भारत में सभी धर्म के लोग अपने भगवान, अल्लाह या फिर ईश्वर की पूजा करते हैं क्योंकि हर धर्म में हर चीज़ का एक Scientific Reason होता है, जिससे लोगों को कई तरह से मानसिक और शारीरिक रूप से फायदा होता है। आपने यकीनन मुसलमानों को नमाज़ पढ़ते देखा होगा क्योंकि रोज़ाना पांच वक्त की नमाज़ पढ़ना इस्लाम का एक बुनियादी हिस्सा है। क्योंकि इस्लाम धर्म में अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान लाने के बाद सभी लोगों पर नमाज़ वाजिब हो जाती है फिर चाहे मर्द हो या फिर औरत, गरीब हो या फिर मालदार सभी लोगों को नमाज़ पढ़ना ज़रूरी है।
लेकिन क्या आपको पता है कि नमाज़ को कोई भी इंसान आसानी से पढ़ सकता है। क्योंकि रोज़ाना नमाज़ पढ़ने के कई रूहानी और जिस्मानी और कई Scientific फायदे हैं। जी हां, नमाज़ पढ़ने से न सिर्फ आपके शरीर की वर्कआउट होती है बल्कि आपको कई स्वास्थ्य लाभ भी मिलते हैं। इसको लेकर एक्सपर्ट डॉक्टर गुलबहार कहती हैं कि नमाज़ पढ़ने और इसकी हर पोजीशन से बॉडी की फुल वर्कआउट होती है।
साथ ही, इससे शरीर के हर हिस्से की स्ट्रेचिंग भी आसानी से हो जाती है जैसे- नमाज़ में खड़े होने की पोजीशन में लंग्स और सर्कुलेशन सिस्टम कंट्रोल में रहता है और नमाज़ के अंदर रुकू में जाने से पीठ की मांसपेशियां फ्लेक्सिबल होती हैं। हालांकि, नमाज़ पढ़ने के और भी कई फायदे है लेकिन इससे पहले हम आपको बताते हैं कि नमाज़ क्या होती क्या है।
किसे कहते हैं नमाज़?
नमाज़ को अरबी भाषा में सलाह कहते हैं, जिसमें अल्लाह की इबादत यानि पूजा की जाती है और कुरान पढ़ जाता है। बता दें कि नमाज़ के अंदर कई तरह की पोजीशन होती हैं, जो मन को शांति देने के साथ-साथ कई तरह के शारीरिक लाभ भी देती हैं।
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नियत पोजीशन के फायदे-
नियत नमाज़ पढ़ने की पहली पोजीशन होती है, जिसमें इंसान सीधा खड़ा होता है और इसमें इंसान अपने पूरे शरीर को कड़क रखता है। इस पोजीशन में रहने के कई तरह के फायदे हैं जैसे- जब आप अपनी छाती पर हाथ रखते हैं, तो इससे आपका हार्ट, लंग्स और ब्लड सर्कुलेशन सिस्टम कंट्रोल में रहता है। इस पोजीशन से हैमस्ट्रिंग को स्ट्रेच करने में मदद मिलती है। नमाज़ की यह मुद्रा हैमस्ट्रिंग को स्ट्रेच करने में उपयोगी है और किसी भी तरह के शारीरिक तनाव के जोखिम को रोकती है।
रुकू पोजीशन के फायदे-
नमाज़ में रुकू की पोजीशन अर्ध-उत्तानासन के समान होती है। इस पोजीशन में आते ही आपकी पीठ की मांसपेशियां फ्लेक्सिबलहोती हैं और आगे झुकने से आपकी किडनी भी ठीक तरह से काम करती है। साथ ही, इस मुद्रा के नियमित अभ्यास से पीठ के निचले हिस्से की मजबूती का समर्थन प्राप्त होता है और पीठ के निचले हिस्से में दर्द और अन्य तनावों की शुरुआत कम हो जाती है और ब्लड सर्कुलेशन भी सही बना रहता है।
सजदा पोजीशन के फायदे-
जब आप सजदे में जाएंगे तो यह पोजीशन बिल्कुल वज्रासन की मुद्रा की तरह होगी, जिसमें अपने दोनों पैरों को पीछे की तरफ मोड़कर बैठना होता है। इसे करने से हमारे डाइजेस्टिव सिस्टम को कई तरह से मदद मिलती है। यह हमारे पैरों और जांघों में ब्लड फ्लो को बाधित करता है और हमारे पेट के हिस्से में इसे बढ़ाता है, इस प्रकार हमारे मल त्यागने में सुधार करता है और कब्ज से राहत दिलाता है।
लास्ट बैठने की पोजीशन के फायदे-
नमाज़ के अंत में आपको बैठना होता है, जिससे आपके हिप्स, थाइज के अंदर के हिस्से और कमर पर स्ट्रेच आता है। साथ ही, यह पोजीशन आराम की भावना पैदा करने के लिए शरीर के टाइट अंगों को खोलने में मदद करता है और अंगों को खोलना रीढ़ और पीठ के लिए काफी फायदेमंद होता है। यह पोजीशन आपको और आपके मन को शांति दिलाने में मदद करती है और एक कायाकल्प की भावना का अनुभव कराती है।
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इसके अलावा, अगर आप अपना वजन कम करना चाहती हैं, तो आपके लिए नमाज़ काफी फायदेमंद साबित हो सकती है। क्योंकि जब आप सजदे में जाते हैं तो इससे आपका पेट दबता है और आपके पेट की चर्बी खुद कम हो जाती है। इसलिए आप नियमित तौर पर अपने रूटीन में नमाज़ को शामिल कर सकती हैं।
इस तरह आपको नमाज़ पढ़ने से यह शारीरिक लाभ प्राप्त हो सकते हैं। अगर आपको ये लेख पसंद आया हो इसे लाइक और शेयर जरूर करें। साथ ही जुड़ी रहें हरजिन्दगी के साथ।
Image Credit- (@Freepik and Google)
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