नहीं पाया है। पुराणों को अनुसार जगन्नाथ मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण का हृदय धड़कता है। इस मंदिर में भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण, भाई बलराम और बहन सुभद्रा विराजमान हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है और सभी पाप भी धूल जाते हैं। जगन्नाथपुरी मंदिर में कई ऐसी रहस्यी चीजें हैं, जिसका संबंध देवी-देवताओं से माना गया है। आइए इस लेख में जगन्नाथ मंदिर की तीसरी सीढ़ी से जुड़े रहस्य के बारे में जानते हैं कि इस सीढ़ी का यमराज से क्या संबंध है?
जानें जगन्नाथपुरी की तीसरी सीढ़ी का रहस्य (secret of the third staircase of Jagannathpuri)
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि भगवान जगन्नाथ के दर्शन करके सभी लोग पाप मुक्त होने लगे थे। तभी यह देखकर यमराज भगवान श्री जगन्नाथ के पास पहुंचे और उनसे कहा कि हे प्रभु! आपने पाप मुक्ति यह सबसे सरल उपाय बताया है। लोग आपके दर्शन मात्र से ही पाप मुक्त (पाप मुक्ति उपाय) होने लगे हैं और कोई भी यमलोक नहीं आता है। तभी यमराज जी की यह बात सुनकर भगवान जगन्नाथ ने कहा कि आप मंदिर के मुख्य द्वार की तीसरी सीढ़ी अपना स्थान ग्रहण कर लें। जिसे यम शिला के रूप से जाना जाएगा। जो व्यक्ति मेरे दर्शन (दर्शन करने के नियम) करने के बाद उस शिला पर पैर रखेगा, तभी उसके सभी पाप शून्य हो जाएंगे और उसे यमलोक जाना पड़ेगा।
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जगन्नाथ मंदिर के इन बातों का खास रखें ध्यान (Take special care of these things about Jagannath Temple)
- जगन्नाथ मंदिर के मुख्य द्वार से प्रवेश करते समय नीचे से तीसरी सीढ़ी पर यमशिला है, इसलिए उस सीढ़ी पर पैर न रखें।
- आप मंदिर में प्रवेश करने के लिए उस सीढ़ी पर पैर रख सकते हैं, लेकिन दर्शन करके लौटते समय उस शिला पर पैर न रखें।
- इस शिला की पहचान आप इस तरह कर सकते हैं, कि यह शीला काले रंग का है और यह बाकी सीढ़ियों की तुलना में बेहद अलग दिखता है।
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जगन्नाथ मंदिर में कुल है इतनी सीढ़ियां (There are so many stairs in Jagannath temple)
अगर आप जगन्नाथपुरी दर्शन करने के लिए जा रहे हैं, तो मंदिर में कुल 22 सीढ़ियां हैं, जिसमें आपको दर्शन करने के बाद नीचे से शुरुआत की तीसरी सीढ़ी का ध्यान रखना है और उसपर आपके अपने पैर नहीं रखना चाहिए। वरना दर्शन के सभी पुण्य शून्य हो जाएंगे।
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Image Credit- Freepik
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