रमज़ान का महीना चल रहा है ऐसे में सभी मुस्लमान रोज़ा रख रहे होंगे और नमाज़, तरावीह, कुरान आदि भी पढ़ रहे होंगे। लेकिन क्या आपको पता है कि इन तमाम चीजों के साथ-साथ रमज़ान में ज़कात और फितरा देने का भी बहुत महत्व है। क्योंकि ज़कात भी इस्लाम की 5 बुनियादों यानि स्तंभों में से एक है और रमज़ान के महीने में ज़कात देना सुन्नत यानि वाजिब है। क्योंकि हर मुसलमान के लिए रमज़ान का महीना बहुत ही पाक यानि पवित्र माना जाता है।
इसलिए मुस्लिम लोग रमज़ान के पूरे महीने रोज़ा रखते हैं, पांचों वक्त की नमाज़ अदा करते हैं, ज़कात देते हैं और अल्लाह की खूब इबादत करते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि ज़कात क्या होती है और फितरा खाली ईद पर ही क्यों दिया जाता है, अगर नहीं तो आइए जानते हैं।
ज़कात क्या है? (Zakat Kya Hai)
अल्लाह ने इंसान की आमदनी में से एक हिस्सा (2.25) किसी फकीर या जरूरतमंद को देना ज़कात कहलाता है। इसके अलावा, ज़कात उन लोगों को दी जाती है जिसकी आमदनी अपने कुल खर्च से आधी से भी कम है जैसे- अगर किसी शख्स का खर्च 21000 है और उसकी आमदनी 11000 है, तो आप इस शख्स को ज़कात दे सकते हैं।
इसे ज़रूर पढ़ें-रमज़ान में क्या करना चाहिए और क्या नहीं, जानिए सब कुछ
फितरा क्या है? (Fitra Kya Hai)
फितरा हर मुसलमान को देना वाजिब है, जिसे रमज़ान के महीने में ईद से पहले 1 किलो 633 ग्राम गेहूं या 1 किलो गेहूं की कीमत किसी गरीब के देना, फितरा कहलाता है। यह हर उस इंसान को देनी होती है, जो आर्थिक रूप से मजबूत है यानि खाने-पीते घर से है। (नमाज़ अदा करने के फायदे)
हालांकि, 1 किलो 633 ग्राम गेहूं की कीमत बाजार के भाव के आधार पर तय की जाती है। अगर आपके घर में बच्चों हैं, तो नाबालिग बच्चों की तरफ से उनके अभिभावकों को फितरा देना होता है। इसे देने से फायदा यह होता है कि इससे तमाम गरीब अपनी ईद अच्छी तरह से बना लेते हैं।
ज़कात और फितरे में क्या है अंतर
बहुत से लोगों को यह लगता है कि ज़कात और फितरे एक है जबकि ऐसा नहीं है क्योंकि ज़कात इस्लाम की 5 बुनियादों में से एक है, जिसे अपनी आमदनी से 2.5 फीसदी देना तय है और इसे हर मुसलमान को देना वाजिब है। वहीं, फितरा आप अपनी हैसियत के अनुसार दे सकते हैं इसकी कोई सीमा नहीं है लेकिन अगर आपके पास ज्यादा पैसा नहीं हैं, तो आप किलो 633 ग्राम गेहूं भी दे सकते हैं। हालांकि, यह दोनों हर मुसलमान पर फर्ज कर दिया है। (क्या रमज़ान में फास्ट रखने से पीरियड्स पर पड़ता है कोई असर)
रमज़ान में ज़कात और फितरा देने का महत्व-
इस महीने में ज़कात और फितरा देना बहुत ही अच्छा माना जाता है। इसे देने से न सिर्फ आपको आपके घर में बरकत आती है बल्कि आप सेहतमंद भी रहते हैं। इसके अलावा, कहा जाता है कि रमज़ान में लोगों का खर्चा अधिक बढ़ जाता है ऐसे में फितरा और ज़कात किसी गरीब के लिए किसी राहत से कम नहीं है। इसलिए रमज़ान के महीने में ज़कात और फितरा देना सुन्नत है।
इसे ज़रूर पढ़ें-रोज़ा रखने से लेकर रोज़ा खोलने की दुआ यहां जानें
उम्मीद है कि आपको फितरा और ज़कात क्या होता है और इसमें क्या फर्क है। अगर आपको ये स्टोरी पसंद आई हो तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरीज पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
Image Credit- (@Freepik)
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों