आजकर नोज पियर्सिंग यानी नाक छिदवाना पूरी दुनिया में लोकप्रिय बन गया है। लड़कियां फैशन के अनुसार अपनी पसंद की नोज रिंग पहनती हैं। कई संस्कृतियों में, नोज पियर्सिंग यानी नाक छिदवाने को एक सजावटी आभूषण धारण करने का एक जरिया माना जाता है जिसे हम नोज रिंग कहते हैं।
वास्तव में नोज रिंग न सिर्फ हमरी खूबसूरती पर चार चांद लगाती है बल्कि दुल्हन के श्रृंगार का एक अभिन्न हिस्सा भी बन चुकी है। जब भी बात नोज रिंग पहनने की आती है इसे बाईं तरफ ही पहना जाता है।
वास्तव में सवाल ये उठता है कि ज्यादातर लोग इसे बाईं तरफ ही क्यों पहनते हैं? इसकी कोई ख़ास वजह है या सिर्फ फैशन के रूप में ही इसे पहना जाता है। इस सवाल के सही जवाब के लिए हमने ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु विशेषज्ञ डॉ आरती दहिया जी से बात की। आइए आपको बताते हैं कि नोज रिंग को बाईं तरफ ही क्यों पहना जाता है और इसे पहनना महत्वपूर्ण क्यों माना जाता है।
नोज रिंग पहनने का महत्व
यदि हम ज्योतिष की बात करें तो नोज रिंग को एक शादीशुदा महिला के सोलह श्रृंगारों में से एक माना जाता है। हिन्दुओं में परंपरा है कि फेरों के दौरान दुल्हन की नाक में नथ जरूर होनी चाहिए।
ऐसा माना जाता है कि दुल्हन की नथ वैवाहिक जीवन को मजबूत बनाए रखने में मदद करती है। किसी भी शुभ अवसर पर नोज रिंग पहनना एक अच्छा संकेत माना जाता है। यह हमारी सुंदरता को तो बढ़ाती है और यह भी माना जाता है कि इससे माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
नोज रिंग पहनने के ज्योतिष महत्व होने के साथ कई स्वास्थ्य लाभ भी है। नोज रिंग पहनने से महिलाओं के मासिक धर्म से जुड़ी कई समस्याओं में राहत मिलती है।
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नोज रिंग पहनने के फायदे
जब हम नाक में नथ पहनते हैं तो ये नाक एक बाईं तरफ के हिस्से में छेद करके पहनी जाती है। ऐसा माना जाता है कि जिस प्रकार शरीर के अलग-अलग हिस्सों में एक्यूपंक्चर करने से शरीर को फायदे होते हैं, उसी प्रकार नाक छिदवाने और नोज रिंग पहनने से कई रोगों से निपटने में लाभ होता है।
इससे स्वास संबंधी कई समस्याओं से लड़ने की क्षमता का विकास होता है। इसके अलावा लड़कियां सोने या चांदी (चांदी की पायल के फायदे) की नोज़ रिंग पहनती हैं और ये दोनों ही धातुएं शरीर के संपर्क में आने से कई लाभ प्रदान करती हैं।
सोना धातु जहां एक तरफ शरीर को ऊर्जा देता है, वहीं चांदी शरीर को शीतलता प्रदान करने में मदद करती है। चांदी को मन का कारक भी माना जाता है, इसलिए चांदी की नोज़रिंग पहनने से मानसिक शांति भी मिलती है।
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बाईं ओर ही क्यों पहनी जाती है नोज़रिंग
हममें से ज्यादातर लोग नोज़रिंग बाईं तरफ ही पहनते हैं। दरअसल इस प्रथा के पीछे की मान्यता यह है कि नाक की बाईं ओर का हिस्सा मासिक धर्म से सम्बंधित होता है। जब इस हिस्से में छेद करके नोज़ रिंग (नोज़ रिंग को कैसे करें साफ़) पहनी जाती है तब यह मासिक धर्म को नियंत्रित करने में मदद करती है।
मुख्य रूप से नोज़रिंग पहनने से पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द में राहत मिल सकती है। ज्योतिष और आयुर्वेद में सोने और चांदी की नोज़ रिंग पहनने की सलाह दी जाती है क्योंकि ये कई बीमारियों से राहत दिलाने में मदद करती हैं। बाईं ओर नथ पहनना माता पार्वती के प्रति सम्मान दिखाने का भी एक जरिया माना जाता है।
नोज़रिंग पहनना भले ही आजकल का फैशन क्यों न बन गया हो लेकिन इसके कई फायदे भी हैं।
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