फैमिली पेंशन योजना (Family Pension Scheme) एक तरह की सामाजिक सुरक्षा योजना है जो किसी कर्मचारी की मृत्यु के बाद उनके परिवार को आर्थिक सहायता प्रदान करती है। यह योजना आमतौर पर सरकारी कर्मचारियों, सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों और कुछ निजी कंपनियों के कर्मचारियों के लिए उपलब्ध होती है। इस योजना का उद्देश्य होता है कि कर्मचारी की मृत्यु के बाद उसके परिवार को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना। परिवार के सदस्यों को आत्मनिर्भर बनने में मदद करना। यह पेंशन सरकार विधवा या विधुर को पेंशन देती है और विधवा या विधुर मौजूद न होने की स्थिति में बच्चों को पेंशन की पेशकश की जाती है, जिससे वे अपना जीवन यापन कर सकें।
फैमिली पेंशन के क्या है नए नियम
कर्मचारी की मृत्यु के बाद उनके पति या पत्नी फैमिली पेंशन के हकदार होते हैं। यह पेंशन तब तक मिलती है, जब तक पति या पत्नी पुनर्विवाह नहीं कर लेते या उनके जीवन काल तक (जो भी पहले हो)। अगर कर्मचारी के बच्चे हैं और उनकी उम्र 25 साल से कम है, तो दो बच्चों को भी पेंशन का फायदा दिया जाता है। ऐसे मामलों में, दोनों बच्चों को पेंशन का 25-25 फीसदी हिस्सा दिया जाता है। अरग बच्चे विकलांग हैं, तो वे जीवनभर के लिए पेंशन की सुविधा पा सकते हैं, भले ही उनकी उम्र 25 साल से अधिक हो।
गोद लिए बच्चे को कैसे मिल सकती है फैमिली पेंशन
अगर कोई सरकारी कर्मचारी या पेंशनभोगी अपने जीवनकाल में ही किसी बच्चे को गोद ले लेता है, तो वह बच्चा पारिवारिक पेंशन पाने के लिए पात्र हो सकता है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा था कि अगर सरकारी कर्मचारी की मौत के बाद उसकी पत्नी किसी को गोद लेती है, तो वह बच्चा पारिवारिक पेंशन का हकदार नहीं होगा। कोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1972 के नियम 54(14)(बी) के मुताबिक, ऐसा गोद लिया गया बच्चा पारिवारिक पेंशन का दावा करने के लिए 'परिवार' की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आता।
कोर्ट ने कहा था कि फैमिली पेंशन की व्यवस्था इसलिए है कि मृत सरकारी कर्मचारी के आश्रितों को संकट से निपटने में मदद मिल सके। अगर कोई बच्चा विकलांग है और जीविकोपार्जन नहीं कर सकता, तो वह 25 साल की उम्र पूरी होने के बाद भी आजीवन पारिवारिक पेंशन पाने के लिए पात्र हो सकता है। अगर बच्चे का नाम पेंशन भुगतान आदेश (पीपीओ) में नहीं जोड़ा गया है या अधिकारियों को सूचित नहीं किया गया है, तो आवेदक विकलांगता प्रमाण पत्र पेश कर सकता है। पारिवारिक पेंशन तब तक दी जाती है जब तक कि बच्चा 25 साल की उम्र नहीं पहुंच जाता और जब तक कि वह 9,000 रुपये से ज़्यादा मासिक आय नहीं कमाना शुरू कर देता।
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फैमिली पेंशन के लिए कौन कर सकता है क्लेम
केंद्रीय सिविल सेवाओं के नियमों के मुताबिक, अगर किसी सरकारी कर्मचारी की मौत हो जाती है, तो उसके परिवार को फैमिली पेंशन मिलती है। फैमिली पेंशन पाने के लिए परिवार के ये लोग पात्र हो सकते हैं: पति या पत्नी, बच्चे, माता-पिता, दिव्यांग भाई-बहन।
अगर मृत कर्मचारी की विधवा या विधुर है, तो उन्हें तब तक फैमिली पेंशन मिलेगी, जब तक वे दोबारा शादी न करें या उनकी मौत न हो जाए। अगर मृत कर्मचारी की कोई विधवा या विधुर नहीं है, तो यह पेंशन उसके बच्चों को मिलेगी, जिनकी उम्र 25 साल से कम है। हालांकि, बच्चे तब तक ही फैमिली पेंशन पा सकते हैं, जब तक वे शादी न करें, कमाना शुरू न करें, या उनकी मासिक आय 9,000 रुपये और महंगाई भत्ता से ज़्यादा न हो।
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अगर बच्चा नाबालिग है, तो उसे वयस्क होने के बाद ही पेंशन का फायदा मिलेगा। महिला कर्मचारी चाहें, तो अपने पति की जगह पर बेटे या बेटी को नॉमिनी बना सकती हैं, इसके लिए उन्हें एक लिखित आवेदन देना होगा। फैमिली पेंशन की गणना, बेसिक सैलरी के 30 फीसदी पर की जाती है। यह रकम कम से कम 3,500 रुपये प्रति महीना और ज़्यादा से ज़्यादा मिलने वाली सबसे ज़्यादा सैलरी का 30 फीसदी के बीच होगी।
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