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History of eid in hindi

रमज़ान के बाद आखिर क्यों मनाई जाती है ईद, जानिए इससे जुड़े रोचक तथ्य 

आज आप इस लेख में ईद के त्योहार और इसके इतिहास से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में जानेंगे।
Editorial
Updated:- 2022-04-29, 17:18 IST

ईद का त्योहार साल में रमज़ान के महीने के बाद आता है और इस दिन का तमाम मुसलमान बड़ी बेसब्री से इंतजार करते हैं। क्योंकि यह त्योहार रमज़ान के पूरे महीने रोज़े रखने, अल्लाह की इबादत करने के बाद नसीब होता है। इस दिन सभी लोग नए-नए कपड़े पहनते हैं, ईद की नमाज़ अदा करते हैं और स्वादिष्ट व्यंजन बनाते हैं।

इसके अलावा, सभी लोग एक दूसरे के घर जाते हैं और बच्चों को ईदी या उपहार देते हैं। यह त्योहार खुशियों और बहुत ही उत्साह से साथ चांद दिखने के बाद मनाया जाता है, लेकिन कभी आपने सोचा है कि ईद का त्योहार रमज़ान के बाद ही क्यों मनाया जाता है और इसका मतलब क्या है। अगर आपको नहीं पता, तो आइए जानते हैं।

क्या है ईद का मतलब

Eid festival history

ईद एक अरबी शब्द है जिसका मतलब होता है खुशी यानि वह खुशी का दिन जो बार-बार आए। इसके अलावा, ईद को मोहब्बत का त्योहार भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन सभी मुस्लिम लोग आपस में गले मिलते हैं और अपनी सारी नाराजगी दूर करते हैं।

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आखिर क्यों मनाई जाती है ईद

मुस्लिम ग्रंथों के अनुसार ईद का त्योहार खुशी और जीत में मनाया जाता है क्योंकि कहा जाता है कि बद्र के युद्ध में जब पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब को सफलता मिली थी, तब लोगों ने पहली बार खुशी में ईद-उल-फित्रमनाया था। तब से लेकर हर मुस्लिम इस त्योहार को मनाते हैं और एक-दूसरे से गले मिलते हैं, स्वादिष्ट व्यंजन बनाते हैं और दूसरों को खिलाते हैं। (Eid पर मेहमानों को सर्व करें खजूर से बने ये स्पेशल ड्रिंक्स)

रमज़ान के बाद अल्लाह का इनाम है ईद

Eid festival celebration

कई लोगों के मन में यह सवाल भी आता होगा कि आखिर ईद का त्योहार रमज़ान के बाद ही क्यों मनाया जाता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ईद मुस्लिम लोगों को पूरे महीने रोज़े रखने के बाद अल्लाह की तरफ से एक बख्शीश यानि तोहफा है, जिसे ईद-उल-फित्र के नाम से पुकारा जाता है। इसलिए हर साल रमज़ान के बाद ईद का त्योहार मनाया जाता है ताकि लोग रमज़ान जाने के गम को भूल सकें।

ईद के दिन देते हैं फितरा

what is fitra

फितरा हर मुसलमान को ईद की नमाज से पहले देना वाजिब है, जिसे रमज़ान के महीने या फिर ईद की नमाज से पहले दिया जाता है। बता दें कि 1 किलो 633 ग्राम गेहूं या 1 किलो गेहूं की कीमत किसी गरीब को देना, फितरा कहलाता है। (ईद के मौके पर घर पर बनाएं 'सेब की खीर')

यह हर उस इंसान को देना होता है, जो इंसान आर्थिक रूप से मजबूत है यानि खाते-पीते घर से है। हालांकि, 1 किलो 633 ग्राम गेहूं की कीमत बाजार के भाव के आधार पर तय की जाती है।

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Image Credit- (@Freepik and Histrory blog)

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