दुनिया में हर बच्चा अलग है और उसकी अपनी कुछ खासियतें हैं। यूं तो बच्चों को संभाल पाना हमेशा से ही पैरेंट्स के लिए एक टफ टास्क रहा है। लेकिन अगर बात हाइपरएक्टिव बच्चे की हो तो चुनौतियां कई गुना बढ़ जाती हैं। ऐसे बच्चों का आमतौर पर एनर्जी लेवल काफी हाई रहता है और इसलिए उन्हें यह समझ में ही नहीं आता कि वह अपनी एनर्जी को किस तरह यूटिलाइज करें।
जिसके कारण बच्चे अक्सर डिस्ट्रक्टिव हो जाते हैं, जिसके कारण पैरेंट्स की मुश्किलें और भी अधिक बढ़ जाती हैं। ऐसे बच्चों के साथ धैर्य के साथ समझाना या फिर बात मनवाना भी काफी मुश्किल हो जाता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि वह जल्दी से किसी की बात सुनते ही नहीं हैं। हो सकता है कि आपका बच्चा भी दूसरों से अलग हो और आपको उसे हैंडल करने में परेशानी हो रही हो। तो चलिए आज इस लेख में दिल्ली के सरोज अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट पीडियाट्रिशियन डॉ. के के गुप्ता आपको ऐसे कुछ आसान तरीकों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें अपनाकर आप काफी हद तक अपने बच्चे को डील कर पाएंगी-
पहचानें लक्षण
हाइपर एक्टिव बच्चों के साथ डील करने से पहले उनकी पहचान करना आवश्यक है। दरअसल, ऐसे बच्चों में कुछ लक्षण नजर आ सकते हैं-
- ऐसे बच्चों का एनर्जी लेवल काफी हाई होता है, इसलिए ऐसे बच्चे एक जगह पर बहुत देर तक शांत नहीं बैठते हैं। अगर वह एक जगह पर बैठे होते हैं, तो भी लगातार हिलते रहते हैं।
- वह जल्दी से किसी बात पर ध्यान नहीं देते हैं और ना ही किसी की इंस्ट्रक्शन को फॉलो करते हैं।
- ऐसे बच्चे दूसरों के काम में दखलअंदाजी करते हैं। हो सकता है कि वह आपको कॉल पर बार-बार परेशान करें।
- ऐसे बच्चे बहुत ही आसानी से डिस्ट्रैक्ट हो जाते हैं और वह एक काम करते हुए उसे छोड़कर बीच में ही दूसरे काम में लग जाते हैं।
- ऐसे बच्चों में अधिकतर गुस्सा भी देखा जाता है। वह छोटी-छोटी बातों पर चिल्लाते हैं और चीजें फेंकते हैं।
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एनर्जी को करें चैनलाइज
चूंकि, ऐसे बच्चों का एनर्जी लेवल बहुत अधिक हाई होता है, इसलिए यह जरूरी होता है कि ऊर्जा को सही दिशा दी जाए। अगर ऐसा नहीं होता है, तो इससे बच्चे बहुत अधिक डिस्ट्रक्टिव हो सकते हैं। इसके लिए आप कुछ उपाय अपना सकती हैं। मसलन, बच्चे को मेंटल एक्टिविटी व फिजिकल एक्टिविटीज में शामिल करें। एक्टिविटीज कुछ ऐसी होनी चाहिए, जिससे उनकी एकाग्रता बेहतर हो। साथ ही, फिजिकल एक्टिविटी के लिए आप उन्हें कुछ आउटडोर गेम्स खिलवा सकती हैं। इसके अलावा, आप बच्चे को कुछ स्टैकिंग गेम्स व पजल्स लाकर दें।
सिंपल तरीके से ही करें बात
यह हाइपर एक्टिव बच्चों को हैंडल करने का एक आसान तरीका है। दरअसल, ऐसे बच्चों के साथ हमेशा ही सिंपल तरीके से बात करें। ध्यान दें कि आप बच्चे से हमेशा छोटी व सिंपल लाइन्स में ही बात करें। कभी भी उन्हें एक साथ दो-तीन इंस्ट्रक्शन ना दें। दरअसल, ऐसे बच्चे बातों को ध्यान से नहीं सुनते हैं और इसलिए अगर इस स्थिति में बच्चे से कॉम्पलीकेटिड बात की जाती है, तो वह और भी अधिक उलझ जाते हैं और फिर वह आपकी बात को सुनने या फिर आपकी बात को मानने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाते हैं।
स्क्रीन टाइम को रखें मिनिमम
यूं तो बच्चों के लिए बहुत अधिक स्क्रीन टाइम कभी भी अच्छा नहीं माना जाता है। लेकिन अगर आपका बच्चा हाइपर एक्टिव है, तो इस बात का ध्यान रखना और भी ज्यादा जरूरी हो जाता है। दरअसल, ऐसे बच्चे बहुत ही आसानी से डिस्ट्रैक्ट हो जाते हैं और इसलिए अगर वह बहुत अधिक स्क्रीन देखते हैं, तो इससे उन्हें ध्यान लगाने में समस्या होती है और फिर उन पर इसका नेगेटिव असर नजर आता है।
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अपनाएं रिवॉर्ड थेरेपी
हाइपर एक्टिव बच्चों के साथ रिवॉर्ड थेरेपी सबसे बेहतर तरीके से काम करती है। मसलन, अगर बच्चा आपकी किसी बात को मानता है या फिर अच्छा बिहेव करता है तो आप उसे बतौर रिवॉर्ड कोई गेम, चॉकलेट या आइसक्रीम लाकर दे सकते हैं। इससे बच्चे को प्रोत्साहन मिलता है और धीरे-धीरे उनके व्यवहार में भी परिवर्तन नजर आने लगते हैं। साथ ही, इससे बच्चे को हैंडल करना भी आसान हो जाता है। हालांकि, यहां इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखें कि आपको बच्चे को रिवॉर्ड देना है, रिश्वत नहीं।
अब इन आसान उपायों को अपनाकर देखिए, यकीनन आपको सिचुएशन में काफी अंतर नजर आएगा।
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