जल ही जीवन है और शुद्ध जल हर किसी का अधिकार है...यह केवल नारे या कहावत नहीं हैं। शुद्ध पानी हर किसी की जरूरत और अधिकार है। लेकिन, बढ़ते प्रदूषण और जल स्रोतों में मिलावट की वजह से शहरों में शुद्ध पानी मिलना मुश्किल होता जा रहा है। ऐसे में कई लोग अपने घरों और दफ्तरों में RO लगाते हैं। लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि RO से मिलने वाला पानी कितना शुद्ध है और कितना नहीं? जी हां, ऐसा बिल्कुल भी जरूरी नहीं है कि हर RO से आने वाला पानी शुद्ध या पीने योग्य ही होता है।
पानी की शुद्धता TDS यानी टोटल डिजॉल्व्ड सॉलिड्स पर मापी जाती है। अगर पानी में TDS बहुत कम या बहुत ज्यादा है, तो यह सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है। ऐसे में सवाल उठता है कि पानी में कितना TDS होना चाहिए, जिससे उसे शुद्ध माना जा सके। पानी की शुद्धता के बारे में समझने से पहले आइए यहां जानते हैं कि TDS क्या होता है।
TDS का मतलब होता है कि पानी में कितने ठोस पदार्थ घुले हुए हैं। यहां ठोस पदार्थ से मतलब खनिज, नमक और धातु से है। इसे PPM यानी पार्ट्स पर मिलियन पर नापा जाता है। बता दें, पानी में कैल्शियम, क्लोराइड, मैग्नीशियम, पोटैशियम, जिंक, एलुमिनियम, कॉपर, आयरन जैसे मिनरल्स भी होते हैं।
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ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड और WHO, दोनों ने एक लीटर में TDS की मात्रा अलग-अलग बताई है। ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड के मुताबिक, एक लीटर में TDS का लेवल 500 मिलीग्राम से कम होना चाहिए। वहीं, WHO ने एक लीटर शुद्ध पानी में TDS की मात्रा 300 मिलीग्राम से कम मानी है। साथ ही 300 मिलीग्राम से लेकर 600 मिलीग्राम तक का TDS सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है। वहीं, एक लीटर में TDS का लेवल 900 मिलीग्राम से ज्यादा है, तो उसे सेहत के लिए नुकसानदायक माना गया है।
अगर आपके घर में RO लगा है और आप इसी का पानी पीते हैं, तो उसका TDS लेवल जरूर चेक कर लें। ऐसा इसलिए, क्योंकि कई बार RO की वजह से पानी का TDS लेवल ज्यादा कम हो जाता है और वह पीने योग्य नहीं रहता है। कई RO कंपनियां पानी को मीठा करने के लिए TDS को बेहद कम कर देती हैं, जो सेहत के लिए नुकसानदायक भी हो सकता है। ऐसे में RO का पानी 50 से 200 ppm वाला पीने योग्य है। हालांकि, 50 ppm से कम TDS वाला पानी सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
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पानी में TDS की मात्रा 100 से कम हो जाए तो उसमें चीजें आसानी से घुलने लगती है। कई लोगों को यह फायदेमंद लग सकता है, लेकिन फायदों से ज्यादा इसके नुकसान होते हैं। अगर आप प्लास्टिक की बोतल में पानी रखते हैं, तो ऐसे में प्लास्टिक के कणों का भी पानी में घुलने का खतरा बढ़ जाता है। प्लास्टिक सेहत के लिए किस तरह से नुकसानदायक हो सकता है, यह सभी जानते हैं। इसके अलावा कम TDS वाला पानी पीने से शरीर की हड्डियां भी कमजोर हो सकती हैं, जिसकी वजह से जोड़ों में दर्द की समस्या भी हो सकती है।
वैज्ञानिक ऐसा मानते हैं कि वह पानी सबसे ज्यादा शुद्ध और पीने योग्य होता है जिसमें कोई स्वाद, गंध या रंग न हो। यही वजह है कि अगर आप RO का पानी पीते हैं, तो वह कितने TDS पर वाटर प्यूरिफाई कर रहा है, इस पर ध्यान देने की सलाह दी जाती है।
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