दूल्हे के कपड़े फाड़ने से लेकर दुल्हन के ससुराल में दूध छिड़कने तक, जानें इन शादियों के अनोखे पर खूबसूरत रिवाज

सिंधी शादियों में आखिर क्यों फाड़े जाते हैं दूल्हे के कपड़े और दुल्हन को निभानी पड़ती हैं कैसी रस्में जानें इन शादियों की खास रस्मों के बारे में। 

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भारत एक ऐसा देश है जहां यूनिटी इन डाइवर्सिटी का नारा प्रचलित है यकीनन भारत में कई तरह के त्योहार, रीति-रिवाज और अलग-अलग तरह की शादियों का चलन है। हर समुदाय की शादी अलग तरह से होती है और उसमें रस्में भी कुछ खास होती हैं। पर कुछ शादियों की रस्में यकीनन बहुत खास होती हैं जिसमें पूरा परिवार मिल जुलकर हंसी ठिठोली करता है। पर क्या आप जानते हैं कि कुछ ऐसी रस्में भी होती हैं जहां मौज-मस्ती जरूरत से ज्यादा होती है।

आज हम सिंधी शादियों की बात कर रहे हैं जहां दूल्हे के कपड़े फाड़ना और दुल्हन का घर में दूध छिड़कना बहुत ही यूनीक पर खूबसूरत रिवाज होता है। आज सिंधी शादियों में होने वाली अन्य रस्मों की बात करते हैं। बाकी भारतीय शादियों की तरह सिंधी शादी में भी बहुत सारी रस्में होती हैं जहां पूरा परिवार एक साथ मौजूद रहता है।

शादी के पहले होने वाले रिवाज-

सिंधी शादियों में शादी तय होने पर कई तरह के रिवाज होते हैं और अक्सर इसकी शुरुआत जान्या और कच्ची मिश्री से होती है।

1. जान्या-

ये जनेऊ की तरह होता है जहां पवित्र धागा दूल्हे को पहनाया जाता है। अगर ये रिवाज नहीं किया गया तो शादी को पूरा नहीं माना जाता है।

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2. कच्ची मिश्री-

ये शादी की घोषणा की तरह होती है जहां दूल्हे और दुल्हन को नारियल और मिश्री दी जाती है जो शादी की शुरुआत मानी जाती है।

3. पक्की मिश्री-

ये फॉर्मल सगाई की रस्म होती है जहां पर दूल्हा और दुल्हन एक दूसरे को अंगूठियां पहनाते हैं और गणेश पूजा और अरदास की जाती है।

4. बेराना-

भगवान झूलेलाल के नाम पर ये सतसंक किया जाता है। ये शादी की आधिकारिक शुरुआत मानी जाती है और ये शादी के 10 दिन पहले किया जाता है।

5. लाड़ा-

दूल्हे के परिवार वाले सभी दोस्तों, संबंधियों और पड़ोसियों को लोकगीत और मस्ती भरी शाम की दावत देते हैं। यहां ढोलक की ताल पर कई सारे गीत गाए जाते हैं।

एक रस्म जिसमें फाड़े जाते हैं दूल्हे के कपड़े-

इस रस्म को सांठ/वनवास कहा जाता है जो दूल्हे और दुल्हन के घरों में अलग-अलग की जाती है और ये शादी के एक या दो दिन पहले होती है। सांठ की रस्म में पंडित द्वारा पूजा कर एक छल्ला दूल्हे और दुल्हन के दाएं पैर पर बांधता है। इसके बाद साल सुहागनें दूल्हे और दुल्हन के सिर पर तेल डालती हैं और इस रस्म के बाद दोनों को नए जूते पहन कर एक मिट्टी का दिया अपने दाएं पैर से तोड़ना होता है। अगर ये दोनों सफल हो जाते हैं तो ये बहुत शुभ संकेत माना जाता है। इस रस्म के बाद दूल्हे के कपड़े फाड़ने की प्रथा की जाती है जहां पूरा परिवार मिलकर दूल्हे के कपड़े को एक साथ फाड़ते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि बुरी ताकतें चली जाएं और शादी में शुभ हो।

6. मेहंदी-

मेहंदी की रस्म का मौका बाकी सभी शादियों की तरह होती है जिसमें दुल्हन को मेहंदी लगाई जाती है। घर की सभी महिलाएं मेहंदी लगवाती हैं।

7. सागरी-

इस रस्म में दुल्हन को फूलों से नहलाया जाता है। ये परिवार वालों के आशीर्वाद की तरह होता है। इसी रात को दूल्हा भी दुल्हन के घर जाता है और उसे फूल मालाएं पहनाई जाती हैं।

