Evening Worship Rules: संध्या पूजन को शास्त्रों में बहुत महत्व दिया गया है। माना जाता है कि जितनी आवश्यक प्रातः काल की पूजा होती है उतनी ही जरूरी शाम की पूजा भी है। आप में से बहुत से लोग शाम को दिन छिपे दीपक अवश्य जलाते होंगे। कुछ शाम को पूजा पाठ भी करते होंगे लेकिन हमारे एक्सपर्ट ज्योतिषाचार्य डॉ राधाकांत वत्स का ये कहना है कि संध्या काल की पूजा तभी फलित होती है जब उस पूजा में पंचपात्र को शामिल किया जाए। आज हम आपको पंच पात्र क्या है, संध्या पूजन में क्यों वह महत्वपूर्ण माना जाता है और पंच पात्र की पूजा विधि के बारे में संपूर्ण जानकारी देने जा रहे हैं।
पंच पात्र क्या है?
पंच पात्र में पूजा के पांच पात्र अर्थात वस्तुएं रखी जाती हैं जिनमें ताम्बे की प्लेट, ताम्बे का छोटा ग्लास, आचमन के लिए छोटी लुटिया, आचमन के पात्र में डालने के लिए छोटी सी आचमनी जिसे छोटी चम्मच भी कह सकते हैं और ताम्बे की बड़ी चम्मच जो पत्ते की आकृति की होनी चाहिए शामिल हैं।
ताम्बे की प्लेट अर्घ्य देने के लिए प्रयोग में लाई जाती है। ताम्बे की प्लेट में अर्घ्य बड़ी चम्मच अर्थात तांबे के पत्ताकार रूपी चम्मच से दिया जाता है तो वहीं, ताम्बे का छोटा ग्लास जल भरकर रखने के काम आता है। इसके अलावा, तांबे की छोटी लुटिया से आचमन किया जाता है और लुटिया में ताम्बे की छोटी चम्मच अर्थात आचमनी जल भरने के लिए इस्तेमाल की जाती है। ये हैं पंच पात्र जिनका संध्या पूजन में इस्तेमाल किया जाता है।
इसके अलावा, एक और वस्तु भी इस पंच पात्र में शामिल होती है। वह वस्तु घंटी है। घंटी पंच पात्र का हिस्सा नहीं होती क्योंकि यह छठी वस्तु है लेकिन इसके बिना पंच पात्र निराधार माने जाते हैं। घंटी का प्रयोग देवताओं का स्मरण कर उन्हें बुलाने के लिए किया जाता है।
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पंच पात्र के नियम
- पंच पात्र हमेशा तांबे की धातु का ही होना चाहिए।
- रोजाना के इस्तेमाल वाले बर्तन से पंच पात्र नहीं बनाना चाहिए।
- पंच पात्र को हमेशा मिट्टी से ही साफ करना चाहिए।
- पंच पात्र कहीं बाहर ले जाते समय उसका बैग या थैला अलग ही रखना चाहिए।
- पंच पात्र की वस्तुओं का भी पूजन करना चाहिए।
पंच पात्र का महत्व
दैनिक पूजा में पंच पात्र के प्रयोग को अत्यंत शुभ माना गया है। यहां तक कि अगर आप कहीं बाहर भी जा रहे हैं तो आपको अपने साथ पंच पात्र जरूर रखना चाहिए। पंच पात्र पंच देवताओं, पंच सिद्धियों, पंच सुखों और पंच इन्द्रियों का सूचक माना जाता है। मंच पात्र में पूजा करने से संध्या पूजन (शाम की पूजा के नियम) फलित होता है और भगवान भी जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं।
संध्या पूजन के दौरान पंच पात्र के प्रयोग से पंच महा बाधाओं और अवगुणों से भी मुक्ति मिलती है। पंच पात्र का प्रयोग व्यक्ति को जीवन की इन पांच परेशानियों जैसे कि खराब आर्थिक स्थिति, असाध्य रोग, अकाल मृत्यु, नकारात्मक ऊर्जा (नकारात्मक ऊर्जा हटाने के उपाय) का प्रभाव और जीवन में असफलता आदि से छुटकारा दिलाने में सहायक है.
तो ये था संध्या पूजन में पंच पात्र का महत्व और उससे जुड़े नियम। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
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