क्या आप जानते हैं कितनी होती है किसी महिला कुली की सैलरी?

आपने रेलवे स्टेशनों पर पुरुष कुली को तो देखा होगा, जो यात्रियों का सामान ढोने का काम करते हैं। पर क्या आपने महिला कुली को देखा और क्या आपको पता है, उनकी सैलरी कितनी होती है?

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कुली गुजरात में पाए जाने वाले एक पेशेवर जनजाति या वर्ग को कहा जाता है, जो आजादी से पहले यानी अंग्रेजी शासन में एक जगह से दूसरी जगह सामान ढोने का काम करते थें। ऐसा माना जाता है कि कुली किसी भी तरह की मजदूरी के लिए जाने जाते थें। हाल ही में, 21 सितंबर, 2023 को, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने दिल्ली के आनंद विहार रेलवे स्टेशन पर कुलियों के साथ मिलकर सामान ढोया। इस दौरान उन्होंने कुलियों की समस्याओं को भी सुना। राहुल गांधी ने कुलियों की पहचान वाली लाल रंग की शर्ट पहनी और सूटकेस सिर पर रखकर चलते दिखाई दिए। वहीं, राहुल ने कुलियों के बीच बैठकर उनके दिल का हाल भी सुना।

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राहुल गांधी की इस पहल को लेकर सोशल मीडिया पर कई तरह की प्रतिक्रियाएं आईं। कुछ लोगों ने राहुल गांधी की इस पहल की सराहना की, जबकि कुछ लोगों ने इसे एक राजनीतिक स्टंट बताया। राहुल गांधी के कुली बनकर सामान ढोने के पीछे का उद्देश्य आम लोगों के साथ जोड़ना और उनकी समस्याओं को समझना बताया गया है। ऐसे में हमारे मन में यही सवाल उठ सकता है कि देश में रेलवे स्टेशनों पर काम करने वाले किसी कुली की कितनी सैलरी हो सकती है, साथ ही किसी महिली कुली की सैलरी कितनी हो सकती है।

कौन होते हैं पेशेवर कुली?

  • कुली एक प्रकार के मजदूर होते हैं जो भारी वस्तुओं को उठाने और ले जाने के लिए काम करते हैं। वे आमतौर पर निर्माण स्थलों, बंदरगाहों, स्टेशनों और गोदामों में काम करते हैं।
  • कुली शब्द की उत्पत्ति हिंदी शब्द "कुल" से हुई है, जिसका अर्थ है "भार"। कुली शब्द का उपयोग पहली बार भारत में 18वीं शताब्दी में किया गया था।
  • कुली आमतौर पर कम वेतन पर काम करते हैं और उन्हें भारी काम करने की स्थिति में रखा जाता है। वे अक्सर दुर्घटना और बीमारी के उच्च जोखिम में भी हो सकते हैं।
  • कुली को अक्सर निम्न जाति या समुदाय से माना जाता है। उन्हें अक्सर अशिक्षित और गरीब माना जाता है।

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भारत में, कुली को अक्सर "श्रमिक" या "मजदूर" के रूप में भी जाना जाता है। कुली किसी क्षेत्र में भोजन व्यवस्था और रसोई गृह की सेवा प्रदान करता है। कुली भोजन बनाने, खाना पकाने, और रेस्टोरेंट्स, होटल्स या घरों में खाना परोसने में काम कर सकते हैं।

यह पेशेवर वर्ग अनेक देशों और क्षेत्रों में अपने नामों और जातियों के तहत जाना जा सकता है और उनकी भूमिकाएं और प्रक्रियाएं भी आस-पास की संस्कृति के आधार पर बदल सकती हैं। कुली एक अहम भूमिका निभाते हैं। वे समाज को चलने में मदद भी करते हैं, माल और सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाते हैं। हालांकि, उन्हें अक्सर शोषण का सामना करना पड़ता है और उन्हें बेहतर जीवन की जरूरत होती है।

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कितनी होती है किसी महिला कुली की सैलरी?

भारत सरकार के रेल मंत्रालय में कुली का वेतन 15,203 से लेकर 16,721 रुपये तक हो सकता है। यह अनुमान भारत सरकार में रेल मंत्रालय के कर्मचारियों द्वारा प्रदान की गई कुली की वेतन रिपोर्ट पर आधारित है। यह वेतन का आंकड़ा सांख्यिकीय तरीकों के आधार पर अनुमान लगाया गया है। वहीं शोध संस्थान ईआरआई यानी आर्थिक अनुसंधान संस्थान के अनुसार,भारत में कुली की वेतन, सालाना 2,76,473 औसत वेतन और 133 रुपये औसत प्रति घंटा बताया गया है। ये रिपोर्ट सामान्य आधार पर मापा गया है जो किसी महिला कुली पर भी लागू होता है। यानी किसी महिला कुली को कोई विशेष सुविधाओं का लाभ नहीं मिलता है।

भारत में महिला कुलियों की सैलरी आमतौर पर पुरुष कुलियों की तुलना में कम हो सकती है। 2023 में, उत्तर पश्चिम रेलवे ने महिला कुलियों के लिए सामान ढुलाई की न्यूनतम दर 90 रुपये प्रति ट्रिप (40 किलो वजन तक) निर्धारित की है। पुरुष कुलियों के लिए यह दर 110 रुपये प्रति ट्रिप है।

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हालांकि, यह दर केवल एक अनुमान है। वास्तविक सैलरी कुली के काम के अनुभव, कौशल और स्थान के आधार पर अलग हो सकती है। महिला कुलियों को अक्सर पुरुष कुलियों की तुलना में कम काम दिया जाता है। उन्हें अक्सर छोटे और हल्के सामान ढोने के लिए कहा जाता है। इसके अलावा, उन्हें अक्सर पुरुष कुलियों की तुलना में कम वेतन दिया जाता है।average income in female porter

महिला कुलियों के लिए काम करना एक कठिन और चुनौतीपूर्ण काम है। महिला कुलियों के लिए ऐसी विशेष या कल्याणकारी योजनाएं नहीं शुरू की गई हैं। जिन योजनाओं का उद्देश्य महिला कुलियों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने और उन्हें सम्मानजनक जीवन जीने में मदद कर सके।

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Image credit: Freepik

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