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8. घरी पूजा-

ये पूजा काफी लंबी होती है और दूल्हा और दुल्हन दोनों के घर होती है। घर की सुहागनें गेहूं पीसती हैं जो समृद्धि का प्रतीक मानना जाता है। दूल्हे और दुल्हन की मां अपने सिर पर पानी की मटकी लेकर घर के बाहर जाती हैं। इस रस्म में जमाई का भी बहुत अहम योगदान होता है। ऐसा माना जाता है कि जमाई अपनी सास की रक्षा करेगा। जब ये रस्म पूरी हो जाती है तो दूल्हा-दुल्हन की मां घर वापस आती हैं और उन्हें फूल मालाएं पहनाई जाती हैं जिसके बाद उस मिट्टी की मटकी की पूजा होती है। इसी रस्म में 5 किलो गेहूं दूल्हा-दुल्हन को 21 मुट्ठी में भरकर पुजारी को देना होता है। यानी 5 किलो गेहूं को 21 बार में अपनी मुट्ठी में भरकर पुजारी को अर्पण किया जाता है।

9. नवग्रह पूजा-

इसमें गणेश पूजा, ओमकार पूजा, लक्ष्मी पूजा, कलश पूजा और 9 ग्रहों की पूजा होती है। यहां देवताओं को शादी में न्योता दिया जाता है। उन्हें दूध, पानी, खाना आदि दान दिया जाता है। यहां दुल्हन के मामा, चाचा और भाई की अहम भूमिका होती है।

शादी वाले दिन होने वाली रस्में-

सिंधी शादियों में शादी के पहले तो कई सारी रस्में होती हैं, लेकिन शादी वाले दिन भी कम नहीं होती हैं।

1. हल्दी-

हर भारतीय शादी की तरह इसमें हल्दी सेरेमनी भी होती है जहां दूल्हे और दुल्हन को तेल और हल्दी लगाई जाती है। इसके बाद जोड़ा घर के बाहर नहीं जा सकता है।

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2. दूल्हे को तैयार करना-

दूल्हे के बालों में रिबन बांधा जाता है जिसे पंडित बुरी नजर से बचने के लिए बांधता है। इसी के साथ उसके गले में लाल कपड़ा बांझा जाता है जिसके अंत में नारियल होता है। दूसरा सफेद कपड़ा भी होता है जिसके अंत में पैसे (करछी यानी शुभ दक्षणा) बांधी जाती है जिसके साथ चावल और इलाइची भी होती है। दुल्हन का भाई और कोई महिला रिश्तेदार दूल्हे के घर जाकर उसे शादी के वेन्यू तक लेकर आते हैं।

3. पांव धुलाई-

दुल्हन का भाई दूल्हे और दुल्हन के पैरों को धुलवाता है और इसके बाद पूजा की जाती है। दूल्हे को विष्णु का अवतार माना जाता है।

4. शादी-

पांव धुलाई के बाद शादी की रस्म शुरू होती है जहां दूल्हा और दुल्हन का जयमाल होता है। इसके बाद दूल्हे के गले में बंधे हुए सफेद कपड़े को दुल्हन के गले में डाला जाता है और दूल्हे के गले में बंधे लाल कपड़े से गठबंधन किया जाता है। इसी मौके पर दुल्हन और दूल्हे के दाएं हाथ को धागे से बांधा जाता है। इसके बाद गणेश पूजा, लक्षमी पूजा और 64 देवियों से जोड़े को आशीर्वाद देने को कहा जाता है।

सिंधी शादी में होते हैं सिर्फ 4 फेरे और दुल्हन का पूरा नाम जाता है बदल-

जहां बाकी शादियों में 7 फेरों का रिवाज होता है वहीं सिंधी शादियों में सिर्फ 4 फेरे होते हैं और दुल्हन का नाम पूरी तरह से बदल दिया जाता है। दूल्हे के नाम और दुल्हन की कुंडली के आधार पर नया नाम रखा जाता है। इसके बाद कन्यादान होता है और अन्य शादी की रस्में होती हैं।

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शादी के बाद होने वाली रस्में-

अगर आपको लगता है कि शादी होते ही सिंधी शादियों की रस्में खत्म हो गईं तो ऐसा नहीं है।

1. दातर (दुल्हन ससुराल में छिड़कती है दूध)

इस रस्म में दुल्हन का गृहप्रवेश होता है और दुल्हन घर में आते ही घर के चारों ओर दूध छिड़कती है। इसके बाद वो थोड़ा सा नमक अपने पति के हाथ में देती है और दोबारा बिना नमक गिराए वो वापस अपने हाथों में लेती है। ये दातर की रस्म तीन बार होती है।

2. रिसेप्शन-

शादी के बाद रिसेप्शन दिया जाता है और साथ ही साथ दुल्हन के पगफेरे की रस्म भी होती है और इसके बाद ही शादी खत्म होती है।

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