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CTC Total CTC in hand salary

नई जॉब ज्वाइन करने से पहले समझ लीजिए CTC, Total CTC और In-hand Salary के बीच क्या है अंतर?

नई नौकरी ज्वाइन करने से पहले HR डिपार्टमेंट आपको सैलरी के बारे में बताते हैं। ऐसे में आपको CTC, Total CTC और In-hand Salary के बीच अंतर पता होना चाहिए।
Editorial
Updated:- 2025-01-21, 18:25 IST

प्राइवेट नौकरी करने वाले लोग जब नई नौकरी ज्वाइन करते हैं, तो उन्हें HR डिपार्टमेंट के द्वारा CTC और टोटल CTC बताया जाता है। हालांकि, यह सुनने में आपको एक जैसा लग सकता है, लेकिन दोनों में बहुत अंतर होता है। अगर आप पहली बार प्राइवेट नौकरी करने जा रहे हैं, तो आपको CTC और टोटल CTC के बारे में जान लेना जरूरी है। कई बार सीटीसी और टोटल सीटीसी के बीच अंतर लोगों को समझ नहीं आता है और उन्हें नुकसान झेलना पड़ जाता है।

इसलिए आज हम इस आर्टिकल में आपको CTC, टोटल CTC और इन-हैंड सेलरी के बीच अंतर बताने जा रहे हैं। 

CTC क्या है? 

सीटीसी का मतलब है कॉस्ट टू कंपनी, जिसका इस्तेमाल कंपनी द्वारा किसी कर्मचारी को रखने के लिए किया जाने वाला कुल खर्च है। CTC आपकी सैलरी पैकेज का महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसमें ग्रॉस सैलरी, अलाउंस और लाभ भी शामिल होते हैं। CTC में बेसिक सैलरी के साथ HRA, कन्वेंस अलाउंस, स्पेशल अलाउंस, प्रोविडेंट फंड, ग्रेच्युटी, मेडिकल इश्योरेंस, मील कूपन, बोनस और इंसेटिव जैसी चीजें मिलती हैं। 

CTC में ध्यान रखने वाली बातें 

  • टेक-होम सैलरी वह अमाउंट होता है, जो PF, इनकम टैक्स और दूसरी चीजों को डिडक्ट करने के बाद कर्मचारी को दिया जाता है।
  • CTC के कुछ पार्ट्स, जैसे बोनस या इंसेंटिव, गोल्स को पूरा करने या कंपनी की परफॉर्मेंस पर निर्भर करते हैं। 
  • ग्रॉस सैलरी CTC में से Employer-Side Contributions (जैसे-PF) को घटाकर मिलता है।
  • नेट सैलरी, ग्रॉस सैलरी में से टैक्स और एम्प्लॉई साइड डिडक्शन्स को माइनस करके मिलता है। 

टोटल CTC क्या है? 

Salary break system

टोटल CTC, CTC का एक विस्तृत वर्जन है, जिसमें कंपनी द्वारा कर्मचारी के लिए किए जाने वाले सभी तरह के खर्चें शामिल होते हैं, जिसमें डायरेक्ट और इन-डायरेक्ट बेनिफिट्स शामिल हैं। 

टोटल सीटीसी में CTC के अलावा, ESOPs, रिलोकेशन एक्सपेंस, कंपनी कार या फ्यूल अलाउंस, वन-टाइम जॉइनिंग बोनस और कर्मचारी को दिए जाने वाले कई दूसरे इन-डायरेक्ट बेनिफिट्स भी शामिल होते हैं।

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टोटल CTC के बारे में ध्यान रखने वाली बातें

  • एम्प्लॉयर साइड के PF कॉन्ट्रीब्यूशन, ग्रेच्युटी और इंश्योरेंस टोटल CTC का हिस्सा है, लेकिन ये कर्मचारी को सीधे नहीं मिलते हैं। 
  • फिक्स्ड कंपोनेंट्स जैसे- बेसिक सैलरी स्टेबल रहती है, जबकि बोनस और इंसेंटिव परफॉर्मेंस पर निर्भर करता है। 
  • पीएफ कॉन्ट्रीब्यूशन, इनकम टैक्स और दूसरे डिडक्शन्स के कारण इन-हैंड सैलरी, टोटल CTC से कम होती है।
  • जॉब ऑफर्स में टोटल CTC की तुलना करने से केवल इन-हैंड सैलरी के बजाय पूरे बेनिफिट्स को जांचने में मदद मिलती है। 

इन-हैंड सैलरी

इन-हैंड सैलरी उसे कहते हैं, जो किसी कर्मचारी को उसके ग्रोस सैलरी से सभी टैक्स डिडक्शन के बाद उसके बैंक खाते में भेजी जाती है। 

इन-हैंड सैलरी को लेकर ध्यान रखने वाली बातें

  • CTC में एम्प्लॉयर साइड के कॉन्ट्रीब्यूशन्स जैसे- पीएफ और ग्रेच्युटी शामिल हैं, जो इन-हैंड सैलरी का हिस्सा नहीं होते हैं। 
  • 80सी, 80डी जैसे सेक्शन्स के तहत स्मार्ट टैक्स प्लानिंग और इन्वेस्टमेंट इन-हैंड सैलरी को बढ़ा सकते हैं। 
  • परफॉर्मेंस बोनस और अलाउंस में उतार-चढ़ाव हो सकता है, जिससे मंथली सैलरी पर असर पड़ता है। 

CTC, Total CTC और इन-हैंड सैलरी सैंपल 

salary package example

मान लीजिए एक कर्मचारी की टोटल CTC 18,00,000 रुपये है, तो आपको इन-हैंड सैलरी कितनी मिलेगी? 

CTC ब्रेकडाउन

  • बेसिक सैलरी- 6,00,000 रुपये 
  • HRA- 3,00,000 रुपये 
  • स्पेशल अलाउंस- 2,00,000 रुपये 
  • फिक्स्ड सैलरी- 6,00,000 + 3,00,000 + 2,00,000 = 11,00,000 रुपये 

कंपनी कॉन्ट्रीब्यूशन्स 

  • प्रोविडेंट फंड- 72,000 रुपये
  • ग्रेच्युटी- 28,860 रुपये
  • मेडिकल इंश्योरेंस- 15,000 रुपये
  • टोटल कंपनी कॉन्ट्रीब्यूशन्स- 72,000 + 28,860 + 15,000 = 1,15,860 रुपये 

वैरिएबल कंपोनेंट्स 

  • एनुअल परफॉर्मेंस बोनस- 3,00,000 रुपये
  • मील कूपन- 24,000 रुपये
  • कैब बेनिफिट्स- 1,00,000 रुपये
  • रिलोकेशन असिस्टेंस- 60,000 रुपये

Total CTC= फिक्स्ड सैलरी+कंपनी कॉन्ट्रीब्यूशन्स+वैरिएबल पे+एडिशनल बेनिफिट्स

Total CTC=11,00,000+1,15,860+3,00,000+1,84,000=18,00,000 रुपये

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इन-हैंड सैलरी कैसे तय होती है?

  • कर्मचारी पीएफ कॉन्ट्रीब्यूशन- 72,000 रुपये
  • प्रोफेशनल टैक्स- 30,000 रुपये सालाना (राज्यों के अनुसार)
  • टीडीएस- लभगभ 1,80,000 रुपये(बेस्ड ऑन टैक्स स्लैब)

टोटल डिडक्शन =72,000+30,000+1,80,000=2,82,000 रुपये

सालाना इन-हैंड सैलरी= फिक्स्ड सैलरी−डिडक्शन

इन-हैंड सैलरी=11,00,000−2,82,000=8,18,000 रुपये

मंथली इन-हैंड सैलरी=8,18,000/12=68,167 रुपये 

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