एक लड़की पतली ही हो ऐसा जरूरी नहीं है लेकिन अक्सर लोग ऐसी अपेक्षा जरूर करते हैं। समानता और ओपन माइंडेड होने की बात करने के साथ-साथ लोग लड़कियों को उनके साइज के हिसाब से ड्रेस का चुनाव करने की भी सलाह देते दिखते हैं।
बहुत सी लड़कियों को सिर्फ इसलिए तरह-तरह की बातें सुनने को मिलती हैं क्योंकि वो पतली नहीं होती हैं। ना सिर्फ आम महिलाएं बल्कि तमाम एक्ट्रेसस भी इस परिस्थिति का सामना कर चुकी हैं।
इसी को देखते हुए सोनाक्षी सिन्हा और हुमा कुरैशी डबल एक्स एल फिल्म लेकर आई हैं। इस फिल्म में लड़कियों को साइज की वजह से होने वाली समस्याओं को दिखाने की कोशिश की गई है। चलिए जानते हैं कि हुमा और सोनाक्षी ने फिल्म के प्रोमोशन के दौरान बॉडी शेमिंग के बारे में क्या राय दी।
सोनाक्षी-हुमा कर चुके हैं बॉडी शेमिंग का सामना
- सोनाक्षी फिल्म के प्रमोशन के दौरान बताती हैं कि हुमा और मेरे लिए यह फिल्म बहुत पर्सनल है क्योंकि करियर की शुरुआत से पहले भी हमें दूसरे लोगों की तरह पतला ना होने की वजह से कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता था।
- सोनाक्षी ने कहा कि मुझे इस फिल्म में काम करने के दौरान अपने कॉलेज की दिनों की याद आ गई थी। चूंकि कॉलेज के दौरान भी में फैशन डिजाइनिंग की पढ़ाई कर रही थी और हमें हमेशा ड्रेसेस और लुक्स के बारे में बताया जाता था।उन्होंने बताया कि कॉलेज में अक्सर लोग उन्हें कह देते थे कि कैसे ढिले-ढाले कपड़े पहनकर आई है इसलिए मेरे लिए ऐसी फिल्म में काम करना बहुत जरूरी था।
हुमा कुरैशी ने कहा 'मैं बिग नहीं ब्यूटीफुल हूं'
हुमा फिल्म को प्रोमोशन के दौरान कहती हैं कि मैं हमेशा कहती हूं कि मैं बिग नहीं ब्यूटीफूल हूं। उन्होंने भी इस फिल्म में काम करने का कारण हर उस लड़की को बताया जो ऐसी परिस्थितियों का सामना कर चुकी हैं। हुमा ने बातचीत के दौरान कहा कि साइज से कोई फर्क नहीं पड़ता है। इसी दौरान साकिब सलीम सोनाक्षी सिन्हा और हुमा की फिल्म के लिए 15 से 20 किलो वजन बढ़ाने की सराहना करते नजर आए।
स्टीरियोटाइप तोड़ेगी डबल एक्स एल फिल्म
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डबल एक्स एल फिल्म के ट्रेलर लड़कियों से जुड़े ढेर सारे स्टीरियोटाइप तोड़ता नजर आ रहा है। इस फिल्म में 2 लड़कियों की कहानी दिखाई गई है जो सपने बड़े देखती हैं लेकिन लोग सिर्फ और सिर्फ उनके साइज पर फोकस करते हैं। ऐसे में तमाम वो लड़कियां जिनको सोसाइटी के खुद के बनाए हुए स्टैंडर्ड की वजह से दिक्कतों को सामना करना पड़ता है यह फिल्म उन सबकी कहानी व्यक्त करती दिखेगी।
क्यों जरूरी है ऐसी फिल्म?
फिल्मों में दिखाई जाने वाली कहानी के पीछे कही ना कही समाज ही छुपा होता है। लड़कियों को उनके रंग, आकार, चलने और यहां तक की खाने के तरीके के लिए भी रोका-टोका जाता है। ऐसे क्यों बैठी हो? कोई सुन लेगा तो क्या कहेगा? यह सारे प्रश्न महिलाओं के लिए बहुत आम हैं। महिलाओं को इन सभी प्रश्नों के जाल से स्वतंत्र करने के लिए जरूरी है कि हम इस बारे में बात करें और फिल्म बनाएं।
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छोटे-छोटे प्रयास कर बड़ा बदलाव लाने के लिए अभी एक लंबी राह बाकी है। बहरहाल आपका इस फिल्म और आर्टिकल के बारे में क्या कहना है? यह हमें इस आर्टिकल के कमेंट सेक्शन में जरूर बताइएगा।
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Image Credit: Pallav paliwal
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