पूजा पाठ में हर एक क्रिया-प्रतिक्रिया का विशेष महत्त्व है। हर एक ईश्वर को कई अलग सामग्रियों से प्रसन्न करने की प्रथा काफी लम्बे समय से चली आ रही है और ऐसी मान्यता है कि पूजा पाठ में चढ़ाई गई सामग्रियों का अलग महत्त्व और इन्हें अर्पित करने का अलग तरीका है। ऐसी ही मान्यताओं में से एक है पूजा के समय अक्षत यानी कि चावल का प्रयोग करना।
पूजा के दौरान चावल को लाल रंगोली या हल्दी के रंग में रंगा जाता है या फिर सफ़ेद रंग में साबुत ही चढ़ाया जाता है, जिसे अक्षत कहा जाता है। आइए नई दिल्ली के जाने माने पंडित, एस्ट्रोलॉजी, कर्मकांड,पितृदोष और वास्तु विशेषज्ञ प्रशांत मिश्रा जी से जानें पूजा में अक्षत क्यों चढ़ाए जाते हैं, इन्हें अर्पित करने का सही तरीका क्या है और इसका क्या महत्त्व है।
हर पूजन में होता है इस्तेमाल
रंगोली या हल्दी से रंगे हुए साबुत चावल हर पूजा में चढ़ाना पूजा करने का हिस्सा है। ऐसी कई वस्तुएं हैं जो अलग -अलग भगवान् को अर्पित करना वर्जित है जैसे शिवलिंग और गणेश जी में तुलसी की पत्तियां नहीं चढ़ाई जाती हैं और तुलसी के पौधे(तुलसी के पौधे को ऐसे रखें हरा -भरा) में कुमकुम चढ़ाना वर्जित होता है। लेकिन अक्षत के बिना हर एक पूजन और हवन अधूरा माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि साबुत चावल का अक्षत पूर्णता का प्रतीक होता है और यदि पूजन के दौरान कोई गलती हो जाए, तो अक्षत उसे पूर्ण करता है। माना जाता है कि अक्षत जिस पूजा में प्रयोग होता है यदि पूजा में कुछ अन्य चीजें चूक वश छूट भी जाएं तो अक्षत के चढ़ावे से वह भूल माफ हो जाती है। अक्षत यानी चावल के कुछ दानों का प्रयोग घर में सुख-शांति और धन-समृद्धि भी लाता है और इसके इस्तेमाल से घर अन्न -धन से भर जाता है।
ईश्वर को संतुष्ट करने का साधन
शास्त्रों में अन्न को ईश्वर को संतुष्ट करने का मुख्य साधन बताया गया है। सबसे पवित्र होने की वजह से चावल ही अर्पित करना ईश्वर को संतुष्ट करना है। मान्यता है कि चावल अर्पित करने से भगवान के साथ-साथ पितर भी तृप्त होते हैं और ऐसे में ईश्वर के साथ पितरों का भी आशीर्वाद मिलता है और घर में खुशहाली आती है।
देवताओं का प्रिय अन्न
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार चावल यानी अक्षत सबसे पवित्र और श्रेष्ठ अनाज माना गया है। ऐसी मान्यता है कि यह देवताओं का सर्व प्रिय अन्न है और इसके अर्पण से देवता खुश होकर घर में सुख समृद्धि का वास करते हैं। अक्षत को देवान्न भी कहा जाता है और अगर पूजा पाठ में किसी अन्य सामग्री की कमी रह भी जाए तो उस सामग्री का स्मरण करते हुए देवताओं को अक्षत या चावल चढ़ाएं जिससे पूजा का सम्पूर्ण फल प्राप्त होगा।
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अक्षत है सबसे शुद्ध अन्न
सभी अनाजों में चावल को सबसे शुद्ध अन्न माना जाता है क्योंकि ये धान के अंदर बंद रहता है। ऐसी मान्यता है कि धान में बंद होने की वजह से कोई भी पक्षी या कीट इसे जूठा नहीं करता है। जिससे इसकी शुद्धि बरकरार रहती है। इसके अलावा ये भी मान्यता है कि प्रकृति में सबसे पहले चावल की ही खेती की गई थी और प्राचीन काल से सनातन धर्म में ईश्वर के सम्मुख अक्षत समर्पित करने की प्रथा चली आ रही है। पूजा के दौरान लोग इस भाव के साथ भगवान् को अक्षत अर्पित करते हैं कि हमारे पास जो भी अन्न और धन है, वो आपका ही दिया हुआ है और आपको ही समर्पित है अतः इसकी रक्षा करें।
अक्षत चढ़ाने का सही तरीका
साबुत अक्षत चढ़ाएं
अक्षत का शाब्दिक अर्थ है जिसकी क्षति न हुई हो। अर्थात जब पूजा के दौरान चावल अर्पित करें तो वह पूर्ण होना चाहिए। भूलकर भी टूटे चावल भगवान् को अर्पित न करें। अक्षत पूर्णता का प्रतीक है यानी यह टूटा हुआ नहीं होना चाहिए। चावल चढ़ाकर भगवान् से प्रार्थना की जाती है कि हमारे सभी कार्य पूर्ण हों और पूजा का फल प्राप्त हो।
न चढ़ाएं गंदे चावल
अक्षत अर्पित करने से पूर्व ये ध्यान देना चाहिए कि चावल अच्छी तरह से साफ़ किये हुए हों। यदि चावल में कोई कीड़े (चावल को कीड़ों से ऐसे बचाएं ) हों, या किसी तरह की गन्दगी हो तो उन्हें पूजा में इस्तेमाल न करें। ऐसा करने से पूजा का सम्पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता है।
शिवलिंग पर चढ़ाएं अक्षत
पौराणिक कथाओं के अनुसार शिवलिंग पर चावल चढ़ाना बहुत ही फलदायी माना गया है। यदि आपके पास शिवलिंग पर चढाने की अन्य सामग्री न हो तब भी चावल चढाने से पूजा का सम्पूर्ण फल मिलता है।
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माता अन्नपूर्णा को चढ़ाएं चावल
यदि आपके घर में आर्थिक समस्या बनी रहती है तो आपको अपने घर कें मंदिर में मां अन्नपूर्णा की स्थापना करनी चाहिए और उनकी प्रतिमा चावल के ढ़ेर पर स्थापित करनी चाहिए। इससे घर में कभी अन्न और धन की कमी नहीं होगी।
अक्षत का ऐसे करें इस्तेमाल
किसी भी तरह की कलश स्थापना से पूर्व चावल के दाने या अक्षत जरूर रखें। यहां तक कि यदि आप भगवान के पास दीपक( पूजा में दीपक का महत्त्व ) प्रज्ज्वलित करें तब भी उसके नीचे अक्षत रखना शुभ होता है। ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। पूजा में यदि आप चौक बना रहे तो, उसमें गेहूं के आटे के साथ अक्षत का भी प्रयोग करें। यहां तक कि तिलक लगाने के लिए भी अक्षत का प्रयोग करना शुभ होता है।
इन सभी कारणों से पूजा के दौरान अक्षत अर्पित किये जाते हैं, साथ ही सही ढंग से चावल अर्पित करना आपकी उन्नति के मार्ग भी प्रशस्त करता है।
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Image Credit: free pik
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