हिंदू धर्म में, पेड़-पौधों को देवी-देवताओं का निवास स्थान माना जाता है। उनका मानना है कि इनमें आध्यात्मिक शक्तियां होती हैं और इनकी पूजा करने से देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है। पेड़-पौधों को न केवल जीवनदायिनी शक्ति का स्रोत माना जाता है, बल्कि इनमें देवी-देवताओं का वास भी माना जाता है। पेड़-पौधे पवित्रता और शुद्धता के प्रतीक हैं। इनकी पूजा करने से मन शुद्ध होता है और पापों का नाश होता है। पेड़-पौधों का उपयोग कई धार्मिक अनुष्ठानों में किया जाता है। जैसे कि पूजा में फूलों और पत्तियों का चढ़ावा, हवन में लकड़ी का उपयोग, आदि। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं कि किन पेड़-पौधों में किस देवी-देवता का वास माना जाता है।
आंवला
हिंदू धर्म ग्रंथ के अनुसार आंवला के पेड़ में मां लक्ष्मी का वास होता है। आंवले के पेड़ का कार्तिक एवं अश्विन मास में पूजन किया जाता है। साथ ही लक्ष्मी पूजा में आंवले की डाली,फल और पत्ते का पूजन किया जाता है। इसके अलावा आंवले की लकड़ी से लक्ष्मी और विष्णु जी की मूर्ति बनाई जाती है और घरों में इसका पूजन किया जाता है।
बेल
शिवपुराण के अनुसार बेल के पेड़ में भगवान शिव के साक्षात वास के बारे में वर्णन किया है। कहा जाता है कि नियमित रूप से बेल के पेड़ के दर्शन, स्पर्श और पूजा करने से समस्त दुखों एवं पापों से मुक्ति मिलती है। बेल के पत्ते, फल और लकड़ी का शिव पूजा में बहुत महत्व है। इस पेड़ को शिव का रूप माना जाता है। बेलपत्र को त्रिदेव का स्वरूप माना गया है, जिसमें ब्रह्मा, विष्णु और शिव का वास होता है।
केले का पेड़
केले के पेड़ में भगवान विष्णु का वास होता है। गुरुवार के पूजन में इस पेड़ का पूजा किया जाता है। बिना केले के पेड़का गुरू बृहस्पति भगवान का पूजन अधूरा माना गया है। केले के पेड़ को दिवाली के सजावट के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है साथ ही सत्य नारायण व्रत में केले के पत्ते और पेड़ की विशेष महत्व है। भगवान विष्णु को केले का फल बहुत प्रिय है इसलिए इसका भोग भी उन्हें लगाया जाता है।
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नीम का पेड़
यह पेड़ न सिर्फ औषधीय गुणों से भरपूर है बल्कि इस पेड़ में भगवती दुर्गा का वास माना जाता है। दक्षिण भारत में विशेष रूप से दुर्गा पूजन के लिए नीम के पत्तों का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा नीम के पेड़ में शीतली देवी का भी वास होता है इस लिए यह वृक्ष पूजनीय है। नीम के पेड़ को नीमारी देवी के रूप में जाना जाता है। इसका पेड़ भारत में ही नहीं बल्कि पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, म्यानमार (बर्मा), थाईलैंड, इंडोनेशिया, श्रीलंका आदि देशों में भी पाया जाता है।
तुलसी
शास्त्रों के अनुसार तुलसी के पौधे में साक्षात लक्ष्मी और भगवान विष्णु का वास होता है। तुलसी के जड़ों में भगवान शालिग्राम का वास माना गया है। तुलसी की पत्ती और मंजरी भगवान श्री कृष्ण को बहुत पसंद है। नियमित रूप से भगवान श्री हरि विष्णु को तुलसी की मंजरी और पत्ती चढ़ाई जाती है। साथ ही उन्हें चढ़ने वाले भोग या प्रसाद में भी तुलसी की पत्ती डाली जाती है। नियमित रूप से तुलसी के पौधे के आगे घी का दीपक जलाई जाती है।
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हिंदू धर्म में ऐसे कई और पेड़ पौधे हैं जिनमें भगवान का वास बताया गया है। इस लेख में दी गई जानकारी आपके लिए लाभदायक हो सकती है। अगर आपको यह लेख पसंद आई है, तो इसे लाइक और शेयर जरूर करें। ऐसे ही इंटरेस्टिंग लेख पढ़ने के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी के साथ।
Image Credit: Freepik, Herzindagi
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