जब भक्त तुलसीदास को बचाने अकबर के दरबार में पहुंचे हनुमान

आज हम आपको एक ऐसी कथा के बारे में बताने जा रहे हैं जब भक्त तुलसीदास के प्राण संकट में देख हनुमान जी स्वयं उनकी रक्षा के लिए अकबर के महल पहुंच गए थे। 

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Hanuman Ji Aur Tulsidas Ji Ki Katha: आज हम आपको एक ऐसा किस्सा सुनाने जा रहे हैं जो एक भक्त की भक्ति को दर्शाता है, अपने भगवान के प्रेम अटूट विश्वास को दर्शाता है और एक भगवान के अपने भक्त के लिए स्वयं दौड़े चले आने को दर्शाता है।

हमारे ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स ने हमें तुलसीदास जी की भक्ति और हनुमान जी की शक्ति से जुड़ा एक ऐसा किस्सा बताया है जिसके साक्षी स्वयं मुग़ल सम्राट अकबर रह चुके हैं। आज हम आपको उसी दिलचस्प किस्से के बारे में बताने जा रहे हैं।

  • पौराणिक कथा के अनुसार, जब तुलसीदास जी ने घर-बार सब छोड़ वन की ओर प्रस्थान किया तब उन्होंने 14 वर्ष तक तीर्थ स्थलों पर भ्रमण किया लेकिन उन्हें अपने जीवन का उद्देश्य और परम ज्ञान प्राप्त न हुआ।
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  • इससे तुलसीदास जी बहुत दुखी थे और क्रोध में आकर उन्होंने अपना जल से भरा कमंडल एक पेड़ के पास फेंक दिया। उस पेड़ में एक आत्मा का वास था जिसने जल अर्पण से खुश हो कर तुलसीदास जी से वर मांगने को कहा।
  • तुलसीदास जी ने परम ज्ञान और राम (श्री राम की मृत्यु का रहस्य) दर्शन की इच्छा जताई। तब उस प्रेत ने हनुमान जी के बारे में बताया। उसने तुलसीदास जी को हनुमान मंदिर भेजा जहां राम नाम के जाप से तुलसीदास जी को हनुमान जी के दर्शन हुए।
  • दो राम भक्त का मिलन हुआ और सारा वातावरण राम नाममयी हो गया। इसके बाद हनुमना जी ने तुलसीदास जी को यह वरदान दिया कि वह जब भी उन्हें बुलाएंगे हनुमान जी हमेशा उनकी रक्षा और उनसे मिलने के लिए अवश्य आएंगे।
  • एक बार तुलसीदास नाम का एक ब्राह्मण राम भजन गाता है इस बात की खबर अकबर तक पहुंची। अकबर ने तुलसीदास जी को अपने दरबार में बुलाया। जब तुलसीदास जी वहां पहुंचे तो अकबर ने उनका स्वागत किया।
  • लेकिन तुलसीदास जी ने विनम्र प्रणाम तो किया मगर अकबर के आगे झुककर सलामी नहीं दी। यह देख समस्त दरबारी गुस्से में आ गए और अकबर को भी यह व्यवहार पसंद नहीं आया। तब तुलसीदास जी ने उन्हें कहा कि वह सिर्फ श्री राम के आगे झुकते हैं।
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  • यह सुन अकबर का गुस्सा चरम पर पहुंच गया और उसने तुलसीदास जी को बंधी बनाने का आदेश दिया। यह सुन तुलसीदास जी घबराने के स्थान पर हनुमान जी के भजन गाने लगे। कहा जाता है कि तुलसीदास जी की पुकार सुन हनुमान जी स्वयं वहां प्रकट हो गए।
  • हुआ यूं कि पहले तो अकबर के महल पर अचानक कई बड़े-बड़े झुंड में वानरों ने हमला कर दिया और सिपाहियों को घायल कर दिया। पूरे महल में वानरों ने हाहाकार मचा दिया था। जिसे देख अकबर भी घबरा गए थे और कुछ भी समझ पाने में असमर्थ थे।
  • कथा के अनुसार, फिर अचानक वानर शांत हो गए और एक जगह स्थिर हो गए उसके बाद कहा जाता है कि हनुमान जी (जानें हनुमान जी की पत्नी और ससुर का नाम) के आकार की एक छवि अकबर के दरबार में उत्पन्न हुई जिससे दिव्य तेज निकल रहा था। तुलसीदास जी समझ गए कि हनुमान जी स्वयं आए हैं।
  • तुलसीदास जी ने अकबर को बताया कि आपने मेरा अहित करना चाहा और मेरे प्रभु स्वयं आ गए। तब अकबर ने हनुमान जी की शक्ति को माना और तुलसीदास जी को आदरपूर्वक उनकी कुटिया में जाने दिया।
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  • कहा जाता है कि इस चमत्कार के बाद से ही अकबर रोजाना तुलसीदास जी की रामचरितमानस सुनने उनके निवास स्थान पर जाया करते थे और राम भक्ति में खो जाया करते थे।

तो इस प्रकार तुलसीदास जी को बचाने स्वयं हनुमान जी अकबर के महल पहुंच गए थे। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

Image Credit: Freepik, Shutterstock

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