हिंदू धर्म में नवरात्रि का पर्व बड़ी ही श्रद्धा से मनाया जाता है। वैसे तो साल में 4 नवरात्रि तिथियां होती हैं चैत्र, आषाढ़, अश्विन और माघ महीने में। आषाढ़ और माघ में गुप्त नवरात्रि मनाई जाती है, लेकिन इनमें से मुख्य रूप से 2 नवरात्रि तिथियों को महत्वपूर्ण बताया गया है चैत्र और अश्विन महीने की शारदीय नवरात्रि । इन दोनों में से भी शारदीय नवरात्रि कुछ खास होती है।
इस पर्व के दौरान पूरे नौ दिनों तक माता दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की विधि विधान से पूजा की जाती है और माता का आशीष भक्तों को प्राप्त होता है। इस पर्व को पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस पर्व में लोग कलश स्थापना करते हैं और अखंड ज्योति प्रज्वलित करते हैं।
ऐसी मान्यता कि अखंड ज्योति से सभी पापों का नाश होता है और शांति बनी रहती है। अखंड ज्योति का तात्पर्य है जो कभी खंडित न हो और निरंतर प्रज्ज्वलित रहे। आइए नारद संचार के ज्योतिष अनिल जैन जी से जानें अखंड ज्योति के महत्व के बारे में और नवरात्रि में इसे प्रज्वलित करने से क्या लाभ हो सकते हैं।
अखंड ज्योति का महत्व
नवरात्रि में अखंड ज्योति प्रज्वलित की जाती है, क्योंकि ज्योतिष के अनुसार ये घर की सुख समृद्धि का कारक होती है। अखंड ज्योति शरीर के सभी रोगों का नाश करती है और कष्टों को दूर करती है।
इसकी लौ हमें अंधकार से रोशनी की तरफ जाने के लिए प्रेरित करती है। ऐसी मान्यता है कि अखंड ज्योति की अग्नि सभी पापों का नाश करती है और खुशहाली का प्रतीक है। ज्योतिष में ऐसा माना जाता है कि नवरात्रि के दौरान बिना खंडित हुए यदि 9 दिनों तक ज्योति प्रज्वलित रहती है तो ये सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करती है।
इसे जरूर पढ़ें: अखंड दीपक जलाने की सही विधि पंडित जी से जानें
अखंड ज्योति से होती है माता है 9 स्वरूपों की पूजा
मान्यता है कि माता दुर्गा की पूजा सही तरीके से करने के लिए अखंड ज्योति का विशेष महत्व है और इसकी लौ प्रतिपल भक्तों के श्रद्धा भाव को माता के सामने जगाए रखती है। अखंड ज्योति के बिना घर में कलश स्थापना अधूरी मानी जाती है और इसे प्रज्ज्वलित रखना नवरात्रि पूजन का सबसे महत्वपूर्ण चरण माना जाता है। समस्त ग्रहों की शांति के लिए भी इसे जलाना शुभ माना जाता है।
नवरात्रि में होती है इन 9 देवियों की पूजा
- नवरात्रि के 9 दिनों तक हम माता के 9 स्वरूपों की पूजा करते हैं, जिनका अलग महत्व है।
- पहले दिन में हम मां शैलपुत्री की पूजा करते हैं जो प्रकृति का प्रतिनिधित्व करती हैं और ये सूर्य ग्रह का कारक है।
- दूसरे दिन हम मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करते हैं जो हमारे अच्छे आचरण को बताती हैं और ज्योतिष के अनुसार शनि ग्रह का प्रतिनिधित्व करती हैं।
- तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है, ये शांति और अच्छाई का प्रतीक मानी जाती हैं। ये चंद्र ग्रह का प्रतिनिधित्व करती हैं।
- चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा होती है, ये हमारे लिए शक्ति प्रदान करती हैं और गुरु ग्रह का प्रतिनिधित्व करती हैं।
- पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है जो हमारे जीवन में मोक्ष दिलाती हैं। ये सुख समृद्धि की प्रतीक हैं और मंगल ग्रह का प्रतिनिधित्व करती हैं।
- छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है, ये हमारे अंदर की ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करती हैं। ज्योतिष के अनुसार ये शुक्र ग्रह की कारक हैं।
- सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है जो हमारे अंदर की परेशानियों को दूर करती हैं और ज्योतिष में राहु ग्रह का प्रतिनिधित्व करती हैं।
- आठवें दिन मां गौरी की पूजा की जाती है। ये हमारे शरीर की शांति, शुद्धता और पवित्रता की प्रतीक हैं। ज्योतिष के अनुसार मां गौरी बुध ग्रह का प्रतीक हैं।
- नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है जो हमारे जीवन में होने वाली प्राप्ति का प्रतीक हैं और केतु ग्रह का प्रतिनिधित्व करती हैं।
माता के नौ रूप हैं 9 ग्रह के प्रतीक
नवरात्रि में माता के रूप में नौ ग्रहों को पूजा की जाती है जो ग्रहों को शांति का उपाय है। इससे यदि ग्रहों का आपके ऊपर कोई नकारात्मक प्रभाव पड़ने वाला है तो वो भी सकारात्मक हो जाता है और शुभ फल मिलते हैं। इन ग्रहों की शांति के लिए अखंड ज्योति बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है।
घर की सुख समृद्धि बनाए रखने के लिए ज्योतिष में नवरात्रि के दौरान अखंड ज्योति प्रज्ज्वलित रखने की सलाह दी जाती है। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
Recommended Video
Image Credit: freepik.com
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों