थर्ड पार्टी इंश्योरेंस से भी मिल सकता है गाड़ी के मालिक को फायदा, जानिए कैसे

अगर आपके पास गाड़ी है, तो आपके पास थर्ड पार्टी इंश्योरेंस होना जरूरी है। इस इंश्योरेंस की मदद से आपकी गाड़ी से अगर किसी को नुकसान हुआ है, तो बीमा कंपनी सारे नुकसान की भरपाई करती है।  
what is the importance of third party insurance for vehicle

हर साल भारत में लाखों की संख्या में सड़क हादसे होते हैं, जिनमें कई लोग घायल होते हैं, तो कुछ लोग अपनी जिंदगी से हाथ धो बैठते हैं। इसलिए, मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 146 के तहत, भारतीय सड़कों पर गाड़ी चलाने वालों को थर्ड पार्टी इंश्योरेंस करवाना अनिवार्य है। कई बार गाड़ी चलाते समय किसी गाड़ी को टक्कर लग जाती है, तो आपको नुकसान का पैसा देना पड़ता है। वहीं, अगर किसी आदमी को आपकी गाड़ी से चोट आती है, तो उसके इलाज के लिए भी आपको पैसा देना पड़ता है। कई बार आपकी गलती नहीं होने पर भी आपको अपनी जेब खाली करनी पड़ जाती है क्योंकि सामने वाले आपको कोर्ट में घसीटने की धमकी देने लगता है। ऐसे में आपके लिए थर्ड पार्टी इंश्योरेंस बहुत काम आता है।

थर्ड पार्टी इंश्योरेंस क्या है?

थर्ड पार्टी इश्योरेंस, एक प्रकार का बीमा कवर है, जिसमें बीमा कंपनियां बीमाकर्ता को थर्ड पार्टी वाहन, पर्सनल प्रॉपर्टी और फिजिकल चोट के नुकसान के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करती हैं। हालांकि, यह पॉलिसी बीमाकर्ता को किसी भी तरह का कवरेज प्रदान नहीं करती है। जब पॉलिसीहोल्डर की गाड़ी से किसी थर्ड पार्टी की गाड़ी को नुकसान पहुंचता है, तो मरम्मत का, मेडिकल बिल और कोर्ट का खर्च बीमा कंपनियों की ओर से चुकाया जाता है।। इस तरह, पॉलिसीहोल्डर पर वित्तीय बोझ कम पड़ता है। अगर आपने थर्ड पार्टी इंश्योरेंस कराया हुआ है और आपकी गाड़ी से किसी को नुकसान पहुंचा है, तो आपको इसकी जानकारी तुरंत बीमा कंपनी को देनी चाहिए।

जब क्लेम किया जाता है, तो बीमा कंपनी नुकसान की जांच और मरम्मत में कितनी लागत आएगी। इन सभी को वेरिफाई करने के लिए एक सर्वेक्षक नियुक्त करती है। जब सर्वेक्षक द्वारा वेरिफिकेशन पूरा हो जाता है, तो तब बीमा कंपनी क्लेम का पैसा देती हैं।

थर्ड पार्टी इंश्योरेंस कवर कैसे काम करता है?

car insurence tips

आपको बता दें कि कार इंश्योरेंस पॉलिसी में 3 पार्टियां होती हैं।

  • फर्स्ट पार्टी- कार या गाड़ी का मालिक, जो बीमा पॉलिसी खरीदता है।
  • सेकेंड पार्टी- बीमा कंपनी
  • थर्ड पार्टी- अगर पॉलिसीहोल्डर की कार से किसी दूसरी गाड़ी को नुकसान पहुंचता है, तो थर्ड पार्टी नुकसान के लिए दावा कर सकता है।

आपको बता दें कि हमेशा सेकेंड पार्टी फर्स्ट पार्टी की वजह से सभी तरह के नुकसान की भरपाई खुद करने का वादा करती है। इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए फर्स्ट पार्टी को हर साल प्रीमियम जमा करना होता है। भारत में दो पहिया वाहन से लेकर ट्रक जैसे वाहनों के लिए थर्ड पार्टी इंश्योरेंस लेना जरूरी है।

थर्ड पार्टी इंश्योरेंस में क्या-क्या कवर होता है?

आपको बता दें कि अगर पॉलिसीहोल्डर की गाड़ी से किसी इंसान की मौत हो जाती है, किसी को चोट लग जाती है, कोई विकलांग हो जाता है या किसी की गाड़ी को नुकसान पहुंचता है। तभी बीमा कंपनी नुकसान की भरपाई करती है।

इन स्थितियों में में बीमा कंपनी आपको थर्ड पार्टी कवर नहीं देती

  • अगर पॉलिसीहोल्डर बिना लाइसेंस के गाड़ी चलाता पाया जाता है।
  • अगर पॉलिसीहोल्डर ने शराब या ड्रग्स का सेवन करके गाड़ी चलाई होती है।
  • अगर पॉलिसीहोल्डर की गाड़ी से कोई आपराधिक काम हुआ होता है या उसकी गाड़ी गलत गतिविधि में पाई जाती है। ऐसी सिचुएशन्स में बीमा कंपनी आपको थर्ड पार्टी कवर नहीं देती है।

थर्ड पार्टी से जुड़ी अहम बातें

अगर पॉलिसीहोल्ड की गाड़ी से किसी की मौत या चोट लग जाती है, तो बीमा कंपनी पूरा खर्चा उठाती है। किसी सड़क हादसे में कितना नुकसान हुआ है, इसका फैसला मोटर एक्सिडेंट्स क्लेम ट्रिब्यूनल (MACT)की ओर से किया जाता है। MACT जितना खर्च बताती है, उतना ही बीमा कंपनी को देना पड़ता है।

आमतौर पर प्रॉपर्टी नुकसान होने पर बीमा कंपनी ज्यादा से ज्यादा 7.5 लाख रुपये तक का ही कवर प्रदान करती हैं। भारत में नई बाइक खरीदने पर आपको 5 साल का और नई कार खरीदने पर 3 साल का थर्ड पार्टी इंश्योरेंस कराना जरूरी है। इसके अलावा, पुरानी कार पर आपको साल भर के हिसाब से कवरेज लेना होता है।

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क्लेम करने का तरीका

how to claim third party insurence

अगर पॉलिसीहोल्डर की गाड़ी से किसी को नुकसान हुआ है, तो सबसे पहले आपको बीमा कंपनी में बताना होता है। इसके बाद आपको पुलिस थाने जाकर FIR दर्ज करवानी होती है और बीमा क्लेम के बारे में बताना होता है। आपको FIR की एक कॉपी को बीमा कंपनी के पास जमा करना होता है।

इसके बाद, बीमा कंपनी अपने एक सर्वेक्षक को वेरिफिकेशन के लिए नियुक्त करती है। अगर क्लेम रजिस्ट हो गया है, तो MACT के पास उसे भेजा जाता है। MACT जांच-पड़ताल करती है और बताती है कि अनुमानित कितना खर्चा आएगा। फिर, बीमा कंपनी थर्ड पार्टी क्लेम को जमा करने को कहती है। क्लेम मिलते ही बीमा कंपनी नुकसान की रकम को थर्ड पार्टी को ट्रांसफर कर देती है।

थर्ड पार्टी क्लेम करने के लिए आवश्यक डॉक्यूमेंट्स

  • भरा हुआ क्लेम फॉर्म
  • इंश्योरेंस पॉलिसी की कॉपी
  • FIR की एक कॉपी
  • ड्राइविंग लाइसेंस की कॉपी
  • ID प्रूफ की कॉपी

अगर आप थर्ड पार्टी इंश्योरेंस लेते हैं, तो आपको मोटर व्हीकल एक्ट, 1988 के तहत किसी भी तरह की कानूनी कार्रवाई से नुकसान नहीं हो सकता है। इसके अलावा,आपका ड्राइविंग लाइसेंस भी सस्पेंड नहीं किया जा सकता है।

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Image Credit - freepik


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