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What is the present status of women in India

निर्भया से लेकर अपराजिता तक, हर जघन्य अपराध के बाद बने नए कानून लेकिन कितना आया बदलाव... जानें महिलाओं की राय

भारत देश को आजाद हुए 77 वर्ष पूरे हो चुके हैं। लेकिन महिलाएं कहीं भी सुरक्षित नहीं है। कहने को तो अपराध के बाद नए कानून बन जाते हैं। लेकिन इसके बावजूद भी महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। चलिए जानते हैं इस पर लोगों की क्या राय है? <div>&nbsp;</div>
Editorial
Updated:- 2024-09-14, 22:10 IST

भंवरी देवी

भंवरी देवी का ही मुकदमा था, जिसकी वजह से सुप्रीम कोर्ट को वर्क प्लेस पर यौन उत्पीड़न से महिलाओं की सुरक्षा के लिए नियम कायदे बनाए गए।

निर्भया केस

निर्भया केस के बाद 3 फरवरी 2013 को क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट ऑर्डिनेंस आया। साथ ही इसके तहत ऐसा प्रावधान भी किया गया कि बलात्कारी को फांसी की सजा दी जाएगी।

कोलकाता रेप केस मामला

आरके कॉलेज की ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए जघन्य अपराध के बाद कोलकाता सरकार की तरफ से महिलाओं की सुरक्षा में बने कानून में एक और लॉ जुड़ गया- अपराजिता विधेयक

इन अपराधों की लिस्ट और इसके बाद कानून को लेकर एक बार बेशक आपके दिल को सुकून मिला हो कि अब अगर कोई व्यक्ति ऐसा दुष्कर्म करता है, तो उसे तुरंत ही सजा दी जाएगी। ऐसे तमाम अपराध हैं, जिसके बाद महिला सुरक्षा में बने कानून में अनेकों बदलाव किए गए।  लेकिन इस बात पर जोर डालने की जरूरत है। क्या ये कानून सच में जमीनी स्तर पर काम करते हैं। अगर हां, तो फिर क्यों आज भी उसी रफ्तार से महिलाओं के साथ बदसलूकी फिर चाहे वह घर हो, ऑफिस हो, पब्लिक प्लेस, सड़क या फिर ट्रांसपोर्ट। यह हम नहीं कह रहे हैं। यह वर्तमान समय के आंकड़े, रिपोर्ट और आए-दिन आने वाली खबरें बया करती हैं। बीते दिन उज्जैन में दिन दहाड़े बीच सड़क पर 40 वर्षीय महिला का रेप हुआ। कल आर्मी ट्रेनी ऑफिसर के साथ ऐसी घटना घटित हुई। ये कुछ मामले हैं, जो चर्चा में आए और पूरे देश में इनके खिलाफ रोष साफ नजर आया। लेकिन असल में यह आंकड़ा बहुत ज्यादा है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि महिलाओं की सुरक्षा में बने कानून कहां लागू हो रहे हैं। अगर हैं, तो दिन-प्रतिदिन ये मामले बढ़ क्यों रहे हैं, इस पर आपको क्या लगता है। प्रश्न का उत्तर लेने के लिए मैंने कुछ महिलाओं से बातचीत की आखिर उन्हें क्या लगता है। चलिए जानते हैं, उनकी राय?

वक्त बदला लेकिन नहीं आया सुधार

मैंने इस विषय पर जब दिल्ली की रहने वाली काजल द्विवेदी से बात की पेशे से वह हाउसवाइफ और मां हैं। उन्होंने बताया कि मैं दो बेटियों की मां हूं। मुझे अब डर लगता है कि मेरी दो बेटियां मैं उसको कैसे सुरक्षित रखूं। अगर बात कानून की करें, तो मुझे जमीनी स्तर पर कोई भी बदलाव नहीं देखने को मिले। अब तो लोग रोड चलते हुए महिलाओं को देखते हुए गंदी हरकत करते हैं। ऐसे में  कानून को बदलकर सख्ती से पेश करने की जरूरत है।

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Nirbhaya case

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फांसी भी है आसान सजा

वर्तमान में महिलाओं सुरक्षा नियम को लेकर लखनऊ की रहने की वर्किंग वुमेन कंचन से बात-चीत की, तो उन्होंने बताया कि मुझे किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं दिखा। महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। अगर बने हुए कानून काम कर रहे होते, तो यह स्थिति तो बिल्कुल भी नहीं होती। साथ ही उन्होंने खुद को भी असुरक्षित बताया, कहा कि मेरे साथ अगर कोई अनहोनी हो जाती है, तो किसी को भी पता नहीं चलेगा। ऐसे में ना जाने कितनी वुमेन्स के साथ गलत होता होगा, जिसकी खबर किसी को नहीं है। फांसी जैसी सजा भी इनके लिए कम है, इन्हें ऐसी सजा मिलनी चाहिए, जिसे सोच कर लोगों का रूंह कांप जाएं।

Nirbhaya case decision time

रेपिस्ट पकड़े जाने पर मिल जाती है बेल

इस विषय को लेकर जब हम लेडी कांस्टेबल प्रतिभा से बात की, तो उन्होंने कहा कि साल 2012 में दिल्ली में निर्भया के साथ हुई बर्बरता, जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। उसका जजमेंट 12 साल बाद आया, इसके बाद इसमें मौजूद दो क्रिमिनल को छोड़ दिया क्योंकि वे नाबालिग थे। ऐसा ही हर केस में होता, अगर कानून जमीनी स्तर पर काम करता है, तो ऐसा क्यों हो रहा है। कानून को सख्त बनाने की जरूरत है वरना आने वाले समय में हर गली मोहल्ले से ऐसी खबरें आने में देर नहीं लगेगी। साथ ही इन्होंने आखिर में कहां कि मैं मां बनने वाली हूं मैं दिल से चाहती तो बेटी हूं। अगर वह दुनिया में आई, तो कहीं वह कभी ऐसी 

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निकला क्या नतीजा...

Rape case law in india

हमने तीन अलग-अलग प्रोफाइल से बात की, जिनकी दी गई राय पर गौर करें, तो यहीं निकलकर आता है कि जघन्य अपराध के बाद कानून बने लेकिन किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं आया। आम लोग कानून के भरोसे अपनी शिकायत लेकर सुनवाई के लिए जाते हैं, तो केवल वक्त बीतता है, हल नहीं निकलता। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि खुद की सुरक्षा के लिए हमें खुद लड़ना होगा। 

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