पूजा के दौरान हाथ में क्यों बांधा जाता है कलावा, जानें इसका महत्व

जब भी आप किसी धार्मिक स्थान पर जाते हैं वहां हाथों में कलावा बांधा जाता है। आइए इसके महत्व के बारे में जानें। 

significance of tying kalawa during puja

किसी भी पूजा अनुष्ठान या मंदिर में दर्शन के दौरान कलावा बांधना जरूरी माना जाता है। मान्यता है कि यह लाल रंग का धागा यानी रक्षासूत्र हमारी किसी भी बाधा से रक्षा करने के साथ परेशानियों से लड़ने की भी शक्ति प्रदान करता है।

ज्योतिष की मानें तो पूजा को पूर्ण तभी माना जाता है जब उसमें सम्मिलित जातकों के हाथों में रक्षासूत्र या कलावा बांधा जाता है। यह सूत्र सभी नकारात्मक शक्तियों से हमारी रक्षा करता है और मन को शांत करने में मदद करता है। आइए ज्योतिषाचार्य डॉ आरती दहिया जी से जानें पूजा के दौरान कलावा बांधने के कारणों, इसके पीछे की प्रथाओं और इसके महत्व के बारे में।

कलावा से जुड़ी पौराणिक मान्यताएं

kalawa significance

एक प्राचीन कथा के अनुसार इंद्र देवता ने अपने शत्रुओं पर विजय पाने के लिए रक्षा सूत्र यानी कि कलावा का इस्तेमाल किया था। उन्होंने अपने हाथ में कलावा बांधकर ही शत्रुओं से युद्ध में विजय प्राप्त की थी।

एक और कथा के अनुसार असुरों के राजा बलि ने अपनी रक्षा के लिए भी कलावा का इस्तेमाल किया था। प्राचीन काल में जब राजा महाराजा युद्ध में जाते थे तब उनकी पत्नियां हाथों में कलावा बांधकर उनकी रक्षा का वचन लेती थीं और ईश्वर से उनकी जीत की प्रार्थना करती थीं।

कलावा बांधने का महत्व

significance of tying kalawa in hand

ज्योतिष में ऐसी मान्यता है कि कलाई में कलावा यानी लाल धागा बांधने से दैवीय शक्ति प्राप्त होती है। ये धागा कलाई की नसों से ऊर्जा पूरे शरीर में फैलाने में मदद करता है और शरीर हमेशा ऊर्जावान बना रहता है। (बच्चों की कमर में काला धागा क्यों बांधा जाता है )

ऐसी मान्यता है कि किसी भी पूजा के बाद कलावा बांधने से ईश्वर की पूर्ण कृपा और आशीष प्राप्त होता है। लाल रंग हमेशा ऊर्जा को आकर्षित करता है इसलिए कलावा के रूप में बांधा जाने वाला लाल धागा शरीर और मस्तिष्क के लिए हमेशा अच्छा माना जाता है। लाल धागा हमारे आस-पास के वातावरण को भी सकारात्मक बनाने में मदद करता है।

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कलावा का लाल रंग होता है शुभ

what is the importance of kalawa

ज्योतिष के अनुसार आप जब भी किसी पूजा पाठ में सम्मिलित हों, किसी भी धार्मिक स्थल से वापस आएं या किसी बड़े काम के लिए घर से बाहर निकलें तब रक्षासूत्र या कलावा अवश्य बंधवाएं। वैसे कलाई में कलावा के अलावा अन्य रंगों के धागे भी बांधे जाते हैं और ये धागे आपके भीतर के चक्रों को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। लेकिन किसी भी स्थान पर लाल रंग का धागा सबसे ज्यादा शुभ माना जाता है।

किस हाथ में बांधा जाता है कलावा

कलावा किसी भी पुरुष को अपने दाहिने हाथ में बांधना चाहिए और महिलाओं को इसे बाएं हाथों में बांधना चाहिए। कलावा 40 दिनों तक पहनें और इसे समय-समय पर बदलते रहें। 40 दिनों तक कलावा से किसी भी तरह की सकारात्मक ऊर्जा आपके शरीर में प्रवेश कर जाती है। इसलिए इसे बदलकर दूसरा कलावा बांधें जिसमें और भी कई तरह की ऊर्जाएं मौजूद हों।

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कलावा बांधने के वैज्ञानिक कारण

कलावा बांधने के कई धार्मिक कारणों के अलावा इसके कुछ वैज्ञानिक कारण भी हैं। आयुर्वेद के अनुसार हमारे शरीर में तीन दोष होते हैं, वात, पित्त और कफ जिन्हें त्रिदोष भी कहा जाता है। इन दोषों की अस्थिरता हानिकारक परिणाम दे सकती है। कलावा बांधने से कलाई की नसें आपके तीनों दोषों को कम करने में मदद करती है। यह शरीर में संतुलन बनाए रखने के साथ बीमारियों से भी बचाता है। इसलिए कलावा पूजा के दौरान कलावा बांधने की सलाह दी जाती है।

इन्हीं कारणों से किसी भी पूजा के दौरान आपको कलावा बांधने की सलाह दी जाती है। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।

Image Credit: freepik.com, amazon .com

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