त्रिशूल और पंचशूल में क्या होता है अंतर? जानें महत्व

आज हम आपको भगवान के त्रिशूल और पंचशूल में अंतर बताने जा रहे हैं। माना जाता है कि पंचशूल त्रिशूल से अलग ही नहीं ज्यादा चमत्कारी भी है।   

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Lord Shiva: भगवान शिव के जितनी भी मंदिर हैं सब में शिवलिंग के साथ-साथ नंदी जरूर मिलेंगे। लेकिन सिर्फ नंदी ही नहीं बल्कि भगवान शिव से जुड़ी एक और वस्तु है जो हर मंदिर में पाई जाती है। वह वस्तु है त्रिशूल। भगवान शिव का त्रिशूल हर मंदिर में मिलता है क्योंकि भगवान शिव और नंदी जी के साथ-साथ महादेव के त्रिशूल की पूजा का भी विधान है।

वहीं, एक ऐसा मंदिर भी है जहां शिव जी के त्रिशूल के नहीं बल्कि पंचशूल के दर्शन होते हैं। वह मंदिर है बाबा बैद्यनाथ मंदिर। यह इकलौता ऐसा मंदिर है जिसके शिखर पर त्रिशूल नहीं बल्कि पंचशूल स्थापित है। यूं तो इस मंदिर के कई रहस्य हैं। लेकिन आज हम आपको हमारे ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर पंचशूल के महत्व और रहस्य को बताने जा रहे हैं।

त्रिशूल और पंचशूल में अंतर

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  • भगवान शिव (टैलेंट निखारने के लिए भगवान शिव का पाठ) के अस्त्र के रूप में त्रिशूल को जाना जाता है। त्रिशूल में एक डंडे के ऊपर 3 छोटी-छोटी नुकीली सलाखें होती हैं। त्रिशूल को बहुत शुभ माना जाता है और इसे घर में रखने से सौभाग्य जाग जाता है।
  • पंचशूल त्रिशूल की तरह ही होता है बस दिखने में अंतर यह है कि इसमें 3 के बजाय 5 छोटी-छोटी सलाखें होती हैं। पंचशूल को घर में रखने की मनाही होती है क्योंकि इसका तेज और इससे घर में रखने के परिणाम विपरीत हो सकते हैं।

त्रिशूल और पंचशूल का धार्मिक महत्व

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  • धर्म शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव का जहां एक ओर तीन अंक से गहरा नाता है तो वहीं उन्हें 5 अंक बेहद प्रिय है। जब भगवान शिव अपने सामान्य रूप में होते हैं तब वह त्रिशूल धारण करते हैं।
  • लेकिन जब वह पंचमुखी महादेव के रूप में अवतरित होते हैं तब वह पंचशूल धारण करते हैं। जिस प्रकार तीन मुखी रुद्राक्ष (रुद्राक्ष धारण करने के नियम), त्रिनेत्र, त्रिशूल आदि को 3 अंक से जोड़ते हुए भगवान शिव का अंक माना गया है।
  • ठीक उसी प्रकार पंचशूल, पंचमुखी रुद्राक्ष, पंचाक्षरी मंत्र आदि को पांच अंक से जोड़ते हुए भगवान शिव के पंचमुखी अवतार को सिद्ध करने का साधान माना गया है।
  • त्रिशूल और पंचशूल में एक अंतर यह भी है कि त्रिशूल को गृहस्थी घर में रख सकते हैं लेकिन पंचशूल को रखने का नियम मात्र सन्यासियों या अघोरियों के लिए ही मान्य है।

तो ये था त्रिशूल और पंचशूल में अंतर और इनका महत्व। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

Image Credit: Pinterest

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