Men's Rights In India: हम सभी जिस समाज में रहते हैं वहां पर आए दिन किसी न किसी प्रकार की घटना सुनने को मिलती रहती है। औरतों पर होने वाले क्राइम को लेकर आए-दिन नए नियम और कानून बनाए जाते हैं ताकि वह अपनी आवाज उठाएं और उस इंसान या आदमी के खिलाफ बोल सकें। अब ऐसे में कई बार ऐसी घटनाएं सामने आती हैं, जिनमें महिलाएं अपने पति, ससुर या देवर के खिलाफ केस कर देती है, जो गलत और झूठा होता है। इसके बावजूद, बेगुनाह आदमी और उसके परिवार को कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाने पड़ जाते हैं।
बीते दिन एआई इंजीनियर की खुदकुशी ने कई तरह के सवाल लाकर खड़े कर दिए। इसमें सबसे अहम और जरूरी सवाल यह कि जिस पुरुष पर हर एक बात की जिम्मेदारी दी जाती है, क्या उसके ऊपर होने वाले वाइलेंस को लेकर किसी प्रकार का सुरक्षा नियम है या नहीं। इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमने इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता नीतेश पटेल से पूछा कि कोशिश की संविधान में पुरुषों की सुरक्षा को लेकर क्या नियम हैं।
महिलाओं के लिए तय किए गए नियम कानून
भारत में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कई प्रकार के कानूनी और संवैधानिक प्रावधान मौजूद हैं, जिससे महिलाएं अपने ऊपर हो रहे हिंसा, शोषण और भेदभाव से स्वयं को बचा सके। इन नियम कानून में बलात्कार, घरेलू-हिंसा और दहेज उत्पीड़न के साथ ही अन्य अपराध शामिल हैं। इससे जुड़े अभी तक जो भी कानून बनाएं गए हैं, वे महिलाओं के अधिकारों की मांग और रक्षा करने की छूट देता है क्योंकि समाज में महिलाओं के साथ भेदभाव और हिंसा की घटनाएं आए-दिन सामने आती रहती हैं।
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पुरुषों की सुरक्षा को लेकर क्या कहता है संविधान
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या पुरुषों की सुरक्षा के लिए भी संविधान में कोई खास प्रावधान है? इस सवाल को लेकर जब हमने अधिवक्ता से बात की तो उन्होंने बताया कि भारतीय संविधान और कानून पुरुषों के खिलाफ अपराधों के लिए भी जिम्मेदारी तय करते हैं। लेकिन, पुरुषों के लिए स्वयं के लिए आवाज उठा सके ऐसा कोई भी नियम नहीं है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) में पुरुषों के खिलाफ अपराधों जैसे हत्या, अपहरण, और शारीरिक हिंसा के लिए प्रावधान हैं। लेकिन अगर महिलाओं की तरह उनके लिए किसी विशेष सुरक्षा कानूनों की बात करें, तो वह नहीं है।
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Image credit-Freepik, wikipedia
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