शारदीय नवरात्रि का प्रत्येक दिन कुछ अलग होता है और इन दिनों में माता के अलग स्वरूपों का पूजन श्रद्धा भाव से किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि मां दुर्गा के अलग स्वरूपों के लिए भिन्न मान्यताएं हैं।
यही वजह है कि पूजन के दौरान कुछ विशेष नियमों का पालन करने की सलाह दी जाती है। माता के इन नौ स्वरूपों के बारे में हम नियमित रूप से आपको बता रहे हैं। उसी क्रम में चौथे दिन यानी कि 29 सितंबर को मां कुष्मांडा की पूजा विधि विधान से की जाएगी।
हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि मां कुष्मांडा ने सृष्टि की रचना की थी। इसी वजह से उनका पूजन विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। आइए ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु विशेषज्ञ डॉ आरती दहिया जी से जानें मां कुष्मांडा की पूजा विधि और उनके मंत्रों के बारे में।
मां कुष्मांडा का स्वरुप
कुष्मांडा एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ होता है कुम्हड़ा यानी जिससे पेठा बनता है वह फल। इसी कारण माता को प्रसन्न करने के लिए कुम्हड़ा की बलि देना शुभ माना जाता है। अष्ट भुजाओं वाली मां कुष्मांडा देवी की पूजा करने से सभी कष्टों से छुटकारा मिल जाता है और सुख-संपत्ति की प्राप्ति होती है।
मां कुष्मांडा का स्वरुप बहुत ही निराला है इनकी आठ भुजाएं है। मां के हाथ में एक जपमाला है और मां कुष्मांडा का वाहन सिंह है।
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मां कुष्मांडा पूजा विधि
- नवरात्रि के चौथे दिन ब्रम्ह मुहर्त में उठकर नित्य कर्म से मुक्त होकर स्नान करें।
- इसके बाद विधि-विधान से कलश की पूजा करने के साथ मां दुर्गा और उनके इस स्वरूप की पूजा करें।
- मां कुष्मांडा को सिंदूर, पुष्प, माला, अक्षत आदि चढ़ाएं।
- इसके बाद घी का दीपक और धूप जलाकर माता के मंत्र का 108 बार जाप जरूर करें।
- विधिवत दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और दुर्गा चालीसा का पाठ जरूर करें।
- माता का इस विधि से किया गया पूजन सभी समस्याओं का हल निकालने में मदद करता है।
मां कुष्मांडा के लिए भोग
- नवरात्रि के चौथे दिन यदि आप मां कुष्मांडा को मालपुए का भोग लगाएंगी तो माता की विशेष कृपा दृष्टि बनी रहेगी।
- मान्यता है कि मां को मालपुए का भोग लगाने से भक्तों का का मनोबल बढ़ता है और उनमे आत्मविश्वास की पूर्ति होती है।
- भोग लगाने के बाद माता की प्रतिमा के सामने जल से भरा पात्र जरूर रखें।
- मान्यता है कि जल के बिना भोग अधूरा होता है।
कौन सा रंग होगा शुभ
यदि आप माता कुष्मांडा का पूजन सही विधि से कुछ विशेष रंगों के वस्त्र (नवरात्रि में पहनें इन रंगों के कपड़े) धारण करके करती हैं, तो पूजन स्वीकार्य होता है। इस दिन आप लाल, गुलाबी और पीले रंग के वस्त्र पहनें। ख़ासतौर पर पीले वस्त्रों से माता की विशेष कृपा दृष्टि प्राप्त होती है।
मां कुष्मांडा की पूजा का महत्व
ऐसी मान्यता है कि मां कुष्मांडा की पूजा करने से निरोगी और सुंदर काया का आशीर्वाद मिलता है। माता के इस स्वरुप के पूजन से समस्त रोग दोष मिट जाते हैं और मन प्रसन्न रहता है। मां के ध्यान और पूजन मात्र से किसी भी बड़ी समस्या का हल सामने आ जाता है और पाप दूर होते हैं।
मां कुष्मांडा के मंत्र
ऐं ह्री देव्यै नम: वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्। सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्विनीम्॥
ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं कुष्मांडा नम:
या देवी सर्वभूतेषु
मां कूष्मांडा रूपेण प्रतिष्ठितता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै:
नमस्तस्यै नमो नम:..
यदि यहां बताए तरीके से आप मां कुष्मांडा का पूजन करती हैं, तो आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी और पापों से मुक्ति भी मिलेगी। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें। इसी तरह के अन्य रोचक लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
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