जब भी बैंक से कोई लेन-देन करना होता है, तो अक्सर चेक की जरूरत पड़ती है। चेक एक खास किस्म का दस्तावेज होता है, जो बैंकिंग लेन-देन को सरल और सुरक्षित बनाता है। वहीं, चेक पर दिए गए अलग-अलग नंबरों के माध्यम से आपके खाते और बैंक के बारे में जानकारी मिलती है। चेक के नीचे लिखे जाने वाले ये 7 नंबर बहुत जरूरी होते हैं और ये कई जानकारी प्रदान करते हैं, जो बैंकिंग प्रोसेस को सिक्योर और सटीक बनाने में सहायक होते हैं। आइए जानते हैं इसके पीछे की खास वजह।
चेक के नीचे दिए गए नंबरों में आपके खाते के बारे में जानकारी होती है, जिसमें रूटिंग नंबर, खाता संख्या और चेक नंबर शामिल हैं:
यह 9 अंकों का पहला समूह होता है, जो आपके बैंक और उसकी शाखा की पहचान करता है। यह इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (EFT) जैसे डायरेक्ट डिपॉजिट या ऑनलाइन बिल भुगतान के लिए जरूरी होता है।
यह 8 अंकों का दूसरा समूह होता है, जो आपके बैंक खाते की पहचान करता है। चेक में लिखी राशि इसी खाते से काटी जाएगी।
यह 4 अंकों का अंतिम समूह होता है, जो आपके चेकबुक में प्रत्येक चेक को खास तरह से पहचानता है। यह चेक के ऊपर प्रिंटेड चेक नंबर से मेल खाना चाहिए।
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चेक के ऊपरी दाएं कोने में और चेक के निचले हिस्से में भी होता है। यह 6 अंकों का नंबर होता है। इसे किसी भी तरह के रिकॉर्ड के लिए सबसे पहले देखा जाता है और यह सुनिश्चित करता है कि प्रत्येक चेक अपडेटेड हो। जब आप किसी को चेक जारी करते हैं, तो यह नंबर ट्रैकिंग और रिकॉर्ड-कीपिंग के लिए जरूरी होता है।
चेक के निचले हिस्से में मौजूद होता है। मैग्नेटिक इंक कैरेक्टर रिकॉग्निशन (MICR) कोड 9 अंकों का होता है और इसे एक चेक को खास किस्म की रीडिंग मशीन पढ़ती है। यह कोड बैंकों को उस शाखा का पता लगाने में मदद करता है जिससे चेक इश्यू किया गया है।
एमआईसीआर कोड के पहले 3 अंक। ये आपके शहर के पिन कोड के पहले तीन डिजिट होते हैं। यह शहर की पहचान करता है जिससे चेक आया है।
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एमआईसीआर कोड के अगले 3 अंक। यह बैंक का एक यूनिक कोड होता है। उदाहरण के लिए, ICICI बैंक का कोड 229 और HDFC बैंक का कोड 240 होता है। यह कोड बैंक की पहचान करता है।
एमआईसीआर कोड के आखिरी 3 अंक। यह ब्रांच का कोड होता है और हर बैंक शाखा का अपना खास कोड होता है। यह कोड बैंकिंग लेन-देन में इस्तेमाल किया जाता है और यह बताता है कि चेक किस शाखा से जारी किया गया है।
नई चेक बुक में प्रिंट होता है। यह आपके बैंक खाते का नंबर होता है। यह संख्या सुनिश्चित करती है कि राशि सही खाते से कटे। पुरानी चेक बुक में यह नंबर नहीं होता था, लेकिन कोर बैंकिंग सॉल्यूशन के बाद इसे शामिल किया गया।
चेक के नीचे छपे नंबरों में से आखिरी 2 अंक। ये अंक यह दिखाते हैं कि चेक किस प्रकार का है। उदाहरण के लिए 29, 30 और 31 एट पार चेक को दर्शाते हैं। 09, 10 और 11 लोकल चेक को दर्शाते हैं।
इन सभी नंबरों और कोडों का एकमात्र मकसद यह सुनिश्चित करना है कि बैंकिंग लेन-देन सुरक्षित, सटीक और व्यवस्थित तौर पर हो। यह चेक को ट्रैक करने, उसके स्रोत की पहचान करने और किसी भी प्रकार की त्रुटि या धोखाधड़ी को रोकने में मदद करता है।
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