ये भारतीय कानून महिलाओं को बनाते हैं ताकतवर

महिलाओं को अपने हित में बने कानूनों के बारे में पता होना चाहिए। भारतीय कानून में ऐसे कई अधिनियम हैं, जो महिलाओं को सशक्त बनाने में मदद करते हैं। 

  • Hema Pant
  • Editorial
  • Updated - 2023-10-19, 19:05 IST
laws for women empowerment

" यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः। यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः इस श्लोक का मतलब है कि, जहां महिलाओं को पूजा जाता है, उस जगह देवता का निवास होता है। वहीं, जहां महिलाओं को सम्मान नहीं दिया जाता है, वहां किए गए सभी कार्य सिद्ध नहीं होते हैं।

भारतीय संविधान अनुच्छेद 14 के अनुसार राज्य प्रत्येक व्यक्ति को कानून के समक्ष समानता एवं भारत के क्षेत्र में कानूनों का समान संरक्षण प्रदान करेगा। इसके अनुसरण, अनुच्छेद 15(3) राज्य के पास उचित वर्गीकरण के आधार पर महिलाओं को सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक न्याय से सशक्त करने के लिए कानून बनाने का अधिकार है |

इसी अनुच्छेद के अंतर्गत कानूनी शक्ति का उपयोग करते हुए राज्य ने निम्नलिखित कानून बनाए हैं, जो महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देते हैं और महिलाओं को ताकतवर बनाने में मदद करते हैं।इस विषय पर हमने डिस्ट्रिक्ट और हाई कोर्ट के वकील मोहम्मद सुल्तान से बात की है, उन्होंने हमें महिलाओं के हित में बने कानून के बारे में बताया है।

घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम, 2005

rights for women in indiaयह अधिनियम संविधान के तहत प्रदत्त उन महिलाओं के अधिकारों की अधिक प्रभावी सुरक्षा प्रदान करने के लिए है, जो परिवार के भीतर होने वाली किसी भी प्रकार की हिंसा की शिकार हैं और उससे संबंधित या उसके आनुषंगिक मामलों के लिए हैं। इस अधिनियम की धारा 3 घरेलू हिंसा को परिभाषित करती है |

इस अधिनियम में महिला घरेलू हिंसा और घरेलू हिंसा के भय की स्तिथि मे संरक्षण आदेश, निवास आदेश, धनिय अनुतोष, अभिरक्षा आदेश और गृहस्थी मे निवास करने का अधिकार प्राप्त कर सकती है।

कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध एवं समाधान) अधिनियम, 2013

rights for women

यह बात हम सभी जानते हैं कि महिलाओं के साथ कार्यस्थल पर भी उत्पीड़न होता है। इसके खिलाफ भी भारत में कानून बनाया गया है। वर्कप्लेस पर महिलाओं को यौन उत्पीड़न के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है। शिकायत दर्ज की जाती है और इस समस्या का हल भी निकाला जाता है।

यौन उत्पीड़न के परिणामस्वरूप महिला के समानता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 के तहत उनके जीवन और सम्मान के साथ जीने का अधिकार है।

संविधान के अनुच्छेद 21 और किसी भी पेशे का अभ्यास करने या कोई व्यवसाय, व्यापार करने का अधिकार व्यवसाय जिसमें यौन उत्पीड़न से मुक्त सुरक्षित वातावरण का अधिकार शामिल है और यौन उत्पीड़न से सुरक्षा और सम्मान के साथ काम करने का अधिकार है।

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दहेज निषेध अधिनियम, 1961( The Dowry Prohibition Act 1961)

इस अधिनियम में 'दहेज' का अर्थ किसी भी संपत्ति या मूल्यवान सुरक्षा से है, जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से दी गई है या देने के लिए सहमत है। इसमें शादी में सम्मिलत किसी भी पक्ष द्वारा विवाह के दौरान या बाद में दी गई चीजें शामिल हैं, लेकिन इसमें मेहर शामिल नहीं है। मेहर उन व्यक्तियों के मामले में जिन पर मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) लागू होता है।

दहेज देने या लेने के लिए दंड भी दिया जाता है। यदि कोई व्यक्ति, इस अधिनियम के शुरू होने के बाद, दहेज देता है या लेता है या देने या लेने के लिए उकसाता है, तो वह कारावास से दंडनीय होगा। इस दंड की अवधि पांच वर्ष से कम नहीं होगी। साथ ही, 15 हजार रूपये होता है। या दहेज के मूल्य की राशि, जो भी अधिक हो, उससे कम नहीं होगा।

शर्त यह है कि न्यायालय, निर्णय में दर्ज किए जाने वाले पर्याप्त और विशेष कारणों से सजा दे सकता है। पांच वर्ष से कम अवधि के कारावास की सज़ा।

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स्त्री का अशिष्ट रूपण (प्रतिषेध) अधिनियम,1986

यह अधिनियम विज्ञापनों या पब-समारोहों, लेखों, चित्रों, आकृतियों या किसी अन्य तरीके से महिलाओं के अशोभनीय प्रतिनिधित्व पर रोक लगाने और उससे जुड़े या उसके आनुषंगिक मामलों पर रोक लगाने के लिए है।

भारतीय दंड संहिता, 1860 (The Indian Penal Code, 1860)

यह संहिता महिलाओं के अधिकार के संरक्षण के उद्देश्य के लिए महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से हमला या आपराधिक बल, यौन उत्पीड़न और यौन उत्पीड़न, महिला को निर्वस्त्र करने के इरादे से हमला या आपराधिक बल का उपयोग, दृश्यरतिकता,पीछा करना, अपहरण, व्यपहरण शब्द, इशारा या कार्य जिसका उद्देश्य किसी महिला की गरिमा का अपमान करना और बलात्संग जैसे अपराधों के लिए कठोर दंड के प्रावधान प्रदान करता है।

स्वामी विवेकानंद ने एक बार ये कहा था कि जब तक महिलाओं की स्थिति में सुधार नहीं होगा तब तक विश्व के कल्याण की कोई संभावना नहीं है। किसी पक्षी के लिए केवल एक पंख पर उड़ना संभव नहीं है। ये कानून महिलाओं को सशक्त बनाते हैं, जिससे सृष्टि का कल्याण हो सके और भारत अपने दोनों पंखों के साथ ऊँची उड़ान के लिए अग्रसर हो सके।

महिलाओं के इन कानूनों के बारे में जरूर पता होना चाहिए। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो, तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह के और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से। अपने विचार हमें आर्टिकल के ऊपर कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।

Image Credit: Freepik

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