नवरात्रि के नौ दिनों के बाद दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है। इस दिन रावण दहन किया जाता है। रावण कौन था और उसका वध किसने किया था? इस बारे में लगभग सभी को पता है। दशहरे को भारत में उत्सव की तरह मनाया जाता है। इस दिन भी विधि विधान से पूजा की जाती है और फिर रावण का दहन होता है।
पहले के जमाने में रावण दहन केवल मंदिरों या फिर जहां रामलीला का आयोजन होता था, वहीं किया जाता था। लेकिन वक्त बदलने के साथ लोगों की लाइफस्टाइल इतनी बदल चुकी है कि उनके पास रावण दहन देखने के लिए किसी विशेष स्थान पर जाना संभव नहीं है। मगर रावण दहन का क्रेज आज भी लोगों में कम नहीं हुआ है और इसलिए कुछ लोग घर पर ही रावण बनाते हैं और उसका दहन करते हैं।
रावण दहन करना महज रावण के पुतले को अग्नि के हवाले करना नहीं है। शास्त्रों में रावण की शक्तियों और ज्ञान का बखान मिलता है। स्वयं भगवान श्री राम ने भी रावण का वध करने के बाद शोक प्रकट किया था और अपने छोटे भाई लक्ष्मण को रावण जैसे विद्वान पुरुष से ज्ञान अर्जित करने की सलाह दी थी।
इस बारे में भोपाल के पंडित एवं ज्योतिषाचार्य विनोद सोनी जी कहते हैं, 'रावण दहन से पहले शास्त्रों में पूजा का विधान बताया गया है, साथ ही इस दिन वास्तु दोष से मुक्ति पाने के उपाय भी किए जा सकते हैं।' तो चलिए पंडित जी से जानते हैं पूजा विधि और वास्तु टिप्स-
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रावण की पूजा
ऐसा कहा जाता है कि विश्व में रावण जितना ज्ञानी पुरुष न कभी हुआ न कभी होगा। बेशक रावण राक्षस था, मगर भगवान शिव का सबसे बड़ा भक्त था। एक कुशल राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ रावण वास्तुकला प्रेमी और ब्रह्म ज्ञानी था। इतना ही नहीं, वह बहु-विद्याओं का जानकार था। इसलिए दशहरे पर रावण दहन (इन शहरों में नहीं जलाया जाता है रावण) से पहले उसकी पूजा करने का विधान है। यदि आप घर पर रावण दहन नहीं भी कर रहे हैं, तब भी आप यह पूजा दशहरे वाले दिन अवश्य करें।
पूजा विधि
- सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहन लें।
- अब आप जिस स्थान पर बैठ कर पूजा करने जा रहे हैं, वहां रंगोली और स्वास्तिक का चिन्ह बना लें।
- घर पर यदि कोई विद्यार्थी है तो वह अपनी कॉपी किताबें पूजा स्थल पर रख सकता है, वहीं व्यापारी अपने बही खाते और नौकरीपेशा जातक अपने ऑफिस से जुड़ी कोई सामग्री पूजा स्थल पर रख सकते हैं।
- अब एक साफ कागज पर रोली से 'श्री रामचंद्राय नमः या श्री राम भद्राय नम:' लिखें। ऐसा कहा गया है कि श्री राम के नाम से बड़ा नाम और कोई नहीं है।
- अब दो परात लें। एक परात में गोबर से रावण बनाएं। आप रावण के दस सिर बनाने के लिए सफेद बताशे का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। दूसरी परात में गोबर से 4 पिंडियां बनाएं, यह पिंडियां राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का प्रतीक होती हैं। अब आपको रावण और राम सहित चारों भाइयों की पूजा करनी है।

- पूजा के दौरान नवरात्रि में घर में बोए गए ज्वारे को भी आप रख सकती हैं और पूजा के अंत में कुछ ज्वारों को तोड़ कर कॉपी किताबों, बही खातों या फिर ऑफिस से जुड़े किसी सामान में रखा जा सकता है।
- पूजा के दौरान आपको रुद्राक्ष की माला से 108 या 1100 बार 'ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं नम: ध्व: ध्व: स्वाहा' का जाप करना चाहिए।
- इसके साथ ही आपको रावण से विद्या-बुद्धि और ज्ञान प्रदान करने के लिए प्रार्थना करनी चाहिए और भगवान श्री राम से क्रोध, अभिमान और ईर्ष्या को नष्ट करने की प्रार्थना करनी चाहिए।

दशहरे के दिन इन वास्तु टिप्स को अपनाएं-
- दशहरे के दिन अस्त्र-शस्त्र की पूजा करने का महत्व है। यदि आप ऐसा करते हैं, तो आपके शत्रुओं का सर्वनाश होता है। यह पूजा विजय मुहूर्त पर ही करनी चाहिए। इस वर्ष 15 अक्टूबर को विजयादशमी के दिन दोपहर 2 बजकर 1 मिनट से 2 बजकर 47 मिनट तक विजय मुहूर्त रहेगा।
- दशहरे के दिन शमी के पेड़ का भी पूजन किया जाता है। यदि आप पूजा नहीं कर पा रहे हैं, तो केवल शमी के पेड़ के नीचे एक दीपक ही जला दें। ऐसा करने से किसी भी कार्य में आ रही रुकावट दूर हो जाती है।
- रावण दहन के बाद उसकी राख फेंके नहीं बल्कि उसमें सरसों का तेल मिक्स कर लें और इस मिश्रण का छिड़काव घर के हर कोने पर करें। इससे वास्तु दोष(वास्तु दोष मिटाने के टिप्स) दूर होता है।
- घर से नजर दोष दूर करने के लिए आप हवन भी कर सकते हैं और घर की 10 अलग-अलग दिशाओं में दीपक जला लें।
- घर से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए आप बाथरूम में एक कटोरी में सफेद नमक भर कर रख सकते हैं।
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