क्या आपको पता है कि लैक्मे ब्रांड को बनाने के पीछे पंडित जवाहर लाल नेहरू का बहुत बड़ा हाथ था? लैक्मे भारत का अपना लोकप्रिय ब्रांड है जो किसी अंतरराष्ट्रीय ब्रांड को टक्कर दे सकता है। अगर आपसे पूछा जाए कि लैक्मे का मतलब क्या है, तो शायद आप एक मिनट के लिए चकरा जाएं, लेकिन हिंदी लक्ष्मी का फ्रेंच नाम आखिर कैसे बन गया इसके पीछे जेआरडी टाटा की उस टीम का दिमाग था जो सिर्फ नाम की खोज में पेरिस की सैर कर रही थी।
जिस वक्त भारत में आजादी का स्वाद चखा जा रहा था और धीरे-धीरे कई कंपनियां आगे बढ़ रही थीं, उस वक्त जन्मा था लैक्मे। जिस समय इसे बनाया गया उस वक्त स्वदेशी ब्रांड की चाह तो थी, लेकिन इसे थोड़ा सा विदेशी टच भी दिया जाना था।
कैसे नेहरू और टाटा ने दिया लैक्मे को जन्म
दरअसल, कहानी कुछ ऐसी है कि एक दिन अचानक पंडित जवाहर लाल नेहरू ने जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा उर्फ जेआरडी टाटा को फोन किया। उन्होंने एक बात को लेकर चिंता जाहिर की। उनका कहना था कि हमारे देश की महिलाएं अगर मेकअप इस्तेमाल करना चाहें, तो उन्हें विदेशी मेकअप लेना पड़ता है। वह मेकअप काफी महंगा भी है और भारतीय महिलाओं को ध्यान में रखकर भी नहीं बनाया गया। हमारे देश में एक अच्छे कॉस्मेटिक ब्रांड की कमी है।
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उस समय किसी इकोनॉमिक रिपोर्ट में यह बात सामने आई थी कि भारतीय महिलाएं विदेशी मेकअप खरीदने के लिए बहुत खर्च करती हैं। इसके लिए जेआरडी टाटा ने एक बिजनेस प्लान बनाया और रिसर्च टीम को शामिल किया गया। उस दौरान जेआरडी टाटा ने रॉबर्ट पिगे (Robet Piguet) और रेनोआर (Renoir) जैसे बड़े फ्रेंच कोलैबोरेटर्स को भी टीम में शामिल किया था। उनकी रिसर्च टीम ने भारतीय स्किन टोन को ध्यान में रखकर कुछ ऐसे प्रोडक्ट्स के सैंपल तैयार किए जो बजट में भी हों और ब्रांड को स्थापित भी कर सकें।
रिसर्च, रॉ मटेरियल और प्रोडक्ट्स जैसी कई बुनियादी जरूरतें पूरी हो गई थीं, लेकिन अभी तक ब्रांड को उसका नाम नहीं मिला था। टीम अभी भी रिसर्च कर रही थी, तभी वो एक दिन ऑपेरा देखने गए। एक फ्रेंच ड्रामा जो उन दिनों ऑपेरा थिएटर्स की जान बना हुआ था। यह ड्रामा एक भारतीय लड़की पर आधारित था जिसका नाम था लक्ष्मी। पर भारतीय नाम का फ्रेंच अनुवाद कर दिया गया था। इस ऑपेरा का नाम था लीड कैरेक्टर के नाम पर। Lakmé उर्फ लक्ष्मी की कहानी थी कि एक भारतीय किसान की बेटी को एक अंग्रेजी अफसर से प्यार हो जाता है।
1950 के दशक का वो ऑपेरा ड्रामा भारत के सबसे बड़े कॉस्मेटिक ब्रांड का नाम बन गया। रिसर्च टीम ने टाटा को इसके बारे में बताया और उन्हें नाम और उसका मतलब दोनों ही बहुत पसंद आया। 1952 में लैक्मे को आधिकारिक तौर पर टाटा ऑयल मिल्स की सब्सिडरी कंपनी और एक बेहतरीन कॉस्मेटिक ब्रांड के तौर पर लॉन्च किया गया।
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लैक्मे की सफलता की कहानी
लैक्मे ब्रांड भारत के लिए बहुत ही ज्यादा जरूरी होता चला गया। एक के बाद एक सूटेबल कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स लॉन्च करने के बाद 1961 में लैक्मे की कमान संभाली जेआरडी टाटा की पत्नी सिमोन टाटा ने। सिमोन ने यूरोपीय ब्रांडिंग तकनीक लैक्मे के लिए लगाई और 1982 तक वो इस कंपनी की चेयर पर्सन बन चुकी थीं। पर 1996 में इस कंपनी को हिंदुस्तान यूनिलीवर के साथ 50:50 प्रतिशत शेयर्स में बेच दिया। इसके दो साल बाद टाटा ने पूरी कंपनी HUL को बेच दी।
आपको शायद पता ना हो, लेकिन अब लैक्मे ब्रांड अंतरराष्ट्रीय बन चुका है। यह ब्रांड 70 से अधिक देशों में इस्तेमाल किया जाता है।
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