मेरी एक दीदी थी। काली आंखे, लम्बे बाल और छरहरा बदन। बिल्कुल परफेक्ट। इसलिए वो मुझे भी काफी पसंद थी। लेकिन उनको मेरे अलावा भी बहुत कोई पसंद करता था। दिन भर उनके लिए लड़के हमारे ब्लॉक के तरफ चक्कर लगाया करते थे। एक बार तो जब वो मेरे साथ स्कूल जा रही थी तो उनका दुपट्टा एक लड़के ने खींच दिया था और हम कुछ भी नहीं कर पाए।
ऐसा बहुत सी लड़कियों के साथ हुआ होगा और आज भी हो रहा होगा। मुझे तो अब बड़े हो जाने पर भी समझ नहीं आया कि ऐसा क्यों होता है? मतलब मेरे को ये आज भी समझ नहीं आया कि लड़कों को ऐसा करके क्या मिलता है? जबकि आए दिन होने वाली छेड़खानी के कारण कई सारी लड़कियों का बाहर आना-जाना तक बंद हो जाता है।
लेकिन ये लड़के हैं कि इन्हें कोई फर्क ही नहीं पड़ता। इस लड़की ने बाहर निकलना बंद किया तो दूसरी लड़की को छेड़ना शुरू कर देते हैं।
अब तो, सुप्रीम कोर्ट ने भी ईव टीजिंग को आपत्तिजनक और घृणित कहा है। Thank you जज साहब !! लेकिन ये क्या, आपने तो इसके साथ ही ईव टीजिंग को बस लड़कियों का प्यार हासिल करने की कवायद भी बता दी।
कवायद मतलब कोशिश। जज साहब !! ये कैसी कोशिश है जो एक लड़की के बाहर आने-जाने पर पाबंदी लगने का कारण बनती है और जब वो लड़की दो दिन तक नज़र नहीं आती तो तीसरे दिन कोई और लड़की छेड़खानी का निशाना बन जाती है। तीन दिन में प्यार Change. ये कैसा प्यार है?
मेरी एक दोस्त रोज डांस क्लास जाती थी। एक दिन रास्ते में एक लड़के ने उससे छेड़खानी कर दी। अगले दिन भी वही हुआ। तीसरे दिन उसने घर में बताया और फिर उसका डांस क्लास जाना बंद हो गया।
जबकि वो लड़का उसके घर तक नहीं गया। उसके घरवालों से मिलकर अपने प्यार का इज़हार नहीं किया। तो क्या प्यार खत्म...?
नहीं। उसके बाद वो शायद किसी और रास्ते में किसी और शिकार का इंतजार कर रहा होगा।
बीच रास्ते में दुपट्टा खींच लेना, छाती दबा देना, गालों को छू लेना, कमर पे हाथ रख देना और ये सब कर के मुस्कुराते हुए निकल जाना। जो भी लड़के ऐसा करते हैं उन्हें, उन लड़कियों के नाम तक याद नहीं रहते। उनका इंतजार नहीं करते। उनके घर शादी का रिश्ता नहीं ले जाते।
चलो ये तो हुई रास्ते में छेड़खानी की बात। उन छेड़खानी का क्या जो स्कूल और घरों में होते हैं। जब अधेड़ उम्र के sir and uncle पीठ ठोंकने के बहाने टीनएजर लड़कियों की ब्रा की स्ट्रैप खींच कर कुटील मुस्कान देते हैं। उस वक्त हम लड़कियां केवल मन मसोस कर रह जाती हैं और उनके पास जाने से बचने की अधिक से अधिक कोशिश करती हैं।
अब बताईये इन शादी-शुदा sir and uncle लोगों का क्या? क्या ये भी उन लड़कियों से प्यार करते होंगे?
बिल्कुल नहीं। ये तो वो हैं जो अपने काम के बाद जब शाम को घर जाते हैं तो एक बार घर की हर खिड़कियों से एक बार बाहर जरूर झांकते हैं और ये confirm करते हैं कि "हां मेरी बीवी पूरे दिन सती-सावित्री रही की नहीं?"
ये अधेड़ उम्र के बूढ़ों को उन टीन-एज़र लड़कियों से शादी नहीं करनी होती। रास्तों के मनचलों को उन लड़कियों का चेहरा तक याद नहीं रहता जिनका वे दुपट्टा खींच कर या छाती दबा कर आगे बढ़ जाते हैं। इसलिए जज साहब !! छेड़खानी में प्यार जैसा कुछ भी नहीं होता। ये केवल हवस होती है जो लड़के, औरतों को कमजोर साबित करने या अपनी विकृत मानसिकता को संतुष्ट करने के लिए करते हैं।
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