Vat Savitri Vrat Katha 2023: वट सावित्री व्रत की जरूर पढ़ें कथा, मिलेंगे ये लाभ

Vat Savitri Vrat Katha 2023: 19 मई को वट सावित्री का व्रत रखा जाएगा। मान्यता है कि इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा करने से पति की आयु बढ़ती है और वैवाहिक जीवन भी सुखी रहता है लेकिन बिना वट सावित्री व्रत कथा के यह व्रत पूर्ण नहीं माना जाता है।  

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Vat Savitri Vrat 2023 Ki Puri Katha: 19 मई, दिन शुक्रवार को वट सावित्री का व्रत रखा जाएगा। इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा का अत्यंत महत्व है।

मान्यता है कि वट सावित्री व्रत के दिन इस व्रत से जुड़ी कथा अवश्य पढनी चाहिए। व्रत पूजा के साथ-साथ कथा पढ़ने से सुहागिनों को कई लाभ मिलते हैं।

ऐसे में ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं वट सावित्री व्रत की कथा और उस कथा को पढ़ने के मिलने वाले लाभों के बारे में।

वट सावित्री व्रत कथा (Vat Savitri Vrat Katha 2023)

  • वट सावित्री व्रत की कथा का उल्लेख भविष्य पुराण में मिलता है। वट सावित्री व्रत के नाम से पता चलता है कि यह व्रत सावित्री देवी द्वारा शुरू हुआ था।
  • पौराणिक कथा के अनुसार, देवी सावित्री राजा अश्वपति की कन्या थीं और सत्यवान उनके पति थे। सावित्री ने सत्यवान को अपने वर के रूप में चुना था।
  • देवर्षि नारद (देवर्षि नारद ने भगवान विष्णु को क्यों दिया श्राप) को जब यह पता चला तो उन्होंने सावित्री को सत्यवान के अल्पायु यानी कि कम आयु में ही रित्यु हो जाने वाली बात बताई।
  • यह सुनने के बाद भी सावित्री ने अपना निर्णय नहीं बदला। उन्होंने सत्यवान से ही विवाह किया और उनकी लंबी आयु के लिए घोर ताप में लीन हो गईं।
  • सावित्री ने बरगद के वृक्ष के नीचे सत्यवान के लिए कठोर तपस्या आरंभ की लेकिन तपस्या पूर्ण होने के अंतिम दिन ही यमराज प्रकट हुए।
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  • यमराज ने सत्यवान के प्राण हर लिय और उनकी आत्मा को यमलोक ले जाने लगे मगर सावित्री भी हटी थीं और यमराज के पीछे चल दीं।
  • जब यमराज ने सावित्री को पीछे आते देखा तो उन्होंने कई तरीको से सावित्री को ऐसा करने से रोकना चाहा लेकिन सावित्री नहीं रुकीं।
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  • यमराज ने सतीत्व से जुड़े सावित्री से कई प्रश्न भी पूछे जिनके जवाब दे पाना सरल न था लेकिन सावित्री ने यमराज की इस परीक्षा को भी पार कर लिया।
  • तब अंत में यमराज (कैसे बने यमराज मृत्यु के देवता) ने सावित्री का अपने पति सत्यवान के लिए प्रेम और दृढ़ निश्चय देख उन्हें वरदान मांगने को कहा।
  • सावित्री ने चतुराई के साथ सत्यवान से 100 पुत्र होने का आशीर्वाद यमराज से मांगा। बिना सत्यवान के पुत्र संभव ही कहां।
  • यमराज समझ गए और उन्होंने पति की तरफ सावित्री की निष्ठा देख उन्हें सत्यवान के प्राण लौटा दिए।
  • तभी से यह ज्येष्ठ माह की अमावस्या के दिन वट सावित्री व्रत का चलन शुरू हुआ। इस दिन सावित्री सत्यवान की कथा सुनने से अखंड सौभग्य मिलता है।

तो ये है वट सावित्री व्रत की संपूर्ण कथा। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

Image Credit: freepik, shutterstock

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