Transgender Persons Act: हर देश में ट्रांसजेंडर समुदाय से जुड़े अलग-अलग अधिनियम हैं। भारत में भी ट्रांसजेंडर समुदाय ने अपने हक के लिए लंबी लड़ाई लड़ी। साल 2019 में भारतीय संसद द्वारा ट्रांसजेंडर अधिनियम पारित किया गया। इस अधिनियम का उद्देश्य ट्रांसजेंडर समुदाय के अधिकारों की रक्षा करना है। इस अधिनियम के बारे में हमने बात की बॉम्बे हाई कोर्ट में वकील शकानी शाह से।
ट्रांसजेंडर व्यक्ति अधिनियम, 2019
ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम साल 2019 में लाया गया। यह अधिनियम ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों को खुद की पहचान चुनने का हक देता है। इस अधिनियम की मदद से एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति अपने प्रमाण पत्र बनवा सकते हैं।(LGBTQIA क्या है?)
संसद टीवी द्वारा प्रकाशित लेख के मुताबिक, "यह अधिनियम ट्रांसजेंडर व्यक्ति को परिभाषित करता है, जिसका लिंग जन्म के समय निर्दिष्ट लिंग से मेल नहीं खाता है। इसमें ट्रांस-पुरुष, ट्रांस-महिला, इंटरसेक्स विविधता वाले व्यक्ति और सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान वाले व्यक्ति, जैसे किन्नर और हिजड़ा शामिल हैं।
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भेदभाव को खत्म करना है यह अधिनियम
ट्रांसजेंडर व्यक्ति अधिनियम ट्रांसजेंडर समुदाय के खिलाफ होने वाले सभी भेदभाव को भी खत्म करता है। फिर चाहे बात शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य सेवा और सार्वजनिक शौचालयों और सार्वजनिक परिवहन की ही क्यों ना हो, ट्रांसजेंडर समुदाय के लोग बेझिझक अपनी आवाज उठा सकते हैं।
कोई भी सरकारी या निजी संस्था भर्ती के मामलों में किसी ट्रांसजेंडर व्यक्ति के साथ भेदभाव नहीं कर सकती है। ऐसा होने पर सरकार द्वारा एक्शन लिया जाएगा। इसके अलावा यह अधिनियम शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा जैसी भी कई हक देता है।
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