‘एक था राजा, एक थी रानी, दोनों मर गए खत्म कहानी।’ बेशक कई कहानियां राजा और रानी के मरने के साथ ही खत्म हो जाती हैं, मगर, कुछ कहानियां अनंत काल तक याद रह जाती हैं। मुगल बादशाह शाहजहां और उनकी बेगम मुमताज महल की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। यह कहानी जितनी प्रचलित है उतनी ही विवादित भी है। इस कहानी को लेकर सबसे बड़ा विवाद तो यही हैं कि बादशाह शाहजहां और मुमताज की कहानी में प्रेम है या नफरत। हाला कि उत्तरप्रदेश के आगरा में विशाल और खूबसूरत संगमरमर के पत्थर से बने ताज को देख कर हर कोई इसे शाहजहां और मुमताज के प्रेम का प्रतीक ही मानता है। इतिहास की मानें तो शाहजहां ने ताजमहल बनवाया ही इसलिए था क्योंकि वह चाहते थे कि उनकी सबसे प्रिय पत्नी मुमताज महल की कब्र दुनिया के सबसे खूबसूरत स्थान पर हो। वास्तव में ताजमहल दुनिया के सात आश्चर्यों में से एक है। ताजमहल की सुंदरता की तुलना आजतक कोई दूसरी इमारत नहीं कर पाई है। मगर, ताजमहल के पत्थरों में एक कहानी और दफन है। यह कहानी जुड़ी है मुमताज महल की दुखभरी मौत और मौत के बाद उसकी असली कब्र से। चलिए जानते हैं मुमताज महल की कहानी।
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