जब आपको एक्स्ट्रा पैसों की जरूरत होती है, तो आपके सामने एक बड़ा सवाल आता है कि क्या मौजूदा लोन पर टॉप-अप लेना बेहतर है या नया लोन लेना सही रहेगा? टॉप-अप लोन में आप अपने मौजूदा लोन पर ही एक्स्ट्रा रकम उधार ले सकते हैं। यह आमतौर पर नए लोन की तुलना में कम ब्याज दर पर मिलता है और इसमें कम डॉक्यूमेंटेशन प्रोसेस की जरूरत होती है और लंबा रिपेमेंट पीरियड मिलता है।आज हम इस आर्टिकल में आपको टॉप-अप लोन क्या होता है और पर्सनल लोन के मुकाबले यह क्यों ज्यादा फायदेमंद है इसके बारे में बताएंगे।
टॉप-अप लोन क्या है?
टॉप-अप लोन का मतलब होता है कि अतिरिक्त लोन, जिसे हम अपने मौजूदा पर्सनल या होम लोन पर लेते हैं। अगर आप सही समय पर अपनी EMI का पेमेंट कर रहे हैं, तो आप बैंक की शर्तों से सहमत होकर आसानी से टॉप-अप लोन ले सकते हैं। भारत में ज्यादातर बैंक आपके मौजूदा लोन के बराबर इंटरेस्ट रेट पर टॉप-अप लोन देते हैं। इसमें सिंपल डॉक्यूमेंटेशन और क्विक अप्रूवल प्रोसेस होता है।
टॉप-अप लोन के फीचर्स और फायदे
लोन का बोझ कम करने में मिलती है मदद
भारत में बहुत से लोग मौजूदा लोन पर टॉप-अप लोन चुनते हैं, क्योंकि यह सभी मौजूदा लोन को consolidate करने में मदद करता है। इस तरह लोन पर ओवरऑल इंटरेस्ट रेट को कम करने में मदद मिलती है। आप अपने पर्सनल या होम लोन पर टॉप-अप लोन ले सकते हैं, जिससे एक ही समय में कई लोन चुकाने का बोझ कम हो सकता है।
कम डॉक्यूमेंट्स की जरूरत
भारत में कई बैंक टॉप-अप लोन के लिए सरल और कम डॉक्यूमेंट्स ही मांगते हैं, क्योंकि कस्टमर्स पहले से ही बैंक में अकाउंट होल्डर होते हैं या बैंक उनके क्रेडिट हिस्ट्री को जानता है। अगर आपको समझ नहीं आ रहा है कि टॉप-अप लोन में कितने अमाउंट का आवेदन करना चाहिए, तो आप टॉप-अप लोन कैलकुलेटर का इस्तेमाल कर सकते हैं।
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तुरंत अप्रूवल
दरअसल, बैंकों का टॉप-अप लोन आवेदकों के साथ पहले से ही रिलेशन होता है, इसलिए अप्रूवल प्रोसेस पर्सनल या होम लोन की तुलना में तेज होती है।इसके अलावा, आपके बैंक अकाउंट में अमाउंट भी जल्दी ट्रांसफर किया जाता है। इस प्रकार, टॉप-अप लोन तुरंत पैसा पाने और फाइनेंशियल इमरजेंसी को पूरा करने का शानदार तरीका है।
इंटरेस्ट रेट
किसी भी तरह के लोन के लिए आवेदन करते समय लोग सबसे पहले इंटरेस्ट रेट पूछते हैं। भारत में ज्यादातर बैंक अनसिक्योर्ड लोन की तुलना में टॉप-अप लोन पर कम इंटरेस्ट रेट ऑफर करतेहैं। कई बार मन में सवाल आता है कि लोग टॉप-अप लोन का ऑप्शन क्यों चुनते हैं? दरअसल, यह लोन उन्हें अपने रीपेमेंट को आसानी से मैनेज करने में मदद करता है। भारत में कुछ बैंक टॉप-अप लोन आवेदकों को फ्लोटिंग या फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट के बीच सेलेक्ट करने की अनुमति देते हैं।
कोई Collateral नहीं
कई बैंक टॉप-अप लोन आवेदकों से लोन अमाउंट के बदले कोई सुरक्षा या collateral नहीं मांगते हैं। इसके अलावा, न ही उन्हें किसी गारंटर की जरूरत होती है। इससे लोन लेना आसान हो जाता है, बल्कि एप्लीकेशन प्रोसेस और फंड डिस्ट्रीब्यूशन करने में समय काफी कम लगता है। इस तरह, आपको लोन लेते समय किसी भी प्रॉपर्टी को खोने की चिंता नहीं रहती है।
लंबी रीपेमेंट ड्यूरेशन
आमतौर पर, बैंक बकाया राशि और आपके द्वारा आवेदन किए गए लोन अमाउंट के आधार पर टॉप-अप लोन के लिए रिपेमेंट ड्यूरेशन तय करता है।यह अवधि पर्सनल लोन से बहुत लंबी होती है, यही वजह है कि लोग इस लोन को चुनते हैं। हालांकि, टॉप-अप लोन की अवधि आपके ओरिजनल लोन से ज्यादा नहीं हो सकती है।
बैलेंस ट्रांसफर की सुविधा
अगर आपने किसी बैंक से होम लोन या पर्सनल लोन लिया है और वह बैंक आपको टॉप-अप लोन नहीं देता है, तो आप लोन को किसी दूसरे बैंक को ट्रांसफर कर सकते हैं। इससे न केवल एडिशनल लोन पाने में मदद मिलेगी, बल्कि आपकी फाइनेंशियल रिक्वायरमेंट को पूरा करने में भी मदद मिलेगी।
पर्सनल लोन और टॉप-अप लोन के बीच महत्वपूर्ण अंतर-
लोन अमाउंट
- पर्सनल लोन- कोई भी इंसान अपनी एजिबिलिटी और रिक्वायरमेंट के आधार पर 50 हजार से लेकर 50 लाख रुपये तक का पर्सनल लोन पा सकता है।
- टॉप-अप लोन- बैंक आवेदक को मौजूदा अमाउंट पर कम से कम 70 या 80 % अतिरिक्त टॉप-अप लोन देगी।
पात्रता
पर्सनल लोन- आवेदक कम से कम महीने का 20 हजार रुपये कमाता हो। उसका क्रेडिट स्कोर 750 या उससे ज्याद होना चाहिए। आमतौर पर बैंक आवेदक से ID, निवास प्रमाणपत्र, सैलरी रसीदें, मौजूदा लोन और EMI जैसे संबंधित दस्तावेजों की मांग करते हैं। पर्सनल लोन के लिए डॉक्यूमेंट्स बैंक के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं।
टॉप-अप लोन- टॉप-अप लोन की एजिबिलिटी इस बात पर निर्भर करेगी कि आप पर कोई पर्सनल लोन या होम लोन बकाया है या नहीं। लोन आपको केवल तभी मिल सकता है जब एक निर्धारित समय बीत चुका हो और मौजूदा लोन का एक हिस्सा चुका दिया गया हो।
इंटरेस्ट रेट
- पर्सनल लोन- पर्सनल लोन के लिए इंटरेस्ट रेट आमतौर पर अधिक होता है, क्योंकि यह एक अनसिक्योर्ड लोन है।
- टॉप-अप लोन- इस लोन की ब्याज दरें आमतौर पर कम होती हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि टॉप-अप लोन मौजूदा लोन के ऊपर लिया गया अतिरिक्त लोन है, जो इसे सिक्योर्ड लोन बनाता है।
टैक्स बेनिफिट्स
- पर्सनल लोन- आमतौर पर, पर्सनल लोन पर कोई टैक्स बेनिफिट्स का क्लेम नहीं किया जा सकता है।
- टॉप-अप लोन- अगर टॉप-अप लोन अमाउंट का इस्तेमाल घर के रेनोवेशन या एक्सपेंशन के लिए किया जाता है, तो एक निश्चित अमाउंट तक टैक्स बेनिफिट्स का दावा किया जा सकता है।
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अवधि
- पर्सनल लोन- इस लोन की अवधि आमतौर पर 1 से 5 साल तक होती है।
- टॉप-अप लोन- टॉप-अप लोन की अधिकतम अवधि 30 साल या मौजूदा लोन की बची हुई अवधि तक हो सकती है।
प्रोसेसिंग समय और फीस
- पर्सनल लोन- इसमें आमतौर पर 10-15 दिन लगते हैं।
- टॉप-अप लोन- इस लोन के लिए प्रोसेसिंग का समय पर्सलन लोन के मुकाबले कम लगता है।
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Image Credit- freepik
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