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How to identify a liar

इन 5 तरीकों से पता करें कि कोई झूठ बोल रहा है या सच?

अगर कोई इंसान झूठ बोल रहा है तो उसे कैसे पकड़ा जा सकता है या फिर झूठे इंसान की पहचान कैसे की जा सकती है?
Editorial
Updated:- 2022-11-28, 13:59 IST

झूठ बोलना और अपनी बात मनवाना शायद बहुत से लोगों की आदत होगी। यकीन मानिए हमारे आस-पास ही ऐसे कई लोग मिल जाते हैं जो अपना काम निकलवाने के लिए चीज़ों को मैनिपुलेट कर दें। ध्यान देने वाली बात ये है कि कई बार झूठ इतनी सफाई से बोला जाता है कि उसे पकड़ना लगभग नामुमकिन हो जाता है। पर क्या ऐसे तरीके भी होते हैं जो बताएं कि कौन किस तरह से झूठ बोलता है? साइकोलॉजी झूठ और झूठ बोलने वाले के स्वभाव के बारे में कुछ बातें बताती है।

झूठ कैसे हो सकते हैं और कितनी तरह के हो सकते हैं इसके बारे में जानने के लिए हमने फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट की सीनियर चाइल्ड और क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट और हैप्पीनेस स्टूडियो की फाउंडर डॉक्टर भावना बर्मी से बात की। उन्होंने हमें साइकोलॉजी के हिसाब से झूठ को कैसे डिफाइन किया जा सकता है और एक झूठे इंसान को किस तरह से देखा जा सकता है उसके बारे में कुछ बातें बताईं।

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झूठ पकड़ने के तरीके (How To Identify Lie)

डॉक्टर भावना का कहना है कि झूठ पकड़ने के कुछ तरीके हो सकते हैं क्योंकि जो लोग झूठ बोलते हैं वो कुछ साइकोलॉजिकल ट्रेट्स दिखाते हैं, जैसे-

personality of a liar

  • झूठ बोलने वाले लोग हमेशा साधारण और साफ शब्दों का प्रयोग करने की कोशिश करते हैं और एक्स्ट्रा डिटेल देने से बचते हैं।
  • कोई झूठ बोल रहा है तो वो एक सवाल का जवाब बहुत ही कम शब्दों में देने की कोशिश करेगा और जितनी हो सके इन्फॉर्मेशन छुपाने की कोशिश करेगा।
  • बॉडी लैंग्वेज से इस बारे में पता लगाया जा सकता है कि कोई झूठ बोल रहा है। अगर वो बार-बार झूठ नहीं बोलता है तो आंखें चुराने की कोशिश करेगा।
  • जो लोग रेगुलर झूठ नहीं बोलते हैं उन्हें पकड़ना ज्यादा आसान होता है क्योंकि वो किसी झूठ के बारे में बहुत ज्यादा डिटेल देने की कोशिश करेंगे।
  • अगर कोई झूठ बोलने में एक्सपर्ट है तो उसे पता होगा कि झूठ बोलने का सही समय क्या है और उसे कब ये बोलना चाहिए।

झूठे लोग कितनी तरह के हो सकते हैं (Types Of Liars)

यहां एक बात समझने की जरूरत है कि अधिकतर लोग झूठ नहीं बोलते हैं और एक रिसर्च बताती है कि अधिकतर झूठ एक जैसे लोगों द्वारा बोले जाते हैं जिनकी संख्या काफी कम होती है। इन्हें साइकोलॉजिकल टर्म में "prolific liars" कहा जाता है। इस स्टडी में रिसर्चर्स ने बताया कि प्रोलिफिक लायर्स और रोजमर्रा की जिंदगी में झूठ बोलने वाले आम लोगों में अंतर क्या हो सकता है।

lie detection

कौन होते हैं प्रोलिफिक लायर्स? (Prolific Liars)

  • ये लोग एक दिन में पांच या उससे ज्यादा बार झूठ बोल सकते हैं।
  • वो एवरेज इंसान से अलग होते हैं जो ये समझते हैं कि कई मामलों में झूठ बोलना सही है।
  • ऐसे लोग दूसरों के लिए झूठ नहीं बोलते बल्कि अपने स्वार्थ के लिए उन्हें झूठ बोलना सही लगता है और वो अपने राज़ हमेशा सबसे छुपाकर रखना चाहते हैं। (आखिर क्यों पुरुष रिलेशनशिप में बोलते हैं झूठ?)

आखिर क्यों झूठ बोलते हैं लोग? (Why Do People Lie?)

डॉक्टर भावना ने कई सारी स्टडीज के बारे में बताया और उन्होंने कहा कि लोग कई बार अपनी टीम के लिए झूठ बोलते हैं ताकि उनका कुछ फायदा हो सके। अगर कोई ग्रुप एक साथ मिलकर झूठ बोल रहा है तो वो गिल्टी कम फील करेगा क्योंकि वो किसी की मदद के लिए झूठ बोल रहा है। ऐसे में झूठ के पकड़े जाने का डर भी कम होता है क्योंकि अगर झूठ पकड़ा जाएगा तो सभी को एक साथ गिल्टी फील होगा।

झूठ बोलने से पड़ सकता है आपकी याददाश्त पर असर (Lies Can Alter Memories)

एक स्टडी बताती है कि झूठ बोलने वाले लगभग 10-16 प्रतिशत लोगों की याददाश्त पर भी इसका असर पड़ा था। दरअसल, कई बार लोग झूठ में इतना इन्वॉल्व हो जाते हैं कि वो सच को लेकर खुद ही कन्फ्यूज हो जाते हैं। कई बार लोग अपने झूठ को ही सच समझने लगते हैं। रिसर्चर्स मानते हैं कि झूठ बोलने से हमारी याददाश्त भी बदल सकती है और हमारी यादें झूठ के हिसाब से ढल सकती हैं।

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आखिर क्यों झूठ बोलने वालों को सवाल का जवाब देना मुश्किल लगता है? (Why People can't explain their lies?)

अगर आपको ये लग रहा है कि कोई आपसे झूठ बोल रहा है और आप उसे लेकर श्योर नहीं हैं तो उससे सवाल जरूर करें। 'क्यों?' का जवाब देना लोगों के लिए ज्यादा मुश्किल होता है और वो भले ही बेसिक फैक्ट्स के बारे में ज्यादा आसानी से झूठ बोल दें, लेकिन अगर आप उनसे दोबारा उसके बारे में सवाल पूछेंगे तो उनकी हड़बड़ाहट साफ दिखेगी। अगर कोई अपनी बातों को समझाने की कोशिश कर रहा है और बार-बार घबरा रहा है या फिर समझा नहीं पा रहा तो ये दिखाता है कि वो उस बारे में झूठ बोल रहा है।

झूठ बोलना कहीं ना कहीं आपकी साइकोलॉजी पर निर्भर करता है और झूठ को पकड़ने के भी यही तरीके होते हैं। ये जरूरी है कि सभी की बातों पर आंख बंद करके विश्वास ना किया जाए। आपकी इस बारे में क्या राय है हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।

